बच्चों को बड़ा करना बड़े धीरज का काम है. जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तब नज़र ज़रा-सी इधर या उधर हटी तो समझिए कि दुर्घटना घटी. यदि आप अभी छोटे बच्चों के माता-पिता हैं या अपना परिवार बढ़ाने जा रहे/रही हैं तो इन छोटी-छोटी सामान्य सावधानियों के बारे में जानकारी रखें और उन्हें समय-समय पर अमल में लाना शुरू कर दें. बच्चों की सुरक्षा का ध्यान आपको हर पल रखना होगा और इस काम में ये सावधानियां आपकी सहायता करेंगी.
बच्चों की परवरिश के लिए आपको बस थोड़ी तैयारी करनी होगी और थोड़ी सावधानी बरतनी होगी, फिर आप उनका पलना, बढ़ना और खेलना सभी का आनंद ले सकेंगी/सकेंगे. ये सावधानियां आपके बच्चे को सुरक्षित रखने में काम आएंगी उनके कुछ महीने के होने से लेकर सात बरस के होने तक ये छोटी-छोटी बातें उनकी परवरिश में आपका साथ निभाएंगी.
बच्चों के बिस्तर, चादरों का रखें ख़ास ध्यान
छोटे बच्चे जो बोल नहीं सकते, केवल अपने हाथ पैर हिला सकते हैं, उन्हें ऊपर से कभी-भी कोई मोटा चादर, कंबल न उढ़ाएं. ठंड के दिनों में आप उन्हें गर्म कपड़े पहनाएं, पैरों में मोज़े और हाथों में दस्ताने पहनाएं और एक हल्की-सी चादर ही उन्हें उढ़ाएं. यदि आपको लगता है कि ठंड ज़्यादा है तो आप कपड़ों की एक पर्त और बढ़ा दें, लेकिन मोटी कंबल या रज़ाई न उढ़ाएं, क्योंकि यदि हाथ-हिलाने की वजह से कम्बल या रजाई उनके मुंह पर आ गई तो वे उसे हटा नहीं सकेंगे और इस तरह उन्हें घुटन महसूस हो सकती है. यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो भयावह भी हो सकती है. अत: बच्चों को मोटे चादर, कंबल, रज़ाई न उढ़ाएं. इसी तरह भारी सॉफ़्ट टॉएज़ भी उनके आसपास न रखें. ये भी उनके चेहरे पर गिर सकते हैं और उन्हें घुटन महसूस हो सकती है.
नाक/गले में अटक सकनेवाली चीज़ों को उनकी पहुंच से दूर रखें
तीन वर्ष से छोटे बच्चों को इस बात का भान ही नहीं होता कि वे जो कर रहे हैं इसका क्या नतीजा होगा. अत: उनके आसपास कोई भी ऐसी चीज़ ना छोड़ें, जिसे वे उठाकर नाक या मुंह में डालकर फंसा लें. सिक्के, मार्बल्स, कंचे, मोती, गुब्बारे और भी इस तरह की संभावित चीज़ें जिन्हें वे मुंह/नाक में घुसा सकते हों, उनसे दूर ही रखें. जब आपका बच्चा तीन वर्ष का हो जाए तो धीरे-धीरे उसे समझाते हुए कि ये चीज़ें मुंह में डालने पर अटक जाती हैं, आप उसे ऐसी चीज़ों से अकेले खेलने की अनुमति दे सकते/सकती हैं.
नहलाते समय बच्चों को कभी अकेला न छोड़ें
बाथ टब चाहे कितना भी छोटा हो, चाहे उसमें कितना भी कम पानी भरा हो, आप उसे बकेट में पानी भरकर नहलाते हों, टब में नहलाते हों, शावर के पानी से नहलाते हों या किसी और तरीक़े से… छोटे बच्चों को नहाने के लिए कभी भी अकेला न छोड़ें. इसकी वजह ये है कि छोटे बच्चों को सीधे बैठना नहीं आता है, उनकी कोर स्टेबिलिटी इतनी नहीं होती है कि वे सीधे बैठ सकें अत: उन्हें नहलाते समय किसी की देखभाल और सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती ही है. यदि आप थोड़े बड़े यानी तीन साल या उससे थोड़े बड़े बच्चे को कुछ देर के लिए स्नानागार में अकेले छोड़कर जा रही/रहे हैं तो दूसरे कमरे से भी उनसे बातचीत करते रहें और यदि उनकी आवाज़ न आए तो हाथ का काम तुरंत छोड़कर उनकी सुध लें.
बच्चे के बैठना सीखते ही नुकीले कॉर्नर्स पर कॉर्नर गार्ड लगवाएं
आपका बच्चा बैठना सीखे इसके पहले ही घर का और घर के सामान का इस दृष्टि से मुआयना कर लें कि किस-किस जगह नुकीले कॉर्नर्स हैं. फिर चाहे वे टेबल कॉर्नर्स हों या फिर किसी ड्रॉर या साइड टेबल्स के, इन सभी पर कॉर्नर गार्ड लगवा लें, ताकि बच्चा इनसे ख़ुद को चोट न पहुंचा ले.
इलेक्ट्रिक पॉइंट्स को ढंक कर रखें
जब तक बच्चे छह-सात वर्ष के न हो जाएं हम आपको इलेक्ट्रिक आउटलेस्ट्स, ख़ासतौर पर प्लग पॉइंट्स को ढंककर रखने की सलाह देंगे. बच्चों की आदत होती है किसी भी दीवार या ज़मीन पर मौजूद किसी भी छेद में अपनी उंगली घुसा देने की. अत: इन पॉइंट्स को हमेशा ढंककर रखें, ताकि किसी तरह की कोई दुर्घटना न घटने पाएं.
सभी टूट सकनेवाली चीज़ों को ऊपर के खानों में रख दें
जब तक आपके बच्चे पांच-छह साल के नहीं हो जाते, अपनी शेल्व्स में सजी हर टूट सकने जैसी चीज़ या डेकोरेटिव आइटम को ऊपर के खाने में रखें, जहां बच्चे का हाथ न पहुंच सकता हो. अन्यथा बच्चे इन चीज़ों को तोड़कर ख़ुद को घायल कर सकते हैं.
बच्चों को खाने की चीज़ों को बहुत छोटा-छोटा काटें या मसल दें
आप छोटे बच्चों को जो भी खिला रही/रहे हों, उसे या तो मैश कर के खिलाएं या फिर बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर, ताकि यह उनके गले में फंसने न पाए. चाहे अंगूर दे रहे हों, केला, रोटी या परांठे का टुकड़ा या फिर कुछ और… पांच वर्ष तक के बच्चों को चीज़ें छोटे टुकड़ों में ही खाने दें, इसके बाद वे अच्छी तरह चबाना सीख जाते हैं, तब आप उन्हें बड़े टुकड़े दे सकते/सकती हैं.
कार में बिठाएं तो दरवाज़े को लॉक करें, डबल चेक करें
यदि आप बच्चे को कार से कहीं ले जा रही/रहे हैं तो एक नहीं, बल्कि दो बार यह अच्छी तरह चेक कर लें कि उसकी ओर की खिड़की और दरवाज़े का लॉक सही तरीक़ से बंद है या नहीं. अपनी कार में चाइल्डप्रूफ़ लॉक्स लगवा लें, ताकि आप बच्चे की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त रहें.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट