तस्वीर: मीनाक्षी विजयवर्गीय की कविता
आजकल तस्वीरें लेने का चलन इतना ज़्यादा हो गया है, कि हम हर हर बात पर सेल्फ़ी लेने लग जाते ...
आजकल तस्वीरें लेने का चलन इतना ज़्यादा हो गया है, कि हम हर हर बात पर सेल्फ़ी लेने लग जाते ...
कविता कन्यादान में मां विदा हो रही अपनी बेटी को पारंपरिक सीखों से हटकर कुछ नई बातें बता रही है. ...
मोहब्बत की कच्ची दीवारों के टूटने पर दाग़ लगने का डर होता है. अमृता प्रीतम की कविता इस हक़ीक़त को ...
जितना आदिम युद्ध है, उतना ही पुराना है उसके विरोध की कहानी. युद्ध के ख़िलाफ़ एक मार्मिक अपील है, साहिर ...
शांति यह शब्द विसंगतियों से भरा है. जो सबसे ज़्यादा शांति की बातें करता है, कहीं न कहीं वह युद्ध ...
गिरने को बुरा माना जाता है, पर हर बार गिरना बुरा नहीं होता. कई बार गिरना अच्छा और फ़ायदेमंद हो ...
इश्क़ की ख़ुशबू को आप छुपा नहीं सकते इसलिए बेहतर होगा कि इश्क़ हो तो इश्क़ को स्वीकार कर लें. ...
महानगरों की आपाधापी में हम जीवन के ही नहीं, मौसम के भी कई रंग-ढंग मिस कर देते हैं. उनमें से ...
विपरीत समय में प्रेम ही आशा बनकर जीने का उत्साह देता है. प्रेम मिलने को ख़ूबसूरती से जताती है पंकज ...
हाल के समय की सबसे तल्ख़ और चुभनेवाली कविता है युवा दलित कवि बच्चा लाल उन्मेष की कविता ‘कौन जात ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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