क्या आपको भी लगता है कि आपके सेक्शुअल रिश्तों पर उदासीनता छा गई है या फिर वे एकरसता से भर गए हैं? वजह चाहे जो भी हो: ज़रूरत से ज़्यादा साथ रहना, एक-दूसरे को ज़रूरत से अधिक जान लेना, माता-पिता बनना या फिर कुछ और. सेक्शुअल रिश्तों में पहले जैसी गरमाहट लाना मुश्क़िल नहीं है. बस, आप दोनों को इसके लिए प्रयास करने होंगे और यह बात मानकर चलना होगा कि सेक्शुऐलिटी महिला और पुरुष को अलग-अलग तरीक़े से काम करती है.
सेक्शुअल चाहतों से जुड़ी कुछ समस्याओं का समाधान सीधा और स्पष्ट नहीं होता और लंबे समय तक अपने साथी के प्रति चाहत और आकर्षण महसूस कर पाना इन्हीं बातों में से एक है. बहुत से जोड़े साथ रहने के कुछ ही वर्षों बाद आपसी कामुकता की चाहत में अवरोध-सा या कमी-सी महसूस करने लगते हैं. जबकि लोकधारणा कहती है कि पति-पत्नी आपस में जितना घुलेंगे-मिलेंगे उनके बीच सेक्शुअल रिश्ते उतने ही बेहतर होंगे. बाइबल कहती है,‘‘…अब वे दो नहीं, बल्कि एक तन हैं…,’’ पर बहुत से लोगों के लिए सच्चाई ये है कि वे एक ही पार्टनर के प्रति आकर्षण और उत्तेजना महसूस नहीं कर पाते हैं. ख़ासतौर पर उसके साथ, जिससे वे सहजता और स्थायित्व चाहते हैं.
दूरी है ज़रूरी
सच्चाई ये भी है कि सेक्स की कविता राजनीतिक रूप से सही यानी पॉलिटिकली करेक्ट नहीं होती है. जहां ये सच है कि अंतरंगता आपकी सेक्शुअल इच्छा को बढ़ाती है, वहीं यह बात भी अपनी जगह सही है कि सेक्शुअल इच्छा की तेज़ी उतनी ही तीव्र बनी रहे इसके लिए पार्टनर्स में थोड़ी दूरी और उनके एक-दूसरे से थोड़ा रहस्मय बने रहने की भी ज़रूरत होती है. आख़िर एक होने के लिए पहले आप दोनों का दो अलग-अलग शख़्सियत होना भी तो ज़रूरी है! और एक विवाह या एक साथी के चलन में ऐसा होना और भी ज़रूरी है, ताकि आप दोनों की एक-दूसरे के प्रति कामेच्छा यानी सेक्शुअल डिज़ायर धीरे-धीरे कम ना होने लगे.
सेक्शुअल इच्छाएं स्वाभाविक हैं, स्वार्थ नहीं
अक्सर माता-पिता बनने के बाद किसी जोड़े के जीवन में सेक्स लाइफ़ पर पहली बार बहुत गहरा असर पड़ता है. बच्चे किसी आशीर्वाद से कम नहीं, लेकिन उनकी सुरक्षा नए माता-पिता के जीवन में लगातार चिंता का कारण भी बनी रहती है. और यह चिंता उनके जीवन में पहला स्थान ले लेती है. वे सोचते हैं कि उन्हें अपनी ‘‘स्वार्थ’’ में दिलचस्पी लेने यानी सेक्शुअल रिश्ते बनाने से कहीं ज़्यादा ध्यान बच्चे की सुरक्षा को देना चाहिए. बहुत ही कम कपल्स ऐसे होते हैं, जो अपने बच्चों के बिखेरे हुए खिलौनों के बीच और उनकी देखभाल के बीच मिलनेवाले थोड़े-से ही समय के बावजूद एक-दूसरे के साथ सेक्शुअल संबंध बनाने को तवज्जो दे पाते हैं.
महिलाओं की सेक्शुअल इच्छाओं से जुड़े तथ्य
यह सब कहने से मेरा मतलब ये नहीं है कि सेक्शुअल रिश्तों के बिना कपल के बीच कोई रिश्ता हो ही नहीं सकता है. यह बिल्कुल संभव है, लेकिन तब जबकि बिना सेक्शुअल संबंध बनाए रहने में पति और पत्नी दोनों की सहमति हो. तब क्या होगा, जब एक साथी तो सेक्शुअल संबंध चाहता है, लेकिन दूसरे के लिए इसके पास समय ही नहीं है? ज़ाहिर है, रिश्ते में असंतोष की भावना पनपने लगेगी और कुछ ही समय बाद पानी सिर से ऊपर गुज़रने लगेगा. साइंस के अनुसार पुरुषों के जीवन में सेक्शुअल संबंधों की इच्छा जीवनभर एक-सी रहती है, जबकि महिलाओं में यह इच्छा बदलती रहती है. बच्चे होने के बाद कई महिलाओं के लिए बच्चे ही उनकी जीवन की प्राथमिकता हो जाते हैं और सेक्शुअल संबंधों में वे उतनी दिलचस्पी नहीं ले पातीं.
यदि आप रजनीश आंदोलन के संस्थापक ओशो की तरह कामुकता को सेक्स की तरह न देखकर, किसी रचनात्मक ऊर्जा की तरह देखें तो भी पाएंगे कि प्रेग्नेंसी के बाद उसकी कामेच्छा बदल जाती है और वह अपने बच्चे की देखभाल का रूप ले लेती है. ग़ौर करने पर आप में से बहुत से लोग इस बात में बहुत साम्य पाएंगे कि बच्चे के पैदा होने के बाद कोई महिला अपने बच्चों की बिल्कुल उसी स्नेह से देखभाल करती है, जैसे कि वह अपने पति की करती थी.
पुरुषों पर इसका असर
अक्सर इस बदलाव में पुरुष हारा हुआ महसूस करने लगते हैं और वो जैसे विद्रोह कर देते हैं. फिर चाहे वो ऑनलाइन पोर्न देखना हो, ऐश्ली मैडिसन जैसी डेटिंग साइट्स या डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल करना हो या फिर सचमुच किसी नए प्रेम-संबंध की शुरुआत. तो आख़िर सेक्स से रहित शादियों में पुराने वाले सेक्शुअल रिश्तों का ‘स्पार्क’ दोबारा कैसे लाया जा सकता है? हमने यह बात डॉक्टर शर्मिला मजूमदार से पूछी, जो आइकान स्कूल ऑफ़ मेडिसिन, अमेरिका, से बोर्ड सर्टिफ़ाइड भारत की एकमात्र महिला सेक्सोलॉजिस्टऔर वीवॉक्स की संस्थापक सदस्य भी हैं.
एक्स्पर्ट की सलाह
डॉ मजूमदार कहती हैं,‘‘आप दोनों को थोड़ी मेहनत करनी होगी. शादी के कुछ सालों बाद प्यार से जुड़े हॉर्मोन्स फीके पड़ने लगते हैं. और यदि आपके बच्चे हैं तब तो आपको उनपर ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान देने की आदत में कटौती करनी पड़ेगी. बहुत-सी महिलाओं की लिए बच्चों की देखभाल करना और कामुकता ये दोनों चीज़ें एकसाथ काम नहीं कर पातीं.’’
वे आगे कहती हैं,‘‘बच्चों की देखभाल के बीच सेक्शुल संबंधों के लिए योजना बनाना सुनने में तो अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन सेक्शुअल लाइफ़ को पटरी पर लाने में इसी से मदद मिलेगी. आख़िर जब आप दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे थे या वैवाहिक रिश्ते में बिल्कुल नए थे, तब भी तो यही करते थे. इससे आप दोनों के बीच कामुकता का रिश्ता मज़बूत होगा. अपने रिश्ते में कामुकता की जगह को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है. अब ये कैसे किया जाए यह बात कपल्स के बीच बातचीत और उनके बीच की आपसी समझ पर निर्भर करती है. कपल्स को यह भी समझना होगा कि सेक्शुऐलिटी महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग तरीक़े से काम करती है.’’
फ़ोटो: गूगल