यदि अब तक आप यह सोचकर मल्टीटास्किंग करते चले आ रहे हैं कि इस तरह आपका प्रदर्शन सुधरता है और दक्षता बढ़ती है तो यह आपके लिए चौकन्ना होने का समय है, क्योंकि शोध बताते हैं कि मल्टीटास्किंग आपके लिए इतनी घातक हो सकती है कि मस्तिष्क में बदलाव ले आए और काम के दौरान आपके प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर डालने लगे. यदि आप इस बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आगे पढ़ते जाइए…
यदि अब तक आपने मल्टीटास्किंग (एक ही वक़्त में एक से ज़्यादा कार्य करना) को एक सकारात्मक और दक्षता को बढ़ाने वाले टूल की तरह देखा है तो समय आ गया है कि आप इसके बारे में और जानकारी जुटाएं. क्योंकि कई शोधों में यह बात साबित हुई है कि मल्टीटास्किंग आपके प्रदर्शन को न सिर्फ़ ख़राब बनाती है, बल्कि यह आपके मस्तिष्क को भी नुक़सान पहुंचाती है.
मल्टीटास्किंग से उत्पादन क्षमता घटती है
एक समय पर एक ही काम करने की तुलना में मल्टीटास्किंग करने वालों की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है. हम जिस तरह इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए अपने काम को अंजाम देते हैं, तरह-तरह के गैजेट्स पर, ख़बरों पर ध्यान देते हुए अपने काम करते हैं, इससे हमारा प्रदर्शन प्रभावित होता है. अमेरिका की स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि एक समय पर एक ही काम करने वालों की तुलना में मल्टीटास्किंग करने वालों को ध्यान केंद्रित करने में, सूचना को याद रखने में और एक काम से दूसरे काम की तरफ़ जाने में ज़्यादा समय और प्रयास की ज़रूरत पड़ती है. जिससे मल्टीटास्किंग करने वालों की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है.
महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान रूप से घातक है
अक्सर यह माना जाता है कि महिलाओं को मल्टीटास्किंग में महारत हासिल होती है. लेकिन मल्टीटास्किंग को लेकर महिलाओं और पुरुषों पर हुई तुलनात्मक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कुछ कामों को करने में महिलाएं बेहतर मल्टीटास्कर होती हैं, जैसे- बातचीत या चीज़ों को याद रखने के मामले में; जबकि कुछ कामों में, जैसे- थ्री डायमेंशनल फ़िगर्स को समझने में, पुरुषों का प्रदर्शन बेहतर होता है. लेकिन यह बात अपनी जगह सही पाई गई है कि मल्टीटास्किंग महिलाओं और पुरुषों दोनों के ही परफ़ॉर्मेंस के लिए घातक होती है.
आइक्यू को कम करती है मल्टीटास्किंग
आपके काम करने की गति को धीमा करने के साथ साथ मल्टीटास्किंग करने से आपका आइक्यू भी कम होने लगता है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन में हुए एक शोध में पाया गया कि मल्टीटास्किंग करने से आपके आइक्यू का स्तर 15 पॉइंट्स तक गिर सकता है. आइक्यू में यह गिरावट बिल्कुल वैसी ही होती है, जैसे ड्रग्स लेने के बाद होती है या फिर पूरी रात जागने के बाद होती है.
मस्तिष्क को नुक़सान पहुंचाती है
हमारा दिमाग़ एक समय में केवल एक ही काम पर ध्यान केंद्रित कर सकता है और जब आप दो या तीन काम एकसाथ करने की कोशिश करते हैं तो मस्तिष्क के पास इन कामों को एकसाथ करने की क्षमता नहीं होती इसलिए मल्टीटास्किंग करने से आपकी दक्षता और प्रदर्शन दोनों का ही स्तर गिरने लगता है. ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ ससेक्स में हुई रिसर्च के मुताबिक़, मल्टीटास्किंग करने वाले लोगों के मस्तिष्क के एमआरआई स्कैन में पाया गया कि उनके दिमाग़ के सिंगुलेट कॉर्टेक्स के आगे के हिस्से का घनत्व कम था. यह हिस्सा चीज़ों का संज्ञान लेने और भावनात्मक नियंत्रण रखने से जुड़ा होता है. हालांकि यह बदलाव स्थायी है या नहीं इस बारे में रिसर्च नहीं हुआ है, लेकिन यह बात इस ओर ध्यान तो आकर्षित कराती ही है कि जिस तरह से हम तरह-तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और फ़ोन आदि का इस्तेमाल करते हुए अपने कामों को कर रहे हैं, उससे होने वाले प्रभाव हमारे प्रदर्शन पर नकारात्मक असर तो डालते ही हैं.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट