फ़िक्शन अफ़लातून#7 देश सेवा (लेखिका: मीनाक्षी विजयवर्गीय)
कई बार जाने, अनजाने हम अपने आप पर घमंड करने लग जाते हैं. हमें लगता है कि हम बहुत अच्छे ...
कई बार जाने, अनजाने हम अपने आप पर घमंड करने लग जाते हैं. हमें लगता है कि हम बहुत अच्छे ...
किसी महिला के आज़ाद ख़याल होने का यह अर्थ लगाना कि वह पारिवारिक मूल्यों को नहीं समझती होगी, बेहद हल्की ...
लड़की वह पौधा है, जिसे एक जगह अपनी जड़ें जमाने के सालों बाद, उखड़ाकर दूसरी जगह रोप दिया जाता है. ...
कुछ चीज़ें अपने साथ यादों की पोटली लेकर चलती हैं. कहानी प्रतियोगिता फ़िक्शन अफ़लातून में लेखिका राजुल अशोक की इस ...
जब हमें अपने ऊपर पूरा भरोसा होता है तो कोई भी हमारे इरादों को डिगा नहीं सकता, फिर चाहे परिस्थितियां ...
कई बातें साल-दर-साल सुनते हुए हमारे ज़ेहन में बस जाती हैं, कुछ ऐसा ही घर में कैक्टस लगाना, जिसे अमूमन ...
कई बार हम अपने मन में कुछ बातें बिठा लेते हैं, पूर्वधारणाएं बना लेते हैं. लेकिन जब व्यावहारिक स्थिति से ...
अपनी भावनाएं दूसरों तक पहुंचाने और दूसरों के सुख-दुख को समझने के लिए कहानियों के पुल से बेहतर भला क्या ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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