पेड़: कहानी इमोशनल और प्रैक्टिकल फ़ैसले के कशमकश की (लेखक: रांगेय राघव)
पुरखों द्वारा लगाए गए बरगद के पेड़ ने जब पंडित सालिकराम का जीना मुश्क़िल कर दिया तो उन्होंने एक ऐसा ...
पुरखों द्वारा लगाए गए बरगद के पेड़ ने जब पंडित सालिकराम का जीना मुश्क़िल कर दिया तो उन्होंने एक ऐसा ...
ग्रामीण परिवेश पर आधारित इस कहानी में नारी स्वभाव और स्वाभिमान का ख़ूबसूरत चित्रण है. गांव की महिलाओं की हंसी-ठिठौली, ...
मज़दूर वर्ग के शोषण और यातना को चित्रित करती ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानी बताती है कि मज़दूरों के लिए इज़्ज़त ...
जब चिट्ठी-पत्री का इतना ज़ोर नहीं हुआ था, तब एक गांव से दूसरे गांव संदेशा पहुंचाने लाने के लिए संवदिया ...
सेठ लगनदास का गोद लिया पुत्र मगनदास आराम की ज़िंदगी गुज़ार रहा था, पर क्या होता है जब उसके दत्तक ...
कभी-कभी छोटा-सा हानिरहित मज़ाक किसी के लिए जीवनभर की मधुर याद बन जाता है. स्लेज से फिसलने से डरनेवाली नाद्या ...
एक बच्चे के लिए मां और पिता से ज़्यादा महत्वपूर्ण कुछ और नहीं हो सकता. भारतीय के जानेमाने अंग्रेज़ी लेखकों ...
हर इंसान बदल सकता है और वह बदलाव किसी एक दिन अचानक हो जाता है. जानेमाने फ़िल्मकार-लेखक रहे ख़्वाजा अहमद ...
अगर हम ख़ुद को शांत और संयमित रख सकें तो बड़ी-से-बड़ी आपदा हमारे लिए अवसर बन सकती है. अन्नपूर्णानंद वर्मा ...
सरकारी कामकाज की रफ़्तार किस हिसाब से बढ़ती है? सरकारी बाबुओं का रवैया कैसा होता है? कुल मिलाकर कहें तो ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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