घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है: अदम गोंडवी की कविता
वर्षों पहले लिखी अदम गोंडवी की छोटी-सी रचना ‘घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है’ आज के सामाजिक ...
वर्षों पहले लिखी अदम गोंडवी की छोटी-सी रचना ‘घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है’ आज के सामाजिक ...
मां अपने बच्चों के लिए क्या नहीं करती? ख़ासकर जब उसे लगे कि बच्चा कमज़ोर, आवारा और लापरवाह है तो ...
सुमित्रानंदन पंत की सबसे ज़्यादा पढ़ी गई कविताओं में एक ‘आ: धरती कितना देती है’ मनुष्य के स्वार्थी और भाग्यवादी ...
बदलते वक़्त और हालात को ख़ूबसूरती और सच्चाई से रेखांकित करती मरहूम शायर राहत इंदौरी की ग़ज़ल इत्मीनान से पढ़ने ...
आज का दौर हो या दशकों पहले का. जब कभी तानाशाही जैसा कुछ दिखाई देता है तो मीडिया भले ही ...
ईसा मसीह के बलिदान दिवस अर्थात गुड फ्रायडे का महत्व केवल ईसाई धर्म में ही नहीं है, बल्कि पूरी मानवता ...
बहुत ज़्यादा भला होना भी बुरा होता है. बहुत ज़्यादा चालाक होना तो ग़लत है ही. बहुत ज़्यादा दुर्गम तो ...
आम आदमी की भाषा और मनोभावना के कवि कहलानेवाले हरिवंश राय बच्चन की छोटी-सी कविता ‘क्या भूलूं, क्या याद करूं ...
हाल के समय मे व्यावहारिक स्थितियों को बयान करती बेहद चुभनेवाली कविताओं की रचना कर रहे हैं युवा दलित कवि ...
दूसरों से महान और अलग दिखने का फ़ितूर एक तानाशाह को जन्म देता है. नरेश चन्द्रकर की यह कविता तानाशाहों ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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