जगमगाता मंदिर का प्रांगण और वहां थिरकते क़दम. सुर, ताल, रिदम और नृत्य की ऐसी प्रस्तुति कि दर्शक मंत्रमुग्ध से टकटकी लगाए उस नज़ारे को देखते ही रहें. मौक़ा था विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो में 48 वें खजुराहो नृत्य समारोह का. देशभर के नर्तक वहां अपनी प्रस्तुति देने आए थे. यह महोत्सव 20 से 26 फ़रवरी 2022 तक चला. इसका अनुभव ही ऐसा होता है, जो लंबे समय तक दर्शक के दिमाग़ में छाया रहता है. हमारे-आपके लिए इस महोत्सव की झलकियां प्रस्तुत कर रही हैं सुमन बाजपेयी.
मध्य प्रदेश स्थित खजुराहो अपने प्राचीन हिंदू मंदिरों के साथ-साथ जैन मंदियों के लिए भी प्रसिद्ध है और साथ ही यहां हर वर्ष आयोजित होनेवाला नृत्य महोत्सव कला प्रेमियों के बीच बेहद प्रसिद्ध है. हर साल होने वाले इस समारोह में शामिल होने के लिए यहां देश-विदेश से भी लोग एकत्र होते हैं. बीती 20 फ़रवरी को इस समारोह का उद्घाटन किया राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने. शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा,‘उनका मानना है कि नृत्य समारोह खजुराहो की उत्कृष्ट पाषाण कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाएगा.’
आपको बताते चलें कि खजुराहो नृत्य समारोह के उद्घाटन समारोह प्रस्तुतियों के साक्षी बनने के लिए आठ देशों कोरिया, अर्जेंटिना, वियतनाम, ब्रूनेई, फिनलेंड, मलेशिया, थाईलेंड और लाओ के राजदूत और उच्चायुक्त शामिल हुए.
हर दिन एक उत्सव
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और जिला प्रशासन छतरपुर के संयुक्त प्रयास से इस महोत्सव का आयोजन किया गया था. भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों पर केंद्रित यह देश का शीर्षस्थ समारोह है, जो देश-विदेश में प्रसिद्ध है. खजुराहो डांस फ़ेस्टिवल के पहले दिन की शुरुआत स्वर्गीय पंडित बिरजू महाराज की शिष्या शास्वती सेन तथा ममता महाराज के मार्गदर्शन में दिल्ली स्थित कलाश्रम के शिष्यगणों द्वारा कथक के समूह नृत्य से हुई. कृष्ण कथा से नृत्य की शुरुआत हुई, जिसमें भगवान कृष्ण का भजन प्रस्तुत किया गया. इसमें नृत्य के माध्यम से मंदिर काल में कथा,पुराण कहने वाले कथाकारों से कथक नृत्य की उत्पत्ति को दर्शाया गया, जिसे स्वर्गीय पंडित बिरजू महाराज ने स्वयं लिखा और अपनी आवाज़ में गाया था.
नृत्य समारोह के दूसरे दिन ओडिसी, कथक, भरतनाट्यम और कुचिपुड़ि नृत्य देखने को मिले. पहली प्रस्तुति देश की जानी मानी ओडिसी नृत्यांगना भुवनेश्वर की सुजाता महापात्रा ने दी. इसके बाद बैंगलोर की नृत्य जोड़ी निरुपमा-राजेन्द्र ने भरतनाट्यम और कथक की जुगलबंदी पर आधारित नृत्य रचना समागम की ओजपूर्ण प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का समापन पद्मश्री जयरामाराव एवं उनके साथियों के कुचिपुड़ी नृत्य से हुआ.
खजुराहो नृत्य महोत्सव के तीसरे दिन मोहिनी अट्टम, भरतनाट्यम से लेकर कथक तक शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. त्रिवेंद्रम की नीना प्रसाद ने बड़े सहज और सधे भावों के साथ इसे प्रस्तुत किया. प्रस्तुति पदवर्णम में माता गंगा की स्तुति और महिमा को प्रतिपादित करती रचना- ‘माते गंगा तरंगिणी करुणाम भुवि’ पर नीना प्रसाद ने शानदार प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का समापन इंदौर की बेटी टीना तांबे के कथक नृत्य से हुआ. उनके नृत्य में कथक के तीन घराने लखनऊ, जयपुर और रायगढ़ की ख़ुशबू को महसूस किया जा सकता था. उन्होंने माता भवानी की प्रस्तुति से अपने नृत्य का आग़ाज़ किया.
चौथे दिन सोनिया परचुरे मुंबई द्वारा कत्थक, कलामंडलम सुनील एवं पेरिस लक्ष्मी कोट्टायम केरल द्वारा कथकली-भरतनाट्यम, रागिनी नगर नई दिल्ली द्वारा कथक और दानुका अर्यावंसा श्रीलंका द्वारा उदारता नेतुमा नृत्य की प्रस्तुति दी गईं. पांचवे दिन वसंत किरण एवं साथी कादिरी आंध्र प्रदेश द्वारा कुचिपुड़ी समूह नृत्य, शर्वरी जमेनिस और साथी, पुणे द्वारा कथक और संध्या पूरेचा एवं साथी मुंबई द्वारा भरतनाट्यम समूह नृत्य की प्रस्तुति दी गई. छठवें दिन 25 फ़रवरी को देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी जयपुर द्वारा कथक, रुद्राक्ष फाउंडेशन भुवनेश्वर द्वारा ओडिसी समूह और नयनिका घोष एवं साथी दिल्ली द्वारा कथक समूह नृत्य की प्रस्तुति ने अद्भुत समा बांधा और दर्शकों का मन मोह लिया.
आख़िरी दिन प्रसिद्ध नृत्यांगना स्वेता देवेंद्र द्वारा भरतनाट्यम तथा क्षमा मालवीय द्वारा कथक साथियों के साथ समूह में नृत्य प्रस्तुत किया. दूसरी प्रस्तुति में शमा भाटे और साथियों द्वारा कथक समूह के जरिए बसंत के उल्लास को मंचित किया गया. उन्होंने उमंग की प्रस्तुति दी, जिसमें कृष्ण वंदना से बसंत के आगमन, सृष्टि के खिलने की, निरंतर बहते झरनों की,पंछियों के चहकने की, डालियों में झूलते झूलों की, नए पर्व के उल्लास की उमंगों को दर्शाया गया था.
तपस्या इम्फाल के कलाकारों द्वारा मणिपुरी समूह नृत्य से समारोह का समापन किया गया. नृत्यांगना तपस्या ने नृत्य का आग़ाज़ नट संकीर्तन से किया. यह पूजा का एक रूप है जो महायज्ञ के रूप में माना जाता है. यह श्रीमद्भागवत के सौंदर्य तत्व को प्रदर्शित करता है.
सम्मानित हुए कलाकार
इस समारोह में कलाकारों को सम्मानित भी किया गया. राष्ट्रीय कालिदास सम्मान, राज्य रूपंकर कला पुरस्कार, देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार, दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार, जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार, विष्णु चिंचालकर पुरस्कार, रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार, राम मनोहर सिन्हा पुरस्कार सागर प्रदान किए गए.
समारोह में भारतीय नृत्य शैलियों के सांस्कृतिक परिदृश्य एवं कला यात्रा की प्रदर्शनी कथक पर एकाग्र-नेपथ्य, भारत सहित विश्व के अन्य देशों की कला प्रदर्शनी आर्ट मार्ट, कलाकार और कलाविदों का संवाद कलावार्ता, वरिष्ठ चित्रकार लक्ष्मीनारायण भावसार की कला अवदान पर एकाग्र प्रदर्शनी प्रणति, देशज ज्ञान एवं परंपरा का मेला हुनर के साथ कला परंपरा और कलाकारों पर केंद्रित फ़िल्मों का प्रदर्शन किया गया.
मैराथन, पर्यटन और पेंटिंग प्रदर्शनी
समारोह के शुभारंभ के अवसर पर महिलाओं के लिए 20 फ़रवरी को पांच किलोमीटर की मैराथन भी हुई. इसके साथ ही समारोह में भारतीय नृत्य शैलियों के सांस्कृतिक परिदृश्य और कला यात्रा की प्रदर्शनी, कथक पर एकाग्र नेपथ्य, भारत सहित विश्व के अन्य देशों की कला प्रदर्शनी, कलाकार और कलाविदों का संवाद, वरिष्ठ चित्रकार लक्ष्मीनारायण भावसार की कला अवदान पर एकाग्र प्रदर्शनी, देशज ज्ञान एवं परंपरा का मेला और कलाकारों पर केंद्रित फ़िल्मों का उपक्रम जैसे प्रमुख आयोजन आयोजित किए गए.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के साथ कला-प्रेमियों ने पर्यटन का लुत्फ़ भी उठाया. उत्सव में हेरिटेज रन, ग्लेम्पिंग विलेज टूर, वाटर राफ्टिंग, ई बाइक टूर, खजुराहो के आसपास भ्रमण जैसी रोचक गतिविधियां भी आयोजित की गईं.
खजुराहो नृत्य महोत्सव के तहत कला प्रदर्शनी भी आयोजित की गई. उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा कला मार्ट 2022 के तहत चित्रकला प्रदर्शनी लगाई गई. इसमें देश के 10 कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं. प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्रों में से अधिकांश कलाकारों ने मूर्त शैली में कलाकृतियां तैयार की थीं.