शाख पर इक फूल भी है: कुंवर बेचैन की कविता
हर बुरी परिस्थिति के साथ कुछ अच्छा होने की संभावना छुपी रहती है. दूसरे शब्दों में कहें तो आपदा में ...
हर बुरी परिस्थिति के साथ कुछ अच्छा होने की संभावना छुपी रहती है. दूसरे शब्दों में कहें तो आपदा में ...
प्रेम पर अपनी नज़्में लिखनेवाले इब्ने इंशा ने एक भूखे बच्चे को देखकर यह लंबी कविता लिखी है. कविता में ...
‘निंदक नियरे राखिए’ हमारे देश में इस फ़िलॉसफ़ी को काफ़ी सम्मान दिया जाता रहा है. पर पिछले कई सालों से ...
हम एक ऐसे राष्ट्र हैं, जिसने अपने पिता की हत्या की. पर हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मरने के बाद भी ...
छब्बीस जनवरी 1950 को भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बन गया. उसे दिन के महत्व को बताने-समझाने के लिए कई कवियों ...
संविधान में मिले तमाम अधिकारों के बावजूद आम आदमी को यहां-वहां भटकना पड़ रहा है. इस हक़ीक़त को बयां कर ...
कविता लिखना और फसल उगाना दोनों सिद्धांत की बात है, ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता सिद्धांत और ढोंग के बीच का ...
यूं तो बिजली की चमक के काफ़ी बाद आवाज़ सुनाई देने का वैज्ञानिक कारण होता है. पर एक कवि इसके ...
बदली हुई हवा से कुछ असहज कर देनेवाले सवाल पूछती है कैफ़ी आज़मी की कविता ‘ऐ सबा लौट के किस ...
क़ैसर-उल ज़ाफ़री की यह शायरी प्रतीकों और विरोधाभासों के साथ ख़ूबसूरती से खेलते हुए सीधे दिल में उतर जाती है. ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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