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Home बुक क्लब कविताएं

रानियां सब जानती हैं: वर्तिका नन्दा की कविता

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
February 3, 2021
in कविताएं, बुक क्लब
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रानियां सब जानती हैं: वर्तिका नन्दा की कविता
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वर्तिका नन्दा की यह कविता उन रानियों की कहानी है, जिनके पास सारे सच तो थे, पर ज़ुबां बंद थी. सुख-सुविधाओं की चारदीवारी में क़ैद की गई रानियों के दिल की बात है यह कविता.

उनकी आंखों में सपने तैरते ही नहीं

वे भारी पलकों से रियासतें देखती हैं
सत्ताओं के खेल
राजा की चौसर

इन्हें भीपढ़ें

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September 24, 2024

वे इंतज़ार करती हैं
अपने चीर हरण का
या फिर आहुति देने का

वे जानती हैं
दीवार के उस पार से होने वाला हमला
तबाह करेगा सबसे पहले
उनकी ही दुनिया

पर वे यह भी जानती हैं
गुलाब जल से चमकती काया
मालिशें
ख़ुशबुएं
ये सब चक्रव्यूह हैं

वे जानती हैं
पत्थर की इन दीवारों में कोई रौशनदान नहीं
और पायल की आवाज़ में इतना ज़ोर नहीं

चीखें यहीं दबेंगी
आंसू यहीं चिपकेंगे
मकबरे यहीं बनेंगे

तारीख़ें यहीं बदलेंगी
पर उनकी क़िस्मत नहीं
रानियां बुदबुदाती हैं
गर्म दिनों में सर्द आहें भरती हैं
सुराही सी दिखकर
सुखी रहती हैं-अन्दर, बहुत अन्दर तक

राजा नहीं जानते
दर्द के हिचकोले लेती यही आहें
सियासतों को, तख़्तों को,
मिट्टी में मिला देती हैं एक दिन

राजा सोचा करते हैं
दीवारें मज़बूत होंगी
तो वे भी टिके रहेंगे

राजा को क्या पता
रानी में ख़ुशी की छलक होगी
मन में इबादत और
हथेली में सच्चे प्रेम की मेहंदी
तभी टिकेगी सियासत

रानियां सब जानती हैं
पर चुप रहती हैं
आंखों के नीचे
गहरे काले धब्बे
भारी लहंगे से रिसता हुआ ख़ून
थका दिल
रानी के साथ चलता है
तो समय का पहिया कंपकंपा जाता है

सियासतें कंपकंपा जाती हैं
तो राजा लगते हैं दहाड़ने
इस कम्पन का स्रोत जानने की नर्माहट
राजा के पास कहां है

रानियां जो जानती हैं
वे राजा नहीं जानते
न बेटे
न दासियां

हरम के अन्दर हरम
हरम के अन्दर हरम
तालों में
सीखचों में
पहरे में

हवा तक बाहर ठहरती है
और सुख भी

रानियां सब जानती हैं
पर मुस्कुराती हैं
मुस्कुराहट चस्पां है
बाक़ी भाव भी बाहर हैं पत्थरों की दीवारों के
दफ़न होंगे यहीं

रानियां जानती हैं
चाहे कितनी ही बार लिखे जाएं इतिहास
फटे हुए ये पन्ने उड़कर बाहर जा नहीं पाएंगे

रानियों के पास सेना नहीं है
सत्ता नहीं
राजपाट भी नहीं
लेकिन उनके पास सच है

मगर अफ़सोस!
सच के सन्दूकों की चाबी भी
राजा के ही पास है

हां, रानियां ये भी जानती हैं


कवयित्री: वर्तिका नन्दा
कविता संग्रह: रानियां सब जानती हैं
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
Illustration: Raja Ravi Verma Painting by Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaHindi KavitaHindi PoemKavitaPoem Collection Raniyan Sab Janti HainRaniyan Sab Janti Hain by Vartika NandaVani PrakashanVartika NandaVartika Nanda Poetryआज की कविताकविताकविता संग्रह रानियां सब जानती हैंरानियां सब जानती हैंरानियां सब जानती हैं वर्तिका नन्दावर्तिका नन्दावर्तिका नन्दा की कवितावाणी प्रकाशनहिंदी कविता
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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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