• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home ओए हीरो

मदद के लिए जो आवाज़ आई, हमने उस तक पहुंचने की कोशिश की: तसनीम ख़ान

शिल्पा शर्मा by शिल्पा शर्मा
May 25, 2021
in ओए हीरो, ज़रूर पढ़ें, मुलाक़ात
A A
मदद के लिए जो आवाज़ आई, हमने उस तक पहुंचने की कोशिश की: तसनीम ख़ान
Share on FacebookShare on Twitter

भोपाल की एजुकेशनिस्ट व समाजसेवी तसनीम ख़ान, डैफ़ोडिल हायर सेकेंडरी स्कूल की फ़ाउंडर-प्रिंसिपल हैं और साथ ही वे डैफ़ोडिल एजुकेशन ऐंड सोशल वेलफ़ेयर सोसाइटी की फ़ाउंडर-प्रेसिंडेंट भी हैं. लॉकडाउन लगने के अंदेशे पर ही उन्होंने ज़रूरतमंद लोगों को राशन बांटने का काम शुरू कर दिया था. वे लगातार इस काम को जारी रखे हुए हैं. आज उनकी इस मुहिम का 440 वां दिन है. आइए जानें, कैसे करती हैं वे यह काम.

वे 20 वर्षों से अपनी सोसाइटी और स्कूल को चला रही है. उनके स्कूल में बहुत सारे ग़रीब बच्चे भी आते हैं, वे बहुत सारी बेवाओं को भी प्रशिक्षित कर के नौकरी देती हैं. इन लोगों के साथ काम करते हुए उन्होंने देखा कि इनके घरों में खाना नहीं होता, बहुत सारे बच्चे टिफ़िन लेकर नहीं आते, स्टाफ़ में काम करने वाले पीयून, स्वीपर्स भी खाना नहीं लाते. जब उन्होंने इस बात पर ग़ौर किया तो कई साल पहले ही अपने स्कूल में पब्लिक किचन बनाया, ताकि जो भी बच्चा या स्टाफ़ टिफ़िन नहीं लाता, वो यहां खाना खा सके. वे पहले भी ऐसी बेवा महिलाओं के लिए, जो काम नहीं कर सकतीं या फिर जो बीमार हैं, महीने का राशन (ग्रॉसरी) उपलब्ध करवाया करती थीं. अत: इस बात पर अचरज नहीं कि उनके संवेदनशील मन ने लॉकडाउन में ग़रीबों को हो सकनेवाली राशन की समस्या को पहले ही पढ़ लिया.

ये लोगों को राशन बांटने का काम कैसे शुरू हुआ? क्या आप लॉकडाउन के समय से अब तक लगातार राशन बांटती आ रही हैं?
पिछले वर्ष 16 मार्च को जब हम वर्ल्ड-न्यूज़ देख रहे तो पता चला कि कई देशों ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी है तो मुझे ऐसा लगा कि कहीं हमारे यहां भी लॉकडाउन न हो जाए. मैंने तुरंत ही ग्रॉसरी के बहुत सारे पैकेट्स बनवाए और अपने पूरे स्टाफ़ को बांटे. मेरे स्कूल में जितने यतीम-ग़रीब बच्चे हैं उनके घर भिजवाए और हमारी कॉलोनी के आसपास के ग़रीब घरों में बंटवाए. इन पैकेट्स में 10 किलो आटा, तीन किलो चावल, एक-एक किलो दो-तीन तरह की दालें, एक किलो शक्कर, चाय पत्ती और तेल के पैकेट कभी दो, कभी एक देते समय हमारी जितनी भी कैपेसिटी हो.
लॉकडाउन से पहले ही मैंने भोपाल की अशोका गार्डन, राजीव नगर, बाणगंगा आदि क्षेत्र की झुग्गी बस्तियों में भी राशन का वितरण करवाया. यहां हमारी गाड़ी जाती है और राशन बांट आती है. मेरा वॉट्सऐप नंबर सार्वजनिक तौर पर लोगों को पता है. यदि उन्हें राशन की ज़रूरत होती है तो वे हमें मैसेज कर देते हैं और हम उनके बारे में थोड़ी जांच-पड़ताल कर के उन्हें राशन पहुंचा देते हैं. जांच-पड़ताल इसलिए क्योंकि कुछ लोग ग़रीब होते नहीं, पर ग़रीब बनकर ग़रीबों का हक़ छीन लेते हैं. हाल ही में मैंने अब्बास नगर, राजीव नगर, गोविंदपुरा, टीटी नगर की झुग्गी बस्तियों में राशन वितरण करवाया है. लॉकडाउन की शुरुआत के पहले से ही ये काम हो रहा है और रोज़ होता है. हफ़्ते में तीन-चार बार बड़े ग्रॉसरी डिस्ट्रीब्यूशन्स होते हैं बस्तियों में जाकर. और रोज़ाना मेरे घर और स्कूल से ये राशन वितरण चलता रहता है.
इस काम में मेरे परिवार के सदस्य और रिश्तेदार मेरी मदद कर रहे हैं. हमने राशन डिस्ट्रिब्यूशन के लिए कुछ यूनिट्स शहर में अलग-अलग जगह बनाए हैं. मेरे भाई कोह ए फ़िज़ा, लालघाटी, बुधवारा के एरिया देखते हैं तो मेरे बहनोई जहांगीराबाद में हमारे साथ ये काम कर रहे थे. मेरी बेटी, मेरा बेटा, मेरी बहनें सभी मेरे साथ इस काम में आ जुटे हैं.

आपको लोगों की ज़रूरत का पता कैसे चलता है? कैसे तय करती हैं कि कहां राशन का वितरण किया जाना है और इस काम के लिए आप फ़ंड्स कैसे जुटाती हैं?
जैसा कि मैंने बताया कि लोगों के पास मेरा वॉट्सऐप नंबर है तो मुझे इस तरह के मैसेज आ जाते हैं कि किस बस्ती में कितने परिवार रह रहे हैं और उनके पास राशन नहीं है तो हम उसके मुताबिक़ पैकेट्स बनवा कर जल्द-से-जल्द उन्हें यह सूचना दे देते हैं कि राशन कब वितरित करेंगे. हाल ही में मुझे भदभदा झुग्गी बस्ती से मैसेज आया था कि हमारे यहां 200 घर हैं, जिनमें से कइयों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है, परेशानी है. तो हम राशन पैकेट्स बनवा कर उन्हें मैसेज कर देते हैं कि आप इस दिन, इस समय, सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करते हुए लोगों को खड़े रहने कहें. हमारी गाड़ी उस दिन, उस समय पर पहुंचती है और राशन बांट देती है. तो हमें यह काम ख़त्म करने में 10 से 15 मिनट का ही समय लगता है.
यह राशन बांटते समय हम कोई धार्मिक भेदभाव नहीं करते, क्योंकि न तो हम किसी धार्मिक संस्था से हैं ना ही हम किसी राजनैतिक संस्था से हैं. मैं किसी भी राजनैतिक पार्टी से न तो जुड़ी हूं और ना ही सपोर्ट करती हूं. कई राजनैतिक पार्टियां अप्रोच करती हैं कि हमारे नाम से बांटिए, लेकिन हम अपने हिसाब से अपना काम कर रहे हैं, क्योंकि हमें कोई चुनाव नहीं लड़ना और ना ही हमारा कोई धार्मिक उद्देश्य है कि मुसलमान को दो और हिंदू को न दो. हम हर ज़रूरतमंद को मदद करते हैं, करना चाहते हैं और करते रहेंगे.
और जहां तक फंड्स जुटाने की बात है तो हम मुसलमानों में ज़कात की एक संकल्पना होती है कि हमें अपने सालाना कमाए हुए धन का ढाई फ़ीसदी दान करना होता है. यदि हम ऐसा नहीं करते तो यह हमारे ऊपर गुनाह होता है. तो मेरी बहन, मेरे बहुत सारे दोस्त और रिश्तेदार जो अमेरिका में रहते हैं, अच्छा कर रहे हैं, उनसे मैंने कहा कि मुझे अपने-अपने ज़कात के पैसे दो और उन्होंने दिए. और फिर मेरा एनजीओ भी है तो उससे भी अपील की. तो इस तरह पैसे इकट्ठे हुए. अब जैसे मेरे पास से ज़कात का फंड ख़त्म हो गया तो मैंने अपनी निजी बचत का इस्तेमाल किया. पिछले साल मेरी बेटी की शादी थी तो 10 लाख रुपए तो मैंने अपनी बेटी की शादी के फंड से निकाल लिए कि चलो थोड़े कम में बेटी की शादी करेंगे, क्योंकि इस वक़्त लोगों को मदद की बहुत ज़रूरत है. मेरे पास हर चीज़ का हिसाब है, पर सच पूछिए तो पता ही नहीं चला कि कब हमने अपनी सेविंग्स भी इस काम के लिए लगाना शुरू कर दी. शुरुआत में हर महीने 50-60 हज़ार रुपए का राशन बांटा करते थे और अब तो यूं समझिए कि अल्लाह के करम से ये काम चलता जा रहा है.

राशन बांटते के समय आपको और आपकी टीम को किस तरह के अनुभव हुए?
ये अनुभव हमें सीख देने वाले रहे यही कहूंगी. कई बार तो मेरा बेटा लोगों के बीच से पिट कर लौटा. मानिए हमने 200 पैकेट भेजे, लेकिन लोगों ने भगदड़ मचा दी तो नोचा-खसोटी हो गई. मेरे बेटे के हाथ नाख़ूनों की खरोंच के निशान पड़ गए. फिर हमने भोपाल के तीन किराना स्टोर्स के ज़रिए राशन देना शुरू किया, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान सामान मिलना भी तो बहुत मुश्क़िल होता है ना. तो यदि कोई मेरे नाम की पर्ची ले जाता तो उसको किराने वाला पूरा सामान दे देता था. ऐसा ही एक हमारा किराना स्टोर था-आरिफ़ किराना स्टोर. वहां लोगों ने लूट के इरादे से हमला कर दिया. वहां हमने गोडाउन-सा बना रखा था. एक हज़ार राशन के पैकेट रखे हुए थे हमारे. लोगों को पता चल गया तो उन्होंने मार-पीट कर दी. हमारे पांच-छह लोगों की टीम बड़ी मुश्क़िल से किसी तरह दुकान बंद करके वहां से भाग सके.
दरअस्ल ये वारदातें इस लिए हुईं कि लोगों ने संतुलन नहीं बनाया. जहां 200 पैकेट देने हैं, 200 परिवारों को वहां कुछ लोग तो राशन लेने में हिचकने की वजह से नहीं आए, लेकिन कुछ लोगों ने अपने परिवार के कई सदस्यों को लाइन में लगा दिया. अब हम भले ही दूर से आए हों पर मोहल्ले वाले तो उन्हें पहचानते हैं. उन लोगों ने विरोध किया, बताया कि एक ही घर के लोग हैं. यदि एक ही घर में ज़्यादा पैकेट चले जाएंगे तो कुछ घरों को कुछ भी नहीं मिलेगा, उनका नुक़सान होगा. जब उन्हें हटाने की कोशिश की जाती तो वे भगदड़ मचा देते. तो जब शुरू-शुरू में इस तरह की समस्याएं आईं तो हमने भी सीखा, थोड़ी जांच-पड़ताल भी शुरू की, पहले ही लोगों को बता दिया कि एक परिवार से केवल एक ही सदस्य पैकेट ले.
पहले हम बहुत बड़े-बड़े पैकेट भी दे रहे थे, जिसमें 25 किलो आटा, सभी तरह की दालें हुआ करती थीं. फिर हमने पैकेट का आकार थोड़ा छोटा कर दिया. यदि कोई ज़्यादा पैकेट ले भी गया तो छोटा ले जाएगा और जो ज़रूरतमंद है उसके पास भी सामान पहुंच गया. बाद में यदि ज़रूरतमंद दोबारा मदद मांगता है तो हम दोबारा भी देते हैं. यदि परिवार में 10 सदस्य हैं तो हम उन्हें तीन-चार राशन के पैकेट भी दे देते हैं. शुरू-शुरू में ग़लतियां हुईं पर धीरे-धीरे हम भी सीख गए कि कैसे काम करना चाहिए.

कोई यादगार वाक़या जिसे आप हमसे बांटना चाहें और कोई बात, जो आप लोगों से कहना चाहें?
ये वाक़या मुझे हमेशा याद रहता है, एक 84 बरस के बुज़ुर्गवार करोद से पैदल चलते हुए मेरे पास राशन लेने पहुंचे. करोद मेरे घर से कोई 20 किलोमीटर दूर होगा. घर के बाहर चौकीदार दादा से उन्होंने कहा-यहां मैडम सामान बांटती हैं ना? वो इतना हांफ रहा था कि चौकीदार दादा ने पहले तो उसे बिठाया, पानी वगैरह पिलाया. तब उन्होंने बताया कि वे पैदल आ रहे हैं, क्योंकि पूरा शहर बंद है और उनके घर में खाना नही है. हम लोग भूखे ही मर जाएंगे. फिर हमने उनको राशन दिया और उन्हें उनके घर तक छोड़कर आए. उनके घर पर सोने के लिए बिस्तर तक नहीं थे, वो भी मुहैया कराए.
फिर जिन लोगों के लिए हमें ऐसा लगा कि सचमुच ज़रूरतमंद हैं हम उन्हें हर महीने राशन उपलब्ध करा रहे हैं, जैसे- निजी स्कूलों में काम करने वाले ड्राइवर्स, स्वीपर आदि. उनके पास तो नौकरी है ही नहीं. जब लॉकडाउन थोड़े समय के लिए ढीला हुआ तो लोग कई बार मुझसे कहते रहे कि लॉकडाउन हट गया, मज़दूर काम पर नहीं आ रहे और आप लोगों को मुफ़्त राशन दे रही हैं, उन्हें बिगाड़ रही हैं. लेकिन मैं तब लोगों को देख-देख कर ही मदद कर रही थी, जो वाक़ई काम नहीं होने के कारण परेशान हैं उनकी मदद कर रही थी. हज़ारों निजी संस्थान बंद हो गए हैं तो उनमें काम करने वालों को तो राशन की ज़रूरत होगी ही. भोपाल बहुत बड़ा है, पर जो-जो भी हमारी नज़रों में आया या आता है, हमने मदद की कोशिश की. सब को तो नहीं कर सकते, लेकिन जिसकी भी आवाज़ आई, हमने वहां तक पहुंचने की कोशिश की, कर रहे हैं और करते रहेंगे.
मैं लोगों से यही कहना चाहूंगी कि सभी इस महामारी की चपेट में आते जा रहे हैं, वो भी जिनके पास बहुत पैसा और पावर है, वो भी इससे बच नहीं पा रहे. तो आप पैसों को इस तरह सहेज-सहेज के न रखें, बल्कि लोगों की मदद में लगा दें. एक न एक दिन सभी को इस दुनिया से कूच करना है और हमारा धन-दौलत यहीं रह जाएगा तो क्यों न आप उसे ज़रूरतमंद लोगों पर ख़र्च करते जाएं. लोगों की ख़िदमत में लगा दें.

इन्हें भीपढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#15 पहला सावन (लेखक: पुष्पेन्द्र कुमार पटेल)

फ़िक्शन अफ़लातून#15 पहला सावन (लेखक: पुष्पेन्द्र कुमार पटेल)

March 27, 2023
मिलिए इक कर्मठ चौकीदार से

मिलिए इक कर्मठ चौकीदार से

March 26, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

March 22, 2023
Fiction-Aflatoon

फ़िक्शन अफ़लातून प्रतियोगिता: कहानी भेजने की तारीख़ में बदलाव नोट करें

March 21, 2023
Tags: ChildrenCoronacorona era helpCorona WarriorcovidDriverfeedingFoodfood donationgrain distributionhelp for the poorHelping handsjobLockdownNGOphilanthropistPrincipalration distributionschoolSpontaneous Corona Warriorstaffsweeperअनाज वितरणअन्न दानएनजीओकोरोनाकोरोना काल में मददकोरोना योद्धाकोविडग़रीबों की मददड्राइवरनौकरीपेट भरनाप्रिंसिपलबच्चेभोजनमदद के हाथराशन बांटनलॉकडाउनसमाजसेवीस्कूलस्टाफ़स्व-स्फूर्त कोरोना योद्धास्वीपर
शिल्पा शर्मा

शिल्पा शर्मा

पत्रकारिता का लंबा, सघन अनुभव, जिसमें से अधिकांशत: महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कामकाज. उनके खाते में कविताओं से जुड़े पुरस्कार और कहानियों से जुड़ी पहचान भी शामिल है. ओए अफ़लातून की नींव का रखा जाना उनके विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन, पत्रकारिता के अनुभव, दोस्तों के साथ और संवेदनशील मन का अमैल्गमेशन है.

Related Posts

सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे
ज़रूर पढ़ें

सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे

March 21, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

March 20, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

March 18, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist