पलाश के फूल: आकांक्षा पारे काशिव की कहानी
पलाश के खिलने के मौसम में वो लड़की अपने प्रेम को याद करती है और याद करती है उस होली ...
पलाश के खिलने के मौसम में वो लड़की अपने प्रेम को याद करती है और याद करती है उस होली ...
कैसे कभी-कभी दुख किसी को अपना स्थायी साथी बना लेता है. एक अभागी धोबिन कन्या की दुखभरी दास्तां. महादेवी वर्मा ...
वांग्चू एक चीनी बौद्ध भिक्षु था, जिसने अपनी ज़िंदगी का लंबा अरसा भारत में अध्ययन करते हुए बिताया. पर भारत ...
प्रतिभा और पहचान में जब कॉम्पिटिशन हो तो अक्सर जीत पहचान की होती है. इसी कड़वे सच को बयां करती ...
यूं तो इस कहानी की पृष्ठभूमि जंगल की है, पर जानवरों की जगह इंसानों को फ़िट करके भी इस कहानी ...
नाम तो उसका रतनी है, पर गांव में लोग उसे नैना जोगिन कहते हैं. पूरे गांव में उसका खौफ़ है. ...
डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. डॉक्टर की कही बातों का क्या प्रभाव हो सकता है, आरके नारायण ...
जुगनू की तबीयत इन दिनों कुछ नासाज सी है. पर काम नहीं करेगी तो चलेगा कैसे? इस बीच नियमित ग्राहकों ...
यह कहानी है एक पिता और उसके पुत्र की. क्या होता है, जब पिता और पुत्र दोनों का दिल एक ...
पत्नी के मरने के बाद प्रभाती, दूसरी शादी कर आता है. उसकी नई बीवी अंगूरी उससे उम्र में काफ़ी छोटी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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