पंचलैट: कहानी छोटी-छोटी ख़ुशियों की (लेखक: फणीश्वरनाथ रेणु)
गांवों में बिजली पहुंचने से पहले पेट्रोमेक्स लैम्प से वहां की रातें रौशन होती थी. पेट्रोमेक्स लैम्प को देहातों में ...
गांवों में बिजली पहुंचने से पहले पेट्रोमेक्स लैम्प से वहां की रातें रौशन होती थी. पेट्रोमेक्स लैम्प को देहातों में ...
यह कहानी है गोविंद और लक्ष्मी की. लाला के यहां हिसाब-किताब के बदले मुफ़्त में रहने की जगह पानेवाला गोविंद ...
मशीनों के आगमन ने कई कलाओं और कलाकारों को हाशिए पर धकेल दिया. लाख की चूड़ियां बनाने वाले बदलू काका ...
ग्रामीण परिवेश पर आधारित इस कहानी में नारी स्वभाव और स्वाभिमान का ख़ूबसूरत चित्रण है. गांव की महिलाओं की हंसी-ठिठौली, ...
मज़दूर वर्ग के शोषण और यातना को चित्रित करती ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानी बताती है कि मज़दूरों के लिए इज़्ज़त ...
जब चिट्ठी-पत्री का इतना ज़ोर नहीं हुआ था, तब एक गांव से दूसरे गांव संदेशा पहुंचाने लाने के लिए संवदिया ...
अगर हम ख़ुद को शांत और संयमित रख सकें तो बड़ी-से-बड़ी आपदा हमारे लिए अवसर बन सकती है. अन्नपूर्णानंद वर्मा ...
क्या होता है, जब बच्चे अचानक एक दिन बड़े बनकर, बड़ों की तरह काम करने का फ़ैसला करें? घर के ...
दो बैलों की कथा के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद ने कृषक समाज और पशुओं के भावनात्मक संबंध का वर्णन किया ...
सच्चा साधु होने के लिए आपको घरबार और अपनी ज़िम्मेदारियों को छोड़कर सन्यास लेने की ज़रूरत नहीं है. एक गृहस्थ ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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