पहला सफ़ेद बाल: बेवफ़ा बालों पर एक फ़िलॉसफ़िकल चर्चा (लेखक: हरिशंकर परसाई)
बाल सफ़ेद होना एक सहज और अनिवार्य क़ुदरती प्रक्रिया है. फिर भी हम अपना पहला सफ़ेद बाल देखकर डर जाते ...
बाल सफ़ेद होना एक सहज और अनिवार्य क़ुदरती प्रक्रिया है. फिर भी हम अपना पहला सफ़ेद बाल देखकर डर जाते ...
कई बार हम अपनी ग़लती को इतनी बार जस्टिफ़ाई करने की कोशिश करते हैं कि ख़ुद को सही समझने की ...
यूं तो कहने को यह धरती सबकी है, पर इंसान अपने छल कपट से इसके शासक बन बैठे हैं. कमलेश्वर ...
एक शहर में अश्लील किताबों के अनूठे विरोध प्रदर्शन पर करारा व्यंग्य है प्रतिष्ठित व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की यह रचना. ...
शिक्षक हमारे समाज में आदर्श की तरह माने जाते हैं. जाने-अनजाने हम अपने शिक्षकों से सीखते हैं. रबिन्द्रनाथ टैगोर की ...
बिना किसी की स्थिति जाने, उसके बारे में धारणा बना लेना बड़ा ही आसान सा काम है. कहानी चढ़ा दिमाग़ ...
प्यार में हमेशा पाना ही सबकुछ नहीं होता. प्रेम में त्याग की भी अपनी जगह और ख़ूबसूरती है. यह कहानी ...
कुछ लोग जन्मजात क्रांतिकारी होते हैं. बिना क्रांति किए उन्हें चैन नहीं पड़ता. यह कहानी एक क्रांतिकारी लड़के और उसकी ...
रेलवे के एक सहायक ‘करमा’ की ज़िंदगी का लेखा-जोखा है कहानी ‘एक आदिम रात्रि की महक’. वह कई बाबुओं के ...
क्या दुनिया जिसे बौड़म यानी पागल कहती है, वह सचमुच पागल होता है? मुझे देवीपुर गए पांच दिन हो चुके ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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