मुझे हर हाल में उम्मीद है रौशनी की: शकील अहमद की ग़ज़ल
यह उम्मीद ही तो होती है, जो हमें जीवंत बनाए रखती है. शकील अहमद की यह ग़ज़ल भी आपको उम्मीद ...
यह उम्मीद ही तो होती है, जो हमें जीवंत बनाए रखती है. शकील अहमद की यह ग़ज़ल भी आपको उम्मीद ...
सियासत हमेशा ही माहौल को नफ़रतभरा बना देती है, लेकिन नफ़रत से केवल नफ़रत ही पैदा होती है. नफ़रत से ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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