एक राजकुमार की शादी के अवसर पर आतिशबाज़ी के लिए लाए गए पटाख़ों की आपस में मनोरंजक बातचीत. एक रॉकेट ख़ुद को विशिष्ट मानता है, पर क्या वह असल में विशिष्ट साबित हो पाता है?
राजकुमार की शादी होने वाली थी. उत्सवमय वातावरण था. पूरा एक वर्ष उसने अपनी दुल्हन की प्रतीक्षा की थी और अन्तत: वह आ चुकी थी. वह एक रूसी राजकुमारी थी, और उसने फ़िनलैंड से सारा रास्ता छ: रेनडियरों द्वारा खींची जाने वाली स्लेज से तय किया था. स्लेज एक बड़े स्वर्णिम राजहंस के आकार-सी थी और राजहंस के पंखों के बीच बैठी थी स्वयं राजकुमारी. उसका कीमती फ़र वाला लबादा उसके पैरों तक झूल रहा था. उसके सर पर थी चान्दी के रंग के कपड़े की छोटी-सी टोपी और वह अपने उस बर्फ़ीले महल जैसी सफ़ेद थी, जिसमें वह सदा रहती आई थी. वह इतनी सफ़ेद थी कि जब अपनी स्लेज में गलियों से गुज़री तो लोग हैरान रह गए.
“वह सफ़ेद गुलाब जैसी है!” वे चिल्लाए और उन्होंने अपने घरों की बाल्कनियों से उस पर फूल बरसाए.
राजमहल के द्वार पर राजकुमार उसकी प्रतीक्षा कर रहा था. उसकी आंखें स्वप्निल और नील-पुष्पी थीं और उसके बाल खरे सोने जैसे थे. उसे देखकर वह एक घुटने के बल झुका और और उसका हाथ चूम लिया.
“तुम्हारी तस्वीर सुन्दर थी,” राजकुमार बोला,“परन्तु तुम अपनी तस्वीर से अधिक सुन्दर हो .” नन्हीं राजकुमारी का मुख लज्जारुण हो गया.
“राजकुमारी पहले सफ़ेद गुलाब-सी थी.” एक परिचर ने अपने साथ वाले से कहा,“लेकिन अब वह लाल गुलाब-सी है.” और सारा दरबार प्रसन्न हो उठा.
अगले तीन दिन तक हर व्यक्ति यही कहता रहा “सफ़ेद गुलाब, लाल गुलाब, लाल गुलाब, सफ़ेद गुलाब.” और राजा ने आदेश दिया कि नौकर का वेतन दुगना कर दिया जाए.” और क्योंकि उसे वेतन मिलता ही नहीं था, इस बढ़ोतरी का उसके लिए कोई अर्थ ही नहीं था फिर भी इस बढ़ोतरी को एक बहुत बड़ा सम्मान माना गया और इसे दरबारी राजपत्र में प्रकाशित भी किया गया.
तीन दिन पूरे होने के पश्चात शादी का जश्न मनाया गया.
यह एक भव्य समारोह था, और दूल्हा-दुल्हन मोतियों से कढ़ाई किए हुए बैंजनी मख़मल के चंदवे तले, हाथ में हाथ लिए घूम रहे थे. फिर वहां राजकीय दावत भी थी, जो पांच घण्टे चली. राजकुमारी और राजकुमारी महा-कक्ष में सबसे ऊंचे स्थान पर बैठे और उन्होंने एकदम स्पष्ट कांच के जाम से शराब पी. केवल सच्चे प्रेमी ही इस जाम से पी सकते थे, क्योंकि झूठे होंठों द्वारा छुए जाने पर इसका रंग धूसर, फीका और बादलों जैसा पड़ जाता था.
“बिल्कुल स्पष्ट है कि वे दोनों इक-दूजे से प्रेम करते हैं,” छोटे परिचर ने कहा “बिल्कुल कांच की तरह स्पष्ट!” और राजा ने उसका वेतन दूसरी बार फिर दो-गुना कर दिया. “कितना बड़ा सम्मान है यह!” दरबारी चिल्लाए.
दावत के बाद नृत्य भी होना था. दूल्हा-दुल्हन को इकठ्ठे गुलाब-नृत्य भी करना था, और राजा ने बांसुरी बजाने का वादा भी किया था. उसने बहुत बुरी बांसुरी बजाई, लेकिन किसी ने उसे यह बताने का साहस कभी किया ही नहीं था, क्योंकि वह राजा था. वास्तव में उसे केवल दो ही धुनें निकालनी आती थीं और वह कभी भी निश्चित रूप से बता नहीं पाता था कि वह कौन-सी धुन निकाल रहा होता था, लेकिन हर दरबारी चिल्ला उठा,“वाह वाह! वाह वाह!’’
कार्यक्रम की अंतिम कड़ी थी, पटाख़ों की भव्य प्रदर्शनी जो कि ठीक आधी रात को आरम्भ होने वाली थी. नन्हीं राजकुमारी ने अपने जीवन में कभी पटाख़ा देखा ही नहीं था, इस लिए राजा ने आदेश दिए थे कि शाही आतिशबाज़ राजकुमारी की शादी के दिन विशेष रूप से हाज़िर रहे.
“कैसे होते हैं पटाख़े?” एक सुबह जब वह खुली छत पर सैर कर रहे थे, राजकुमारी ने राजकुमार से पूछा था. “पटाख़े उत्तर-ध्रुवीय ज्योति जैसे होते हैं.” उत्तर राजा ने दिया था जो सदा अन्य लोगों से पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर स्वयं देता था,“केवल पटाख़े अधिक प्राकृतिक होते हैं और मैं उन्हें सितारों से अधिक तरजीह देता हूं, क्योंकि आपको हमेशा पता होता है कि ये (पटाख़े) प्रकट कब होने जाने रहे हैं और ये मेरी बांसुरी की तरह ही आनन्ददायक भी होते हैं. तुम्हें पटाख़े अवश्य देखने चाहिए.”
इसलिए राजा के उद्यान के छोर पर मंच-सा लगवाया गया और जैसे ही शाही आतिशबाज़ ने हर वस्तु सही स्थान पर रख दी, पटाख़ों ने आपस में बतियाना शुरू कर दिया.
“निश्चित रूप से संसार बेहद सुन्दर है.” एक नन्हीं फुलझड़ी ने कहा “देखो तो वो पीले ट्यूलिप. क्यों! अगर वे सचमुच के पटाख़े होते तो इतने सुन्दर नहीं होते. मुझे बहुत ख़ुशी है कि मैं बहुत घूमी -फिरी हूं. यात्रा आश्चर्यजनक ढंग से दिमाग़ को बेहतर बनाती है, और सभी पूर्वग्रहों से मुक्त करती है.”
“मूर्ख फुलझड़ी! राजा का उद्यान ही तो संसार नहीं है,” एक बड़ी रोमन बत्ती ने कहा,“संसार तो बहुत बड़ी जगह है जिसे पूरी तरह से देखने के लिए तुम्हें तीन दिन लगेंगे.”
“वह कोई भी स्थान जिसे आप प्यार करते हैं, आपके लिए संसार है.” एक उदास चकरी ने कहा जो अपने आरम्भिक जीवन में एक पुराने डिब्बे से दिल लगा बैठी थी और अपने टूटे हुए दिल पर गर्वित रहती थी; “परन्तु आजकल प्रेम फ़ैशन में नहीं है, कवियों ने प्रेम की हत्या कर दी है. उन्होंने प्रेम के बारे में इतना अधिक लिखा है कि किसी को उन पर विश्वास ही नहीं रहा है, और मैं स्वयं भी अचम्भित नही हूं. सच्चे प्रेम को यन्त्रणाएं झेलनी ही पड़ती हैं और वह मौन रहता है. मुझे स्वयं याद है एक बार… लेकिन अब इसका कोई अर्थ भी नहीं है. रोमांस अब अतीत की बात है.” “बकवास!” रोमन बत्ती बोली “रोमांस कभी मरता नहीं. यह चांद-सा होता है. उदाहरण के लिए: दूल्हा और दुल्हन इक-दूजे से बहुत, प्रेम करते हैं. मैंने आज सुबह ही एक भूरे क़ाग़ज़ वाले कारतूस से उनके बारे में सब कुछ सुना है. कारतूस मेरे ही ड्रॉअर में ठहरा हुआ था, और उसे दरबार की ताज़ा ख़बरें मालूम थीं.”
परन्तु चकरी ने असहमति में सर हिलाया. “रोमांस मर चुका है, रोमांस मर चुका है, रोमांस मर चुका है,” वह बड़बड़ाई. वह उन लोगों में से थी जो सोचते हैं कि बार-बार दोहरा कर कही जाने वाली बात अन्तत: सत्य हो जाती है.
तभी एक तीखी और सूखी खांसी सुनाई दी, और वे सब उधर देखने लगे. यह खांसी थी एक लम्बे, दंभी रॉकेट की जो एक लम्बी छड़ी के सिरे से बंधा था. अपनी राय प्रकट करने से पहले वह हमेशा खांसता था, मानो ध्यान आकर्षित के लिए. “अहम! अहम! ” उसने कहा, और सबके कान खड़े हो गए, बेचारी चकरी के इलावा, जो अभी भी अपना सर असहमति में हिलाए जा रही थी और बड़बड़ाए जा रही थी “रोमांस मर चुका है. ”
“ऑडर! ऑडर! एक पटाखा चिल्लाया. वह राजनेता जैसा कुछ था, और स्थानीय चुनावों में सदा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, इसलिए उसे सभी संसदीय भंगिमाओं का प्रयोग करना आता था.”
“बिल्कुल मर चुका है” चकरी बुदबुदाई और सो गई.
सम्पूर्ण शांति होते ही रॉकेट तीसरी बार खांसा. वह बहुत धीमी, स्पष्ट आवाज़ में बोल रहा था मानो अपना जीवन-वृत्त लिखवा रहा रहा हो, और वह हमेशा जिससे बात कर रहा होता उसके कांधे के पार ही देखता था. वास्तव में उसका अपना एक उत्कृष्ट अंदाज़ था. “राजकुमार का कितना बड़ा सौभाग्य है”, उसने कहा,“कि उसकी शादी उसी दिन हो रही है जिस दिन मुझे छोड़ा जाना है. सच, अगर इस शादी का आयोजन पहले किया गया होता, तो यह उसके लिए शुभ सिद्ध नहीं होता; परन्तु, राजकुमार हमेशा भाग्यशाली होते हैं.”
“प्यारे!” नन्ही फुल्झड़ी ने कहा,“मैं तो बिल्कुल उलट सोच रही थी, और यह सोच रही थी कि हमें राजकुमार के सम्मान में चलाया जाएगा.’’
“ऐसा तुम्हारे साथ हो सकता है,’’ उसने उत्तर दिय,‘‘वास्तव में मुझे इसमें कोई सन्देह भी नहीं है, लेकिन मेरी बात और है. मैं तो बहुत विशिष्ट रॉकेट हूं, और बहुत विशिष्ट मां-बाप की संतान हूं. मेरी माता जी अपने समय की प्रख्यात चकरी थीं और अपने भव्य नृत्य के लिए प्रसिद्ध थीं. अपनी महान सार्वजनिक प्रदर्शनी में जल-बुझने से पहले उन्होंने उन्नीस चक्कर लगाए थे और हर चक्कर में सात गुलाबी सितारे हवा में छोड़े थे. वह अपने व्यास में साढ़े तीन फ़ुट थीं, और सर्वोत्तम बारूद से निर्मित थीं. मेरे पिता जी भी मेरी ही तरह एक रॉकेट थे और फ़्रांसिसी वंश के थे. वे इतने ऊंचे उड़े कि लोग डर गए कि वे कभी लौटेंगे ही नहीं. लेकिन वे लौटे, क्योंकि वे बहुत दयालु थे, सुनहरी बरसात की फुहार के साथ यह उनका भव्यतम अवरोहण था. समाचार-पत्रों ने उनके प्रदर्शन के बारे में बहुत लच्छेदार भाषा का प्रयोग किया था. वास्तव में दरबारी राजपत्र ने उन्हें ‘आशिक़बाज़ी’ कला की विजय माना था.’’
“आतिशबाज़ी, आतिशबाज़ी, आपका अभिप्राय है,” बंगाली चिराग़ ने कहा “मैं जानता हूं यह शब्द ‘आतिशबाज़ी’ है, क्योंकि यह शब्द मैंने अपने कनस्तर पर लिखा देखा है.”
“मैंने कहा ‘आतिशबाज़ी ’,” रॉकेट ने कठोर स्वर में उत्तर दिया और बंगाली चिराग़ ने स्वयं को इतना दमित अनुभव किया कि उसने एकदम छोटे पटाखों को धमकाना शुरू कर दिया यह दिखाने के लिए कि वह अभी भी कुछ महत्व का है.
“हां, तो मैं कह रहा था,” रॉकेट अपनी बात को जारी रखते हुए बोला,“मैं कह रहा था -मैं क्या कह रहा था?”
“आप अपने बारे में बात कर रहे थे.” रोमन बत्ती ने उत्तर दिया. “बेशक; मैं जानता हूं, मैं किसी बहुत रुचिकर विषय पर बात कर रहा था जब मुझे इतनी अभद्रता से बीच में टोका गया था. मुझे घृणा है हर प्रकार की अभद्रता और अशिष्टता से. क्योंकि मैं बहुत संवेदनशील हूं. समूचे संसार में मुझ जैसा संवेदनशील व्यक्ति और कोई नहीं हैं, मुझे विश्वास है.’’
“संवेदनशील व्यक्ति क्या होता है? ” एक फुलझड़ी ने रोमन बत्ती से पूछा.
“वह व्यक्ति जिसे घट्ठे तो अपने पैरों की उंगलियों में होते हैं, लेकिन वह कुचलता दूसरों के पांवों की उंगलियों को है.” रोमन बत्ती ने हौले से फुसफुसा कर उत्तर दिया. और फुलझड़ी हंसी के मारे लगभग खिल ही उठी.”
“कितना संवेदनशील व्यक्ति होता है वह!” फुलझड़ी ने रोमन बत्ती से कहा. “कृपया बताएंगी कि आपको हंसी किस बात पे आ रही है? मैं तो बिल्कुल नहीं हंस रहा.”
“मैं हंस रही हूं क्योंकि मैं ख़ुश हूं.” फुलझड़ी ने उत्तर दिया.
“यह तो बहुत स्वार्थी उत्तर है,” रॉकेट ने क्रोधित होकर कहा. “तुम्हें प्रसन्न होने का अधिकार ही क्या है? तुम्हें औरों के बारे में सोचना चाहिए. वास्तव में, तुम्हें मेरे बारे में सोचना चाहिए. मैं सदा अपने बारे में सोचता हूं, और मैं सबसे अपेक्षा भी यही करता हूं कि वे मेरे ही बारे में सोचें. इसे कहते हैं सहानुभूति. यह बहुत सुन्दर सद्गुण है, और मैं इसके भारी दर्ज़े का स्वामी हूं. उदाहरण के लिए मान लो आज की रात मुझे कुछ हो जाए, तो यह औरों के लिए कितना बड़ा दुर्भाग्य होगा! राजकुमार और राजकुमारी फिर कभी ख़ुश नहीं रह पाएंगे, उनका समूचा वैवाहिक जीवन नष्ट हो जाएगा; जहां तक राजा की बात है, मैं जानता हूं कि वह इस सदमे से बाहर आ ही नहीं पाएगा. सच, जब मैं अपनी स्थिति की महत्ता के बारे में सोचता हूं, तो मेरे आंसू ही निकल आते हैं.”
“अगर आप दूसरों को ख़ुशी देना चाहते हैं” रोमन-बत्ती चिल्लाई,“तो बेहतर होगा कि आप सवयं को सूखा रखें.” “निश्चित रूप से!” बंगाली चिराग़ जो अब अच्छे मिज़ाज में था, ने विस्मित हो कर कहा,“एक मात्र सहज-बुद्धि तो यही है.”
“साधारण-बुद्धि, वास्तव में!” रॉकेट ने क्रुद्ध होकर कहा,“तुम भूल रहे हो कि मैं बहुत असाधारण हूं, और बहुत विशिष्ट. क्यों, साधारण बुद्धि तो किसी के पास भी हो सकती है, अगर उनकी कल्पना शक्ति उनका साथ न दे तो. परन्तु मैं बहुत कल्पनाशील हूं, क्योंकि मैं चीज़ों को उनकी वास्तविकता में नहीं देखता; मैं उनकी भिन्नता के बारे में सोचता हूं. जहां तक अपने आप को सूखा रखने की बात है, यहां प्रत्यक्षत: किसी भावुक प्रकृति को समझने वाला कोई है ही नहीं. भाग्यवश, मुझे अपनी कोई चिन्ता ही नहीं है. एक ही चीज़ जो किसी को उसके जीवन में बनाए रखती है, वह है, प्रत्येक अन्य व्यक्ति की अत्याधिक हीनता के प्रति चेतना और यही भावना है जिसे मैंने सदा अपने हृदय में पोषित किया है. लेकिन तुम में से किसी के भी पास हृदय तो है ही नहीं. यहां तुम इस तरह हंस रहे हो और मज़े कर रहे हो मानो राजकुमारी और राजकुमारी की शादी हुई ही नहीं हो.”
“अच्छा! सच!” एक छोटे-से आग के गुब्बारे ने विस्मय प्रकट किया,“क्यों नहीं? यह तो अत्याधिक हर्ष का अवसर है और मैं चाहता हूं जब मैं हवा में ऊंचा उड़ूं तो सितारों को भी समाचार दूं. आप सितारों को टिमटिमाता हुआ देखेंगे जब मैं उन्हें सुन्दर दुल्हन के बारे में बताऊंगा.’’
“कितना तुच्छ जीवन दर्शन है!” रॉकेट ने कहा,“परन्तु यह मेरी आशा के ही अनुरूप है. तुममें है ही क्या? तुम खोखले और ख़ाली हो. क्यों, हो सकता है राजकुमार और राजकुमारी किसी ऐसे देश में चले जाएं जहां एक बहुत गहरी नदी हो, और हो सकता है उनके यहां राजकुमार की ही तरह सुन्दर बालों और नीलपुष्पी आंखों वाला एक मात्र पुत्र, जन्म ले और हो सकता है कि अपनी आया के साथ वह सैर के लिए जाए; और हो सकता है कि आया किसी बड़े-बूढ़े पेड़ के नीचे सो जाए; और हो सकता है कि नन्हा बालक नदी में डूब जाए. कितना भयानक दुर्भाग्य होगा! बेचारे लोग, इकलौता पुत्र खो देना! यह तो सचमुच बहुत भयानक है! मैं तो ऐसे सदमे से उबर ही नहीं पाऊंगा.’’
“लेकिन उन्होंने अपना इकलौता बेटा नहीं खोया है,” रोमन बत्ती ने कहा,“उनके साथ कोई अनर्थ हुआ ही नहीं है.”
“मैंने कभी नहीं कहा कि उनके साथ कोई अनर्थ हुआ है,’’ रॉकेट ने उत्तर दिया,“मैंने कहा उनके साथ हो सकता है. अगर उन्होंने अपना इकलौता बेटा खोया होता तो इस विषय में कुछ कहना ही व्यर्थ होता. बीती बातों पर रोने वालों से मुझे घृणा है. लेकिन जब मैं सोचता हूं कि वे अपना इकलौता बेटा खो सकते हैं तो मैं बहुत द्रवित हो उठता हूं.”
“आप सचमुच बहुत द्रवित हैं!” बंगाली चिराग़ चिल्लाया,“वास्तव में मैंने आपसे अधिक द्रवित व्यक्ति कभी देखा ही नहीं.”
‘‘और मैंने तुमसे अधिक उजड्ड व्यक्ति नहीं देखा,’’ रॉकेट ने कहा,“और तुम राजा के साथ मेरी मित्रता को कभी समझ भी नहीं पाओगे.”
“आप तो राजा को जानते भी नहीं.” रोमन-बत्ती गुर्राई.
“मैंने कभी नहीं कहा मैं राजा को जानता हूं” रॉकेट ने उत्तर दिया,“मुझमें यह कहने का साहस है कि अगर मैं उसे जानता होता तो मैं उसका मित्र हो ही नहीं सकता था. अपने मित्रों को जानना सबसे ख़तरनाक बात है.”
“बेहतर होगा आप सचमुच स्वयं को सूखा रखें,” आग के ग़ुब्बारे ने कहा. “यह सबसे महत्वपूर्ण है.”
“तुम्हारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसमें मुझे कोई सन्देह नहीं,” रॉकेट ने उत्तर दिया,“लेकिन मैं तो अपनी मर्ज़ी से रोऊंगा;” और सचमुच उसके असली आंसू निकल आए जो उसकी छड़ी तक बारिश की बूंदों की तरह बह निकले और उन आंसुओं ने दो भृंगों को लगभग डुबो दिया जो इकट्ठे अपना घर बसाने के बारे में सोच ही रहे थे, और रहने के लिए किसी बढ़िया सूखी जगह की तलाश में थे.
“यह तो सचमुच रूमानी प्रकृति का होगा,” चकरी ने कहा,“क्योंकि यह तो तब भी रो लेता है जब रोने जैसी कोई बात ही नहीं होती;” उसने गहरी उच्छ्वास भरी, और अपने डिब्बे को बहुत याद किया.”
लेकिन रोमन बत्ती और बंगाली चिराग़ बहुत क्रुद्ध थे और अपनी ऊंची आवाज़ों में “छल-कपट! छल-कपट!” कहे जा रहे थे.
वे अत्याधिक व्यावहारिक थे और उन्हें जब भी किसी चीज़ से एतराज़ होता वे इसे ‘छल-कपट’ कहा करते थे.
तभी चांदी की अद्भुत ढाल की तरह चांद निकल आया: सितारे चमक उठे, और संगीत की धुनें राजमहल में बज उठीं.
राजकुमार और राजकुमारी नृत्य में सबसे आगे थे. वे इतना सुन्दर नाच रहे थे कि लम्बी सफ़ेद कुमुदिनियां खिड़कियों से झांक-झांक कर उन्हें देख देख रही थीं और पोस्त के लाल बड़े-बड़े फूल झूमते हुए अपना समय बिता रहे थे.
फिर दस बज गए, फिर ग्यारह, फिर बारह, और फिर आधी रात के गजर पर सब लोग अपने अपने घरों की छतों पर आ गए और राजा ने शाही आतिशबाज़ को बुलवा भेजा.
“पटाख़े शुरू किए जाएं,” राजा ने कहा, और शाही आतिशबाज़ ने राजा को झुक कर सलाम किया, और उद्यान के छोर की ओर बढ़ चला. उसके साथ छ: परिचर थे जिनके हाथों में मशालें थीं.
प्रदर्शन वास्तव में बहुत उत्कृष्ट था.
विज़्ज़! विज़्ज़! चली चकरी, गोल-गोल घूमती हुई. “बूम! बूम! चली रोमन-बती. सारे उद्यान में नाचीं फुलझड़ियां, बंगाली चिराग़ जला तो हर चीज़ सिंदूरी लाल दिखाई दी. आसमान की ओर तेज़ी से उड़ते आग के ग़ुब्बारे ने अलविदा कही. भड़ाम! भड़ाम! उत्तर दिया मस्त पटाख़ों ने. विशिष्ट रॉकेट के अतिरिक्त हर पटाख़ा सफल रहा. रो-रो कर वह इतना सीला हो गया था कि वह चल ही नहीं पाया. बारूद उसकी बेहतरीन शक्ति थी लेकिन आंसुओं ने उसे इतना गीला कर दिया था कि वह किसी काम का ही नहीं रहा था. उसके सब ग़रीब सम्बन्धी, जिनसे वह कभी बात भी नहीं करना चाहता था और जिनके प्रति वह केवल घृणा दर्शाता था, आग के फूलों की सुनहरी मंजरियों की तरह आकाश की ओर छूटे. “वाह! वाह!” दरबारी चिल्लाए और नन्ही राजकुमारी आनन्दित हो कर हंस दी.
“मुझे लगता है कि वे मुझे किसी और भव्य अवसर के लिए आरक्षित रख रहे हैं,” रॉकेट ने कहा,“नि:सन्देह इसका यही अभिप्राय है,” और वह पहले से भी कहीं अधिक उजड्ड दिखाई दे रहा था.
अगले दिन नौकर सफ़ाई के लिए आए. “यह तो प्रत्यक्ष रूप से राजा का प्रतिनिधि मण्डल है,” रॉकेट ने कहा,“मैं उनका उचित गरिमा से स्वागत करूंगा,’’ इसलिए उसने अपनी नाक हवा में कर ली और बड़े कठोर ढंग से अपनी भवें तान लीं मानो वह किसी बहुत महत्वपूर्ण विषय पर मनन कर रहा हो. परन्तु उन्होंने उसे देखा तक नहीं, बस जाते जाते एक नौकर ने उसे उठा कर कहा,“हैलो!” वह चिल्लाया, “कितना खोटा रॉकेट है यह!” और उसने रॉकेट को दीवार से परे की गन्दी नाली में फेंक दिया.
“खोटा रॉकेट? खोटा रॉकेट? ” हवा में झूलते हुए उसने कहा,“असम्भव! खरा रॉकेट! यही कहा था उस आदमी ने. खोटा और खरा शब्द एक ही जैसे सुनाई देते हैं, वास्तव में दोनों का अर्थ भी एक ही होता है” और वह कीचड़ में जा गिरा.
“यहां तो बिल्कुल भी आराम नहीं है,” उसने कहा,“लेकिन बेशक यह बहुत अद्भुत पानी का स्थान है, और उन्होंने मुझे स्वास्थ्य-लाभ के लिए यहां भेजा है. सचमुच मेरी नसें बहुत टूट-फूट चुकी हैं, और मुझे आराम की ज़रूरत है. ”
तभी चमकती हुई रत्नित आंखों और हरे चित्तीदार कोट वाला एक मेंढ़क तैरता हुआ उसकी ओर बढ़ा. “नए आए हो? मैं देख रहा हूं!” मेंढ़क ने कहा, “कीचड़ से शानदार जगह कोई हो ही नहीं सकती. मुझे तो बरसात का मौसम और एक नाली दे दो, और मुझसे अधिक प्रसन्न कोई और हो ही नहीं सकता. तुम्हें लगता है दोपहर बाद बारिश होगी? पक्का होगी, मुझे आशा है, लेकिन आसमान काफ़ी नीला और बादल -रहित है. कितनी बुरी बात है! ”
“अहम! अहम!” रॉकेट ने कहा और उसने खांसना शुरू किया.
“कितनी आनन्दप्रद आवाज़ है आपकी!” मेंढ़क टर्राया. वास्तव में यह तो मेरी टर्टराहट की तरह है, और बेशक टर्टराहट विश्व की सबसे अधिक संगीतमयी ध्वनि है. आज शाम को आप हमारी उल्लास-सभा का संगीत सुनेंगे. हम किसान के घर के पास वाले बतख़ों के तालाब में बैठते हैं और चांद निकलते ही हमारा संगीत शुरू हो जाता है यह संगीत इतना सम्मोहक होता है कि हमें सुनने के लिए लोग जागे रहते हैं. वस्तव में, कल ही तो किसान की पत्नी को मैंने कहते हुए सुना कि वह हमारी वजह से एक क्षण भी सो नहीं पाई. कितना सुखद होता है स्वयं को इतना लोकप्रिय पाना!”
“अहम! अहम!” रॉकेट क्रुद्ध होकर बोला. वह बहुत क्षुब्ध था क्योंकि वह एक भी शब्द समझ नहीं पाया था.
“बहुत ही आनन्दप्रद आवाज़, निश्चित रूप से” मेंढ़क कहता रहा : “मुझे आशा है कि आप बतख़ों के तालाब में ज़रूर आएंगे. मैं अपनी बेटियों की रखवाली करने जा रहा रहा हूं. मेरी छ: सुन्दर बेटियां हैं, मुझे ख़तरा है कि उन्हें कहीं पाइक मछली न मिल जाए. वह तो सम्पूर्ण दैत्य है, जिसे उनका नाश्ता करने में कोई झिझक नहीं होगी. अच्छा, अलविदा; मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैंने हमारे वार्तालाप का भरपूर आनन्द उठाया है.’’
“वार्तालाप, सच!” रॉकेट ने कहा,“सारा समय तो तुम बोलते रहे. यह तो वार्तालाप नहीं होता.”
“कोई सुने भी तो,” मेंढ़क ने उत्तर दिया,“और मुझे तो हर समय बोलते रहना अच्छा लगता है. इससे समय बचता है और तर्क- वितर्क से बचा जा सकता है.”
“लेकिन मुझे तो तर्क-वितर्क पसन्द है” रॉकेट ने कहा. मुझे आशा है, ऐसा नहीं है.” मेंढ़क ने आत्म-मुग्ध भाव से कहा. “तर्क-वितर्क तो अत्याधिक अशोभनीय होते हैं, क्योंकि अच्छे समाज में सब लोगों का मत एक ही रहता है. आपको दूसरी बार अलविदा; मुझे अपनी बेटियां दूर दिखाई दे रही हैं,” कह कर नन्हा मेंढ़क वहां से भाग लिया.
“तुम तो बहुत चिढ़ा देने वाले व्यक्ति हो,” रॉकेट ने कहा, “और बहुत ही अशिष्ट भी. मुझे घृणा है ऐसे लोगों से जो केवल अपने ही बारे में बात करते हैं जैसे कि तुम करते हो, जब कोई अपने बारे में बात करना चहता है, जैसे कि मैं चाहता हूं. इसे मैं स्वार्थपरकता कहता हूं और स्वार्थपरकता सबसे घृणित वस्तु है विशेष रूप से मेरे जैसे स्वभाव के व्यक्ति के लिए, क्योंकि मैं अपनी सहानुभूतिपरक प्रकृति के लिए प्रख्यात हूं. वास्तव में तुम्हें मेरा उदाहरण स्वीकार करना चाहिए; मुझसे बेहतर प्रतिमान संभवत: तुम्हें न मिले. अब तुम्हें अवसर मिला ही है तो इसका लाभ तुम्हें उठाना चाहिए, क्योंकि मैं बहुत जल्द दरबार को लौट जाने वाला हूं, दरबार में मैं बहुत बड़ा कृपापात्र हूं; दरअसल, राजकुमार और राजकुमारी ने मेरे सम्मान में विवाह किया. बेशक, तुम्हें ऐसी बातों की भनक भी नहीं लगी होगी अगर तुम देहाती हो तो. ”
“उससे बात करने का कोई फ़ायदा नहीं है,” बहुत बड़े भूरे नरकुल की चोटी पर बैठे चिउरे ने कहा,“कोई फ़ायदा नहीं है, क्योंकि वह तो जा चुका है.”
“ठीक है, यह उसका अपना नुक़सान है, मेरा नहीं,” रॉकेट ने कहा, “सिर्फ़ इसलिए कि वह ध्यान से नहीं सुनता, मैं तो उससे बातें करना बन्द नहीं करने वाला. मुझे ख़ुद को बोलते हुए सुनना बहुत अच्छा लगता है. यह तो मेरे सर्वोत्तम सुखों में से एक है. मैं प्राय: स्वयं से लम्बे-लम्बे वार्तालाप करता हूं, और मैं इतना चालाक हूं कि कई बार तो मुझे अपने कहे हुए का भी कोई शब्द समझ नहीं आता.”
“तब तो आपको दर्शनशास्त्र पर सम्भाषण देना चाहिए,” चिउरे ने कहा और अपने सुन्दर जालीदार पर फैला कर आसमान में जा उड़ा.
“कितना मूख है कि यहां रुका ही नहीं!” रॉकेट ने कहा,“ज़रूर उसे कभी अपने मस्तिष्क को सुधारने का ऐसा अवसर नहीं मिला होगा. फिर भी मुझे परवाह नहीं है. मुझ-सी प्रतिभा को एक दिन तो लोग समझेंगे ही” और वह कीचड़ में ज़रा-सा और धंस गया.
कुछ समय बाद एक बहुत बड़ी सफ़ेद बतख़ तैरती हुई उसके पास आई. उसकी टांगें पीली थीं और जालीदार पंजे थे और अपनी चहल-क़दमी के लिए बहुत सुन्दर मानी जाती थी.
“क्वैक, क्वैक, क्वैक,” उसने कहा. “कितने अजीब आकार के हो तुम भी! क्या मैं पूछ सकती हूं कि तुम ऐसे ही जन्मे थे, या फिर किसी दुर्घटना का परिणाम हो?”
‘‘ज़ाहिर है तुम सदा देहात में रही हो,” रॉकेट ने उत्तर दिया,“नहीं तो तुम ज़रूर जानती कि मैं कौन हूं, फिर भी मैं तुम्हारी अज्ञानता को क्षमा करता हूं. अन्य लोगों से हमारा स्वयं जैसे विशिष्ट होने की अपेक्षा करना अन्यायपूर्ण है. बेशक तुम्हें तो यह सुन कर भी हैरानी नहीं होगी कि मैं आसमान में उड़ कर सुनहरी बारिश की बौछार की तरह नीचे भी आ सकता हूं.”
“मैं इसके बारे में ज़्यादा नहीं सोचती,” बतख़ बोली,“क्योंकि मुझे इसमें किसी का कोई फ़ायदा नहीं दिखता. हां, अगर तुम बैल की तरह खेतों में हल चला पाते, या घोड़े की तरह छकड़ा खींच पाते, या गडरिए के कुत्ते की तरह भेड़ों की रखवाली कर पाते, कुछ बात भी बनती.
“मेरे अच्छे प्राणी! ” अपने दंभपूर्ण स्वर में रॉकेट चिल्लाया,‘‘ज़ाहिर है कि तुम बहुत निम्न वर्ग से सम्बंधित हो. मेरे स्तर का व्यक्ति कभी लाभदायक नहीं होता. हमारे पास कुछ उपलब्धियां होती हैं, और हमारे लिए यही पर्याप्त होती हैं. मुझे किसी तरह की कोई सहानुभूति नहीं है परिश्रम से जिसकी तुम संस्तुति कर रही हो. मेरा मानना तो सदा यह रहा है कि परिश्रम केवल उन लोगों की शरणस्थली है जिनके पास करने के लिए कुछ भी नहीं होता.”
“ठीक है ठीक है, ” शांत स्वभाव की बतख़ ने, जिसने कभी किसी से झगड़ा किया ही नहीं था, कहा, “हर व्यक्ति की अपनी अभिरुचियां होती हैं. मुझे आशा है कि किसी भी तरह तुम अब अपना निवास यहीं लोगे.”
“ओह, नहीं प्रिय,’’ रॉकेट चिल्लाया,“मैं तो बस एक अतिथि हूं, एक विशिष्ट अतिथि. तथ्य तो यही है कि मुझे यह जगह कुछ ज़्यादा उबाऊ लग रही है. यहां न तो उच्च वर्ग के लोग हैं और न ही यहां एकान्त है. वास्तव में यह स्थान संकीर्ण -सा लग रहा है. मैं संभवत: दरबार को लौट जाऊंगा, क्योंकि मैं जानता हूं कि संसार में सनसनी फैलाना ही मेरी नियति है.”
“मैं स्वयं भी कभी सार्वजनिक जीवन में आना चाहती थी.” बतख़ ने कहा,“बहुत सारी चीज़ों में सुधार की ज़रूरत है. वास्तव में, मैंने कुछ समय पहले एक सभा में एक पद ग्रहण किया और हमने हर चीज़ जो हमें पसन्द नहीं थी, के लिए दण्ड का प्रस्ताव भी पारित कर दिया था. बेशक उनका कोई फ़ायदा होता नज़र नहीं आया और अब मैं अपनी गृहस्थी में, अपने परिवार की देख रेख करती हूं.”
“मेरा तो जन्म ही सार्वजनिक जीवन के लिए हुआ है,” रॉकेट ने कहा, “और मेरे सम्बन्धी भी मुझ जैसे ही हैं, यहां तक कि सबसे तुच्छतम भी सार्वजनिक जीवन के लिए ही हैं. हम जब भी सार्वजनिक होते हैं, अत्याधिक ध्यानाकर्षण उत्तेजित करते हैं. मैं अभी स्वयं तो सार्वजनिक नहीं हुआ हूं लेकिन जब मैं सार्वजनिक हो जाऊंगा तो दृश्य अद्भुत होगा. रही बात गृहस्थी की, वह तो आपको बहुत जल्दी बूढ़ा कर देती है और ऊंची चीज़ों से आपके मस्तिष्क को भटका देती है.
“अहा!! जीवन की उच्चतर चीज़ें, कितनी बढ़िया होती हैं!” बतख़ ने कहा, “और इससे मुझे याद आ गया, मुझे कितनी भूख लगी है,” और वह प्रवाह के साथ -साथ तैरती हुई दूर चली गई,“क्वैक, क्वैक, क्वैक,” कहती हुई.
“लौट आओ! लौट आओ!” रॉकेट चिल्लाया,“तुमसे कहने के लिए मेरे पास बहुत कुछ है.’’ परन्तु बतख़ ने कोई ध्यान नहीं दिया. ‘‘मुझे ख़ुशी है कि वह जा चुकी है,” उसने स्वयं से कहा“पक्का, उसके पास मध्यवर्गीय दिमाग़ है” और वह ज़रा-सा और गहरे कीचड़ में धंस गया, और एक प्रतिभाशाली व्यक्ति के अकेलेपन के बारे में सोचने लगा. तभी कुर्ते पहने हुए दो छोटे- छोटे बालक किनारे पर आए जिनके हाथों में एक केतली और कुछ लकड़ियां थीं.
“ज़रूर यह कोई प्रतिनिधि मण्डल होगा,” रॉकेट ने कहा और उसने बहुत गरिमापूर्ण दिखने का प्रयास किया.
“हैलो! ” एक लड़का चिल्लाया,“देखो यह पुरानी छड़ी! मुझे यह हैरानी है यह यहां आई कैसे!” और उसने रॉकेट को नाली से उठा लिया.
“पुरानी छड़ी!” रॉकेट ने कहा,“असम्भव! सुहानी छड़ी, यही कहा था उसने. ‘सुहानी छड़ी’ तो बहुत सम्मान सूचक शब्द है. वास्तव में वह मुझे दरबार की हस्तियों में से ही एक समझ रहा है!”
“आओ इसे जलाएं!” दूसरे बालक ने कहा, इससे केतली उबालने में मदद मिलेगी.”
उन्होंने लकड़ियां इकट्ठी कीं, और उनके ऊपर रॉकेट को रखा और आग जला दी.
“यह तो बहुत भव्य है ” रॉकेट चिल्लाया,“ये लोग मुझे दिन दिहाड़े चलाने वाले हैं, दिन की रोशनी में, ताकि सब मुझे देख सकें.”
“अब हम सो जाएंगे,” उन्होंने कहा, और जब हम जागेंगे केतली उबल चुकी होगी,” और वे घास पर लेट गए और उन्होंने अपनी आंखें बन्द कर लीं.
रॉकेट बहुत गीला था, इसलिए उसने आग पकड़ने में बहुत समय लिया. अन्तत: आग ने उसे पकड़ लिया.
“अब मैं जा रहा हूं!” वह चिल्लाया, और उसने स्वयं को अकड़ा कर बिल्कुल सीधा कर लिया. “मैं जानता हूं मैं सितारों से भी कहीं ऊंचा जाऊंगा, चांद से भी कहीं ऊंचा, सूरज से भी कहीं अधिक ऊंचा. वास्तव में मैं इतना ऊंचा जाऊंगा कि…”
फ़िज़्ज़ फ़िज़्ज़! फ़िज़्ज़! और वह सीधे हवा में बहुत ऊंचा चला गया.
“आनन्दप्रद!,” वह चिल्लाया. “मैं हमेशा इसी तरह ऊपर जाऊंगा. कितना सफल हूं मैं! ”
परन्तु उसे किसी ने नहीं देखा.
तब उसे अपने आप में जलन भरी सनसनी महसूस होने लगी.
“मैं फूटने वाला हूं,” वह चिल्लाया,“मैं सारी दुनिया को चकाचौंध कर दूंगा, और ऐसा शोर करूंगा कि सारा साल कोई भी और कोई बात ही नहीं करेगा.”
और उसमें विस्फ़ोट हुआ भी. “भड़ाम! भड़ाम. भड़ाम! करके बारूद जल उठा, नि:सन्देह.
लेकिन किसी ने उसे फूटते हुए नहीं सुना. दो नन्हें बालकों ने भी नहीं. वह तो गहरी नींद में थे.
फिर तो बस रॉकेट की केवल छड़ी बची थी, और यह छड़ी गिरी नाली के किनारे टहल रही बतख़ की पीठ पर.
“हे भगवान!” बतख़ चिल्लाई,“छड़ियों की बारिश होने वाली है” और वह पानी के भीतर चली गई.
“मैं जानता था मैं बहुत बड़ी सनसनी फैलाऊंगा ही.” उच्छवास भरकर रॉकेट बुझ गया.
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