• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home ओए हीरो

व्यंग्य लेखन बारूदी सुरंगों पर नंगे पांव चलने जितना ख़तरनाक है: मुकेश नेमा

शिल्पा शर्मा by शिल्पा शर्मा
September 18, 2021
in ओए हीरो, ज़रूर पढ़ें, मुलाक़ात
A A
व्यंग्य लेखन बारूदी सुरंगों पर नंगे पांव चलने जितना ख़तरनाक है: मुकेश नेमा
Share on FacebookShare on Twitter

यूं तो वे मध्य प्रदेश सरकार के सरकारी अधिकारी हैं, लेकिन उनके चुटीले व्यंग्य, उनकी पहचान को सीधे तौर पर हिंदी भाषा से और हिंदी के लोगों से भी गहराई से जोड़ देते हैं. व्यंग्यकार यूं भी किसी को नहीं बख़्शते फिर चाहे वह व्यवस्था हो, शासन-प्रशासन हो या फिर दोस्त और रिश्ते-नातेदार. वे भी इन सब की मलामत इस अंदाज़ में करते हैं कि सच्चाई भी सामने आ जाए और आप मुस्कुराए बिना भी न रह सकें. हिन्दी वाले लोग, हमारी इस साक्षात्कार श्रृखंला में आज मिलिए मुकेश नेमा से.

इससे पहले कि उनसे हुए सवाल-जवाब आपके सामने रखूं , उनके बारे में यह बता देना ज़रूरी है कि वे वर्तमान में वे एडिशनल कमिश्नर, एक्साइज़, मध्य प्रदेश, हैं. वे मुद्दों पर पैनी नज़र बनाए रखनेवाले लोगों में से हैं और एक संवेदनशील शख़्सियत भी हैं. उनकी दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं: साहबनामा और तुम्हारी हंसी सदानीरा. ख़ुद उनके मुताबिक़,‘पिताजी सरकारी नौकरी में थे. उनकी देखा-देखी पढ़ने में दिलचस्पी जगी. बचपन की हर शाम खंडवा में माणिक्य वाचनालय में गुज़री. किताबें पढ़ने के अलावा कुछ किया ही नहीं मैंने. इक्कीस का होने पर पीएससी दी और तेईस साल में सरकारी अफ़सर हो गया. फिर एक बेहद सुंदर, शिष्ट और भद्र लड़की मेरे जीवन में आई, राजेश्वरी. दो बच्चे हैं रोहित और राधा. जीवन ठीक-ठाक बीत रहा है.’ तो आइए, अब मुकेश जी से कुछ चटपटे सवाल पूछते हैं और उनके चटखारेदार जवाबों से आपको रूबरू करवाते हैं.

इन्हें भीपढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

March 22, 2023
Fiction-Aflatoon

फ़िक्शन अफ़लातून प्रतियोगिता: कहानी भेजने की तारीख़ में बदलाव नोट करें

March 21, 2023
सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे

सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे

March 21, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

March 20, 2023

हमें ये बताइए कि अफ़सर होना आपके लेखन में सहायक है या बाधक?
लेखन के साथ अफ़सरी थोड़ा मुश्किल काम है. ख़ासकर व्यंग्य. सरकार के नौकर को अपनी हद का ध्यान रखना पड़ता है. यहां आप ‘बेहद’ हुए और वहां ‘पटरी’ से उतरे. ऐसे में मनचाहा लिखना बिल्कुल भी आसान नहीं. आपको नौकरी और लेखन में संतुलन बनाना होता है और इससे आपके लिखे की धार का कम होना स्वाभाविक ही है.

आप में भी एक लेखक है यह आपको कब और कैसे पता चला?
लिखना पढ़ना तो हमेशा से मेरा पसंदीदा काम रहा है, पर अपने अंदर के लेखक से मेरा परिचय कराया फ़ेसबुक ने. यहां लिखा मैंने और लोगों ने पसंद किया मेरा लिखना. फिर दो किताबें भी आईं और अब ये सिलसिला जारी है!

व्यंग्यकार की सबसे बड़ी चुनौती या दुविधा क्या होती है?
व्यंग्यकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो यह कि वो अपने आसपास, दुनिया जहान में जो विद्रूपता, विसंगतियां देख रहा है, उसे पढ़नेवालों यानी पाठकों के सामने किस तरह पेश करें कि लोग मर्म तक पहुंच भी जाएं और उसके पिटने की नौबत भी ना आए. यह भी चुनौती होती है कि अपने लिखे में ताज़गी कैसे बनाए रखें, दोहराव से कैसे बचें… और जो व्यंग्यकार ऐसा कर पाते हैं लोग उन्हें पसंद करते भी हैं.

आपने व्यंग्य लेखन ही क्यों चुना?
मुझे नहीं लगता कि कोई लेखक अपने लिए ख़ुद विषय चुन सकता है. सच्चाई तो यह है कि विषय उसे चुन लेता है. हां, चुटकियां लेने का कुटैव बचपन से ही है मुझे, शायद मेरी ये वाली लिखा-पढ़ी उसी का नतीजा है.

पत्नी और रिश्तेदारों पर व्यंग्य लिखना कितना जोखिमभरा है?
पत्नी और रिश्तेदारों पर लिखना उतना ही कठिन है, जितना अपनी सरकारी नौकरी बचाते हुए लिख पाना. बारूदी सुरंगों पर नंगे पांव चलने जितना ख़तरनाक है ये. ऐसे में कभी-कभी मुझे लगता है कि ख़ुद पर लिख लेना ज़्यादा समझदारी का काम है!

तंत्र में रहकर तंत्र पर ही चुटकियां लेना क्या यह एक बेहद मुश्क़िल काम नहीं है? वह कौन-सा विषय है, जिसपर लिखते समय आपको हिचक होती है?
हां, यह बहुत मुश्क़िल है. बतौर सरकारी अफ़सर ऐसा करना इसलिए भी आसान नहीं, क्योंकि आप ख़ुद भी उस व्यवस्था का हिस्सा होते है, उतने ही अच्छे या बुरे जितना कि तंत्र होता है. पर लिखने वाला ऐसा करते हुए ख़ुद को रोक ले यह भी बड़ा मुश्क़िल है. ऐसे में पर्दा हटाने की इच्छा के साथ छुपे रहने की मंशा यही मेरी हिचक है. ऐसे में मैं थोड़ा बचकर निकलता हूं, सावधानी बनाए रखता हूं, ताकि दुर्घटना ना घटे.

क्या कभी आपके लिखे के चलते कभी कोई नाराज़ भी हुआ है? या कोई ऐसा वाक़या, जब आपकी सोच के विपरीत किसी ने बिल्कुल भी बुरा न माना हो.
अभी तक तो ऐसे किसी मौक़े से वाक़िफ़ नहीं मैं. हो सकता है कुछ लोग नाराज़ हुए भी हों, पर उनकी नाराज़गी पहुंची नहीं हो मुझ तक. ऐसा हो भी तो मैं ज़्यादा परवाह नहीं करता. परवाह करना मेरे स्वभाव का हिस्सा नहीं. वैसे भी चूंकि मैं काम का आदमी हूं इसलिए वैसे भी मुझसे नाराज़ होना लोगों के लिए घाटे का ही सौदा होगा.

आपके मुताबिक़ कौन-सी बातें एक व्यंग्यकार में होनी चाहिए और कौन-सी बिल्कुल भी नहीं?
व्यंग्यकार में तीखापन होना बहुत ज़रूरी है. उसमें दुनिया देखने का, उसे समझने का नज़रिया दूसरों से बेहतर और मौलिक होना चाहिए. यदि वो कुछ कहने से डरता, हिचकता है तो व्यंग्यकार होने की बजाय उसका किसी दूसरी विधा में हाथ आज़माना ही ठीक होगा.

Tags: #Hindi_vale_people#हिन्दी_वाले_लोगAdditional Commissioner ExciseHindi peopleMadhya PradeshMukesh NemaNarsinghpursahabnamasatirical writingsatiristtumhari hansi sadaniraअपर आयुक्त आबकारीएडिशनल कमिश्नर एक्साइज़तुम्हारी हंसी सदानीरानरसिंहपुरमध्य प्रदेशमुकेश नेमाव्यंग्य लेखनव्यंग्यकारसाहबनामाहिंदी वाले लोग
शिल्पा शर्मा

शिल्पा शर्मा

पत्रकारिता का लंबा, सघन अनुभव, जिसमें से अधिकांशत: महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कामकाज. उनके खाते में कविताओं से जुड़े पुरस्कार और कहानियों से जुड़ी पहचान भी शामिल है. ओए अफ़लातून की नींव का रखा जाना उनके विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन, पत्रकारिता के अनुभव, दोस्तों के साथ और संवेदनशील मन का अमैल्गमेशन है.

Related Posts

फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

March 18, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)

March 18, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)

March 17, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist