यदि सेक्शुअल संबंध उनकी सहमति से बनाए जाएं तो महिलाएं सेक्स का आनंद ज़्यादा अच्छी तरह उठा सकती हैं, क्योंकि उनके पास सेक्स का आनंद उठाने के लिए एक अलग अंग मौजूद है-क्लिटोरिस. पर अक्सर यह कहा जाता है कि महिलाओं की वजाइना में जी-स्पॉट होता है, जो उन्हें बहुत स्ट्रॉन्ग ऑर्गैज़्म तक पहुंचाता है. यह जी-स्पॉट कहीं वी-स्पॉट तो नहीं, जिसके बारे में कामसूत्र में वात्स्यायन ने 2000 साल पहले ही बता दिया था? पर चर्चा तो इस बारे में भी होती रहती है कि जी-स्पॉट/वी-स्पॉट मिथक है सच्चाई…? यहां आपको इसके बारे में एक्स्पर्ट सलाह मिलेगी.
इस धरती पर जीवित प्राणियों में केवल महिलाएं को ही ख़ासतौर पर एक अलग सेक्शुअल ऑर्गन मिला है, जिसके ज़रिए वे सेक्स का आनंद ले सकती हैं और वह अंग है : क्लिटोरिस. लेकिन यह अलग बात है कि बहुत-सी महिलाओं को इसके बारे में मालूम ही नहीं है या फिर वे इसे पेशाब करने का मार्ग यानी ’पी होल’ समझती हैं. जैसे क्लिटोरिस का होना ही अपने आप में इस बात के लिए पर्याप्त नहीं था कि वो पुरुषों को इस बात का एहसास दिला सके कि महिलाएं सेक्शुअल आनंद के मामले में पुरुषों से ज़्यादा भाग्यशाली हैं, तभी तो वर्ष 1950 में जर्मनी के नामचीन फ़िज़िशियन और साइंटिस्ट अर्नस्ट ग्रैफ़ेन्बर्ग ने दावा किया कि उन्होंने महिलाओं के शरीर में एक नई जगह की खोज की है, यदि यहां तक पहुंचा जा सके तो उन्हें अनकहा सुख और आनंद मिलता है. और बाद में इस कामोत्तेजक हिस्से का नाम उनके नाम पर जी-स्पॉट रखा गया.
जी-स्पॉट या वी-स्पॉट?
लेकिन महिलाओं को सुख पहुंचाने वाले इस दूसरे हिस्से यानी जी-स्पॉट की खोज आज तक विवादास्पद ही रही है. यदि आप कामसूत्र के बारे में जानते हैं तो वात्स्यायन के बारे में जानते ही होंगे, जो महिलाओं को सेक्स के दौरान आंनद मिले इस बात के बड़े पक्षधर थे और वे तो महिलाओं में इस हिस्से की मौजूदगी के बारे में पूरी तरह सुनिश्चित थे… वो भी आज से लगभग 2000 साल पहले. कामसूत्र में लिखा है,‘‘जब वह पुरुष का स्पर्श किसी निश्चित जगह पर महसूस करती हैऔर वह उस जगह दबाता है तो उनकी आंखें घूमने लगती हैं.’’ वात्स्यायन अपने पूर्ववती को कोट करते हुए कहते हैं ‘‘यह युवा महिलाओं का रहस्य है.’’
अध्येता और विचारक वेन्डी डॉनिगर, जिन्होंने साइकोऐनालिस्ट सुधीर कक्कड़ के साथ मिलकर कामसूत्र का संस्कृत से इंग्लिश में अनुवाद किया है, वे मानती हैं कि यूरोप के साइंटिस्ट्स को वात्स्यायन के ‘वी-स्पॉट’ की खोज के बारे में कभी मालूम ही नहीं था. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि सर रिचर्ड बर्टन, जिन्होंने वर्ष 1883 में कामसूत्र का पहली बाल इंग्लिश में अनुवाद किया था, उन्होंने इस पैसेज का ग़लत अनुवाद कर दिया था. डॉनिगर और कक्कड़ के द्वारा नए अनुवाद वाले कामसूत्र को ऑक्स्फ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने वर्ष 2002 में प्रकाशित किया था, जिसका उद्देश्य बर्टन के ग़लत अनुवाद वाले कामसूत्र को सही करना था.
डॉनिगर के अनुसार बर्टन ने ‘‘उनकी आंखें घूमने लगती हैं’’ वाले हिस्से को यूं समझ लिया था जैसे महिला किसी चीज़ की तरफ़ देख रही है, जबकि इसे उसके ख़ुशनुमा अनुभव के बाइप्रोडक्ट की तरह समझा जाना चाहिए था.
क्या कहना है एक्स्पर्ट का?
अब ये जो हुआ सो हुआ, पर हमसे वीवॉक्स के पटल पर किसी ने जानना चाहा कि जी-स्पॉट पर नवीनतम साइंटिफ़िक जानकारी क्या है? तो हमने डॉक्टर शर्मिला मजूमदार से पूछा, जो आइकान स्कूल ऑफ़ मेडिसिन, अमेरिका, से बोर्ड सर्टिफ़ाइड भारत की एकमात्र महिला सेक्सोलॉजिस्टऔर वीवॉक्स की संस्थापक सदस्य भी हैं. डॉक्टर मजूमदार ने हमें बताया,‘‘जी-स्पॉट महिलाओं की वजाइना का एक कामोत्तेजक हिस्सा है, जिसे उत्तेजित किया जाए तो महिलाओं को बहुत तगड़ी सेक्शुअल उत्तेजना होती है, तेज़ आर्गैज़्म आ सकता है और स्खलन (इजैकुलेशन) हो सकता है. ऐसा कहा जाता है कि यह वजाइना की दीवार में दो से तीन इंच गहराई में वजाइनल ओपनिंग और यूरीथ्रा के बीच होता है. यह बहुत संवेदशील क्षेत्र है, जो महिला प्रोस्टेट का हिस्सा भी हो सकता है. लेकिन, आज तक ना तो जी-स्पॉट की मौजूदगी को साबित किया जा सका है और ना ही महिलाओं के इजैकुलेशन के स्रोत को.
फ़ोटो: गूगल
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