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क्या आप मैस्टर्बेशन से जुड़े मिथकों के जाल में हैं? यहां दूर करें सारे असमंजस

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
April 9, 2021
in प्यार-परिवार, रिलेशनशिप
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क्या आप मैस्टर्बेशन से जुड़े मिथकों के जाल में हैं? यहां दूर करें सारे असमंजस
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हस्तमैथुन यानी मैस्टर्बेशन के बारे में युवाओं के बीच कई मिथक फैले होते हैं. हमारे दश में जहां सेक्स पर बात करना वर्जित माना जाता है, वहां हस्तमैथुन पर खुलकर बात कौन करेगा? पर यह बात करना ज़रूरी है, ताकि कई लोगों को इसकी भ्रांतियों के जाल से बचाया जा सके. यहां आप मैस्टर्बेशन को लेकर अपने सारे असमंजस दूर कर सकते हैं.

आपने हस्तमैथुन के बारे में चाहे जो सुन रखा हो, पर सच्चाई यह है कि मैस्टर्बेशन आपकी सेक्शुअल आवश्यकताओं को संतुष्ट करनेवाली बुनियादी गतिविधि है, जिसे लेकर हमारे समाज में कई मिथक पसरे हुए हैं. कोई इसे अच्छा बताता है, कोई बुरा और कई लोग इस बात की ग्लानि में जीते हैं कि वे हस्तमैथुन करते हैं. अपनी सेक्शुअल उत्तेजना को ख़ुद ही शांत करना (बिना किसी सेक्शुअल पार्टनर के) कितना सही है और कितना ग़लत यहां हम इसी बात पर चर्चा करने जा रहे हैं.

सबसे पहले जानिए हस्तमैथुन के फ़ायदे
जब हम मैस्टर्बेशन करते हैं तो हमारे शरीर में वही हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो किसी पार्टनर के साथ सेक्शुअल रिश्ते बनाने पर होते हैं, जैसे- डोपामाइन, जो हमें ख़ुशी का एहसास देता है; एन्डॉर्फ़िन, जो तनाव दूर करता है, मूड को बेहतर बनाता है और दर्द से राहत दिलाने में कारगर होता है और ऑक्सिटोसिन, जिसे लव हार्मोन भी कहा जाता है. यही वजह है कि जब हम हस्तमैथुन करते हैं तो हमें बेहतर महसूस होता है और हमें अच्छी नींद भी आती है. मैस्टर्बेशन के दौरान टेस्टोस्टेरॉन भी रिलीज़ होता है, जो हमारे स्टैमिना को बढ़ाता है और एक हार्मोन प्रोलैक्टिन भी स्रवित होता है, जो आपके मूड के साथ-साथ आपकी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.
यूं देखा जाए तो हमारे दिमाग़ पर हस्तमैथुन का वही असर पड़ता है, जो सेक्स से पड़ता है. कई रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स हस्तमैथुन को बिल्कुल सामान्य मानते हैं और कुंवारे लोगों के साथ-साथ विवाहित जोड़ों को भी तब हस्तमैथुन करने की सलाह देते हैं, जब कोई एक पार्टनर सेक्शुअल रिलेशन न चाहता हो और दूसरा चाहता हो.

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क्या इसके नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं?
दरअस्ल, होता यूं है कि सेक्स से जुड़ी बातें हमारे यहां वर्जित हैं इसकी वजह से हस्तमैथुन को लेकर इस तरह के मिथक फैले हुए हैं कि यह एक ‘गलत आदत’ है. इन पूर्वाग्रहों से ग्रस्त लोग जब कभी हस्तमैथुन करते हैं तो इसके बाद वे इसके प्रति अपराध भावना से या नकारात्मक भावना से ग्रस्त हो जाते हैं. एक मिथक यह भी है कि मैस्टर्बेशन केवल युवक ही करते हैं, युवतियां नहीं करतीं, कर सकतीं या उन्हें नहीं करना चाहिए. जबकि यह भी सही नहीं है. मैस्टर्बेशन एक नैचुरल प्रक्रिया है, जिसे धार्मिक और सामाजिक रूढ़ियों के चलते नीम-हक़ीमों के आसानी से उपलब्ध पर्चों में अनैतिक या ग़लत करार दे दिया गया. और चूंकि यह हमारे समाज का वर्जित विषय है, इस पर रौशनी डालना किसी ने ज़रूरी नहीं समझा. तो बात का सार यह है कि अपनी सेक्शुअल इच्छाओं को मैस्टर्बेशन से पूरा करने का आमतौर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं हैं, लेकिन केवल तभी जबकि आप ख़ुद इसे लेकर अपने भीतर किसी तरह की ग्लानि न पाले बैठे हों. 

तो मैस्टर्बेशन अच्छा है या बुरा?
अपनी सेक्शुअल उत्तेजना को ख़ुद ही शांत करने के इस तरीक़े यानी मास्टर्बेशन के कोई साइड इफ़ेक्ट्स नहीं हैं और यह ख़ुद को संतुष्ट करने का सबसे सुरक्षित तरीक़ा है- युवकों और युवतियों दोनों के लिए, फिर चाहे वे कुंवारे हों या शादीशुदा. यदि आप सहज महसूस करते हैं तो बेझिझक ख़ुद को संतुष्ट करें, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अति किसी चीज़ की अच्छी नहीं होती है. यदि आपने मैस्टर्बेशन को इस हद तक अपनी आदत बना लिया है कि आप उत्तेजना के लिए पॉर्न देख रहे हैं और आपको इसकी लत लग गई है तो यह अच्छा नहीं है. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि यह स्वाभाविक सेक्स का एक विकल्प है, जो पार्टनर की ग़ैरमौजूदगी में आपको संतुष्ट रखता है. अत: मैस्टर्बेशन को ही सेक्स समझने की भूल न करें. और हां, यदि आप मैस्टर्बेशन को सहज प्रक्रिया की तरह अपनाकर ख़ुश होते हैं तो इसे अपनाएं, लेकिन यदि आप किसी ग्लानि से भर जाते हैं तो इसे न अपनाएं. सच पूछिए तो अपनी ख़ुशी के लिए मैस्टर्बेशन करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन किसी भी तरह के दबाव में आकर ऐसा करने से बचें.

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

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टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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