आपका चाहे जो दुख-दर्द हो शारीरिक या मानसिक तुरंत एक बड़े-से वृक्ष को अपने आलिंगन में लेकर सब कह डालिए. पेड़ के साथ लिपटम-लिपटी कीजिए खुल कर, जीभर चूमिए उसे, दिल खोल कर बातें कीजिए… और आप पाएंगे कि आपका तनाव, अवसाद, दुख-दर्द सब पेड़ ने बांट लिया है. आप बेहतर महसूस करेंगे. यह बात महसूस की है डॉक्टर दीपक आचार्य ने और वे इसी के बारे में हमें और जानकारी दे रहे हैं.
क़रीब छह साल पहले इंडिया वॉटर पोर्टल से मुझे एक फ़ेलोशिप मिली थी. पहाड़ों और झिरियाओं से रिसने वाले पानी और आदिवासियों द्वारा उनके संरक्षण पर एक रिसर्च आधारित स्टोरी करनी थी मुझे. स्टोरी के सिलसिले में कारेआम (पातालकोट के एक गांव) पहुंचा तो मेरा माथा दर्द के मारे फट रहा था. ताबड़तोड़ दर्द. भारी ठंड में 90 किमी दूर छिंदवाड़ा से बाइक चलाकर आया था यहां तक, कान भी बज रहे थे. असहनीय दर्द था, लेकिन मुझे पातालकोट के एक बुजुर्ग हर्बल जानकार छिम्मीलाल की बहुत पुरानी बात याद थी, वो भी करीब 18 साल पहले की.
एक बार छिम्मीलाल ने इसी तरह की मेरी हालत होने पर एक बड़े पेड़ की तरफ़ इशारा करते हुए कहा था कि जाकर उस पेड़ से लिपट जाओ, चिपके रहो, उसे चूमो, उससे बातें करो. मैं बग़ैर दूसरा ख़्याल मन में लाए उस विशालकाय वृक्ष से लिपट गया था और फिर एक ज़बर्दस्त मैजिक हुआ था.
इस बार भी तुरंत मैं विशालकाय वृक्ष की तरफ़ भागा, इससे ख़ूब चिपका, ख़ूब बातें कीं, ख़ूब लिपटम-लिपटी की, देर तक चूमते रहा और जीभर प्यार किया. मन में एक अजीब-सी ख़ुशी महसूस करने लगा मैं, देखते ही देखते सिर दर्द इस बार भी नदारद हो गया. वजह कुछ भी हो सकती है, कुछ एक्स्पीरिएन्सेस को आप ख़ुद तो डिकोड कर लेते हैं, लेकिन दूसरों से उस तरह साझा नहीं कर पाते. ये आसान नहीं होता है.
मैथ्यू सिल्वरस्टोन की किताब ‘ब्लाइंडेड बाय साइंस’ पढ़ रहा था और पेड़ से चिपकम-चिपकी वाला ये वाक़या याद आया. मैथ्यू बताते हैं कि सिरदर्द, तनाव, डिप्रेशन, ADHD, मानसिक थकान, नकारात्मकता से ग्रस्त लोगों को हर दिन एक बड़े वृक्ष से लिपटना जरूर चाहिए. मैथ्यू ने इस किताब में कई उदाहरणों को प्रस्तुत किया है. उनकी ख़ुद की औलाद मानसिक तनाव और अवसाद से त्रस्त थी और किसी वैज्ञानिक मित्र की सलाह के बाद बेटे को उन्होंने वृक्ष से रोज़ लिपटने की सलाह दी थी. कुछ ही दिनों में परिणाम चौंकाने लगे थे मैथ्यू को. मैथ्यू बताते हैं कि वृक्षों से प्यार जताने, लिपटने और अटखेलियां करने से हमें पॉज़िटिव एनर्जी मिलती है, वृक्षों में हीलिंग पावर होता है. एक के बाद एक कई रिसर्च पेपर्स अपने अनुभवों के आधार पर लिखकर मैथ्यू ने इस फ़ील्ड से जुड़े लोगों को सनसनाकर रख दिया.
अब आपका दोस्त दीपक आचार्य अपनी बात करेगा. वृक्षों के हीलिंग पावर को मुझसे बेहतर कोई क्या समझेगा? मेरे हर दुःख और तकलीफ़ के वक़्त कोई मुझे सम्हालता है तो वो वृक्ष ही हैं और इस बात को पूरी ज़िम्मेदारी और व्यक्तिगत अनुभव से साझा कर रहा हूं. मुझे तो ऐसे मौक़े लगभग रोज़ मिलते हैं, जब मैं ऐसा कर गुज़रता हूं, पेड़ों को बाहों में समेटकर चूमता हूं, सुख हो या दुःख, लेकिन ऐसा करने का कोई मौक़ा नहीं गंवाता. मुझे जो एनर्जी और मानसिक सुख मिलता है, कह कर समझा पाना मुश्क़िल है. किसी दिन किस्मत से आपको ये मौक़ा मिले कि आप मेरे साथ हों, तो एहसास ज़रूर करवा दूंगा. ये पेड़ों के क़रीब जाना, उनका आलिंगन करना, उन्हें चूमना, उनसे बातें करना, अपना सुख-दुख साझा करना, मुझे मुक्त करता है… मुक्त करता है तमाम नकारात्मकताओं से… क्या पता इसी वजह से मैं कम मेंटल हूं. पता नहीं आप कब इसे आज़माकर देखेंगे… आलेख साधारण-सा है, पर जानकारी अनमोल है!
कोई बड़ा-सा वृक्ष देखकर लिपट जाइएगा, लोग आपको मेंटल समझेंगे, समझने दीजिए, पर उन्हें क्या पता कि दरअसल मेंटल कौन है? जब लिपट रहें हों, तो एक बार मुझे याद कर लीजिएगा, क्योंकि ऊर्जा हर सीमाओं को लांघकर मंज़िल तक आ ही जाती है. क्या पता वो पॉज़िटिव वाइब्स मेरी भी मदद करें!
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट