यदि हम आपसे यह कहें कि आपके बोलने की नहीं, बल्कि सुनने की कला आपको प्रोफ़ेशनल ऊंचाइयों पर पहुंचा देगी तो? तो शायद पहली बार में आप भरोसा भी नहीं करेंगे/करेंगी, लेकिन विश्वास कीजिए यह सच है. एक अच्छा श्रोता होना आपके करियर को ऊपर की ओर पुश करता है. कैसे? यही तो हम बता रहे हैं.
हम में से हरेक को लगता है कि वे दूसरों की बातें बड़े ध्यान से सुनते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि बहुत कम लोग ही अपनी सुनने की सही क्षमता और इस कला के इस्तेमाल पर ध्यान देते हैं. और रिसर्च कहती है कि दूसरों की बात केवल ध्यान देकर सुनभर लेने से आपको उन लोगों से ज़्यादा से ज़्यादा सूचना मिल सकती है, जिनके साथ, मातहत या फिर जिनके सीनयर बनकर आप काम करते हैं. सुनने की इस कला से दूसरे लोगों का आप पर भरोसा बढ़ता है, लोगों से आपके वाद-विवाद कम होते हैं, आप यह समझ पाते हैं कि सामने वाले व्यक्ति को किस तरह प्रेरित किया जा सकता है और आप उन लोगों के बीच गहरी प्रतिबद्धता भी जगा सकते हैं, जो आपके मातहत काम करते हैं.
सुनने की कला की अहमियत आप ब्रिटिश जनरल रॉबर्ट बाडेन पॉवेल, जो महान सैनिक, लेखक और स्काउट मूवमेंट के संस्थापक भी थे, की इस उक्ति से भी लगा सकते हैं,‘‘यदि आप सुनने और अवलोकन करने को ही अपना काम बना लें तो आप उससे कहीं ज़्यादा सफल होंगे, जितना कि आप केवल अपनी बात कहने से हो सकते हैं.’’ तो आइए, जान लेते हैं प्रभावी ढंग से बातों को कैसे सुना जाता है और इससे आपको प्रोफ़ेशनल लाइफ़ में क्या फ़ायदे मिल सकते हैं.
प्रभावी श्रोता होने का मतलब क्या है?
प्रभावी श्रोता यानी इफ़ेक्टिव लिसनर होने का सीधा मतलब है कि आप किसी से भी बातचीत कर रहे हों और उसके ज़रिए आ रही सभी सूचनाओं को सक्रियता से ग्रैस्प कर रहे हैं और उस वक्ता को सही फ़ीडबैक दे रहे हैं, ताकि वह समझ सके कि आप उसे सजग होकर सुन रहे हैं. और जब आपके फ़ीडबैक देने की बारी आए तो आप सारी सूचनाओं को मन ही मन एकत्र कर फ़ीडबैक दे सकें.
बातों को प्रभावी तरीक़े से सुनने से क्या होगा?
यदि आपका सवाल भी यही है तो आपको बता दें कि प्रभावी लीडरशिप का सीधा अर्थ है प्रभावी श्रोता होना. एक रिसर्च के मुताबिक़ यदि आप प्रभावी श्रोता हैं तो आपके लीडरशिप रोल में पहुंचने की संभावना 40% तक बढ़ जाती है. वहीं यदि आप अपने सीनियर्स की बातों को प्रभावी तरीक़े से सुनते हैं तो आपके काम का आउटपुट उनकी उम्मीदों पर खरा उतरता है. जिससे वे आपको एक अच्छा टीम प्लेयर समझते हैं और आपकी अप्रेज़ल रेटिंग्स में सुधार आता है. वहीं यदि आप अपने जूनियर्स को ध्यान से सुनते हैं तो आप समझ पाते हैं कि उन्हें किस तरह से इन्स्ट्रक्शन्स देने हैं या फिर उन्होंने आपकी बातों को किस हद तक समझा है. ऐसे में आप उन्हें और स्पष्ट निर्देश दे कर किसी भी काम को स्तरीय तरीक़े से करवा सकते हैं. यदि आप अच्छे श्रोता हैं तो अपने कलीग्स के साथ आपके विवाद भी कम होते हैं, क्योंकि आप उनके विचारों को समझने का प्रयास करते हैं.
कैसे आप बन सकते हैं प्रभावी श्रोता?
यदि आप भी प्रभावी श्रोता बनना चाहते हैं, ताकि अपने करियर में सफलता की नई ऊंचाइयों को छू सकें तो आपके लिए कुछ काम के टिप्स यहां मौजूद हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपनी सुनने की क्षमता को सुधार सकते हैं:
• यदि आपका कलीग/सीनियर/जूनियर आपसे कोई बात कहने आया है तो सबसे पहले तो आप अपने फ़ोन को साइलैंट मोड पर डाल दें, ताकि उनसे बातचीत के दौरान आपका ध्यान भटके नहीं.
• अपने दिमाग़ से दूसरी बातों को स्विचऑफ़ करने की कोशिश करें, वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें.
• जो व्यक्ति अपनी बात कह रहा है, उससे आइ कॉन्टैक्ट रखें. याद रखें कि आपको उसकी आंखों में सीधे नहीं झांकना है बल्कि उसकी निचली लैश लाइन पर अपना ध्यान बनाए रखें.
• उनकी बातों के बीच अपनी बॉडी लैंग्वेज को सजग बनाए रखें. जहां ‘हां’ या ‘ना’ की दरकार हो वहां अपने सिर को हिलाकर अपनी राय दें.
• यदि जहां आप बातचीत कर रहे हैं, वहां शोर हो तो किसी शांत जगह पर जाने का अनुरोध करें.
• यदि ध्यान भटकने की वजह से कुछ सुन न पाए हों तो उन्हें बात दोहराने को कहें.
• धीरज के साथ उनकी पूरी बात सुनें और अपना फ़ीडबैक सबसे आख़िरी में दें. यदि आपके मन में कुछ सवाल हैं तो उन्हें भी अंत में ही पूछें. और सबसे ख़ास बात ये कि कभी-भी किसी वक्ता को जज न करें, बल्कि उन्हें पूरी तरह सुनें और समझें.
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