लड़कियों को हमेशा ‘अच्छी लड़की’ बनने और बने रहने की ताकीद दी जाती रही है. पर क्या एक अच्छी लड़की बनना फ़ायदे का सौदा है? कवि गीत चतुर्वेदी अपने ही अनूठे अंदाज़ में अच्छी और बुरी लड़कियों के जीवन की तुलना कर रहे हैं.
सांप पालने वाली लड़की सांप काटे से मरती है
गले में खिलौना आला लगा डॉक्टर बनने का स्वांग करती लड़की
ग़लत दवा की चार बूंदें ज़्यादा पीने से
चिट्ठियों में धंसी लड़की उसकी लपट से मर जाती है
और पानी में छप्-छप् करने वाली उसमें डूब कर
जो ज़ोर से उछलती है वह अपने उछलने से मर जाती है
जो गुमसुम रहती है वह गुमसुम होने से
जिसके सिर पर ताज रखा वह उसके वज़न से
जिसके माथे पर ज़हीन लिखा वह उसके ज़हर से
जो लोकल में चढ़ काम पर जाती है वह लोकल में
जो घर में बैठ भिंडी काटती है वह घर में ही
दुनिया में खुलने वाली सुरंग में घुसती है जो
वह दुनिया में पहुंचने से पहले ही मर जाती है
बुरी लड़कियां मर कर नर्क में जाती हैं
और अच्छी लड़कियां भी स्वर्ग नहीं जातीं
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