गिरना: नरेश सक्सेना की कविता
गिरने को बुरा माना जाता है, पर हर बार गिरना बुरा नहीं होता. कई बार गिरना अच्छा और फ़ायदेमंद हो ...
गिरने को बुरा माना जाता है, पर हर बार गिरना बुरा नहीं होता. कई बार गिरना अच्छा और फ़ायदेमंद हो ...
हाल के समय की सबसे तल्ख़ और चुभनेवाली कविता है युवा दलित कवि बच्चा लाल उन्मेष की कविता ‘कौन जात ...
आम आदमी का शायर कहलाने वाले बशीर बद्र साहब अपनी ग़ज़लों और नज़्मों में कॉमन मैन के दुख, तक़लीफ़, समस्याओं ...
‘नाम गुम जाएगा’ गुलज़ार साहब की लिखी यह कविता स्वरकोकिला लता मंगेशकर की हमेशा-हमेशा के लिए पहचान बन गई. किनारा ...
हर बुरी परिस्थिति के साथ कुछ अच्छा होने की संभावना छुपी रहती है. दूसरे शब्दों में कहें तो आपदा में ...
प्रेम पर अपनी नज़्में लिखनेवाले इब्ने इंशा ने एक भूखे बच्चे को देखकर यह लंबी कविता लिखी है. कविता में ...
‘निंदक नियरे राखिए’ हमारे देश में इस फ़िलॉसफ़ी को काफ़ी सम्मान दिया जाता रहा है. पर पिछले कई सालों से ...
हम एक ऐसे राष्ट्र हैं, जिसने अपने पिता की हत्या की. पर हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मरने के बाद भी ...
संविधान में मिले तमाम अधिकारों के बावजूद आम आदमी को यहां-वहां भटकना पड़ रहा है. इस हक़ीक़त को बयां कर ...
यूं तो बिजली की चमक के काफ़ी बाद आवाज़ सुनाई देने का वैज्ञानिक कारण होता है. पर एक कवि इसके ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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