रेग्युलर पीरियड्स आपकी अच्छी सेहत के मुख्य संकेतों में एक है. अगर अचानक आपके पीरियड्स अनियमित हो गए हैं तो आपको जल्द से जल्द उन्हें नियमित करने के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए. इस काम में हम आपकी मदद कुछ घरेलू नुस्ख़ों के साथ करने जा रहे हैं.
औसतन मेन्स्ट्रुअल साइकिल का चक्र 24 से 30 दिनों का होता है. रही बात पीरियड्स के फ़्लो की तो यह किसी को सात दिनों तो किसी को दो दिनों तक ही होता है. अगर आपका मासिक चक्र और फ़्लो का औसत ड्यूरेशन लंबे समय तक एक जैसा बना रहे तो मोटे तौर पर यह माना जाता है कि आपके पीरियड्स नियमित हैं और आप स्वस्थ. पर आजकल की तनाव भरी ज़िंदगी में पीरियड्स का अनियमित हो जाना आम हो गया है. अगर लगातार दो महीनों तक आपके पीरियड्स की तारीख़ ऊपर नीचे हो या फ़्लो कम या ज़्यादा हो तो यह संकेत होता है पीरियड्स के अनियमित होने का. आप यहां बताए गए कुछ घरेलू नुस्ख़ों से अपने पीरियड्स को नियमित कर सकती हैं. बेशक़, अगर एक महीने में कोई फ़ायदा न हो तो आपको बिना देर किए अपने गायनाकोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए.
फ़ॉलिक एसिड का इनटेक बढ़ाएं
फ़ॉलिक एसिड या विटामिन बी9 महिलाओं के लिए एक बेहद ज़रूरी विटामिन माना जाता है. इससे प्रोजेस्टेरॉन का स्तर संतुलित रहता है और पीरियड्स भी नियमित रहते हैं. आप विटामिन बी9 के सप्लिमेंट्स ले सकती हैं. आप खानपान में पालक, खट्टे फल, दालें, बीटरूट आदि शामिल करके भी फ़ॉलिक एसिड की अच्छी-ख़ासी मात्रा पा सकती हैं.
अनन्नास और पपीते से मदद मिल सकती है
दांतों को बुरी तरह खट्टा कर देनेवाले फल अनन्नास में ब्रोमेलेन नामक एक तत्व होता है, जो आपके यूटरस की तक़लीफ़ों को दूर करके पीरियड्स को रेग्युलर करता है. इतना ही नहीं, पीरियड्स के दौरान के क्रैप्स से भी राहत दिलाने में अनन्नास बेहद प्रभावी है. वहीं पपीते में कैरोटेन नामक ऐंटी-ऑक्सिडेंट होता है, जो एस्ट्रोजन के स्तर को बैलेंस करता है. हैप्पी हॉर्मोन्स के नाम से जाना जानेवाला एस्ट्रोजन का नियमित पीरियड्स से गहरा नाता है.
पीरियड्स प्रॉब्लम्स में हल्दी होती है असरदार
घरेलू नुस्ख़ों की सिकंदर हल्दी पीरियड्स को नियमित करने में भी आपके काम आ सकती है. इन्फ़्लेमेशन घटाने, मूड को ठीक करने में हल्दी का कोई मुक़ाबला नहीं है. हल्दी का सबसे प्रमुख घटक करक्यूमिन है. करक्यूमिन एस्ट्रोजन और एंड्रोजन को प्रभावित करके पीरियड्स को रेग्युलराइज़ करता है. आप रात को सोते समय हल्दी वाला दूध पीकर अपने पीरियड्स को नियमित रख सकती हैं.
नियमित एक्सरसाइज़ से भी पीरियड्स नियमित रहते हैं
स्वास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम का महत्व तो हम सभी जानते हैं. अगर आप नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करती हैं तो आपके पीरियड्स भी नियमित रहते हैं. पीरियड्स के दौरान क्रैम्प्स भी उतने परेशान नहीं करते. आप वॉकिंग, रनिंग, साइकिलिंग, स्विमिंग, डांसिंग, योग, जिमिंग इनमें से कोई भी शारीरिक गतिविधि नियमित रूप से करने से आपका काम बन जाएगा. हां, आपको यह बात भी याद रखनी चाहिए कि एक्सरसाइज़ की अति भी पीरियड्स को प्रभावित करती है.
सेहतमंद फ़ैट्स को खानपान में शामिल करें
फ़ैट्स यानी वसा को हम सेहत का दुश्मन समझते हैं. पर पॉलीअनसैचुरेटेड फ़ैट्स (पूफ़ा) को सेहत ही नहीं रीप्रोडक्टिव हार्मोन्स और ओव्युलेशन के लिए भी अच्छा माना जाता है. सेहतमंद फ़ैट्स आपको अखरोट, एवोकाडो, अलसी, घी, मक्खन, चीज़ और प्लान्ट बेस्ड ऑयल्स जैसे-एवोकाडो, नारियल, आलिव, मूंगफली आदि से मिलते हैं.
भरपूर नींद लेना भी हो सकता है फ़ायदेमंद
जब आपकी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होती है तो उसका असर आपके ओवरऑल हेल्थ पर दिखता है, पीरियड्स भी उनसे अछूते कैसे रह सकते हैं. अगर आप अपने स्लीपिंग पैटर्न को दुरुस्त करेंगी तो हो सकता है कि पीरियड्स भी रेग्युलर हो जाएं. आपको अच्छी नींद के लिए इन कुछ तरक़ीबों को अपनाना चाहिए. बेडरूम से टीवी तुरंत हटा दें, बेड पर मोबाइल या लैपटॉप न ऑन करें, खाने के बाद बाद चाय या कॉफ़ी का सेवन न करें, दिन में छोटी-छोटी झपकियां न लें, रात को व्यायाम करने के बजाय इसे मॉर्निंग रूटीन का हिस्सा बनाएं, अपने शरीर को रात को सोने और सुबह उठने के फ़िक्स टाइम की आदत डलवाएं.
तनाव को भगाए बिना, आपका भला नहीं हो सकता
जब हम तनावग्रस्त होते हैं तब हमारा शरीर कॉर्टिसॉल और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ़ा देता है. प्रोजेस्टेरॉन की अधिकता का पीरियड्स पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए यह ज़रूरी है कि तनाव को अपनी ज़िंदगी से दूर ही रखें. और यह काम हो सकता है, मेडिटेशन, प्राणायाम, योग, अच्छी किताबें पढ़ने, न्यूज़ देखना बंद करने और उन लोगों के साथ समय बिताकर जो आपको ख़ुश रखते हैं.
डॉक्टर को दिखाना कब ज़रूरी हो जाता है?
पीरियड्स में अनियमिता ख़तरे की घंटी होती है. आप इसको लेकर ज़रा भी लापरवाही नहीं बरत सकतीं. यदि आपको इनमें से कोई भी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
* पीरियड्स सात दिनों से ज़्यादा समय तक एक्सटेंड होते हों.
* तीन हफ़्ते से पहले ही पीरियड्स आ जाते हों.
* बहुत ज़्यादा यानी हैवी फ़्लो हो.
* लगातार तीन महीने से पीरियड्स न आ रहे हों.
* पीरियड्स के बीच का अंतराल 35 दिनों से अधिक हो.
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