सुई और तागे के बीच में: केदारनाथ सिंह की कविता
पृथ्वी के बाद सबसे ज़्यादा घूमनेवाली है मां. जैसे पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमते-घूमते कभी थकती नहीं, उसी तरह मां ...
पृथ्वी के बाद सबसे ज़्यादा घूमनेवाली है मां. जैसे पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमते-घूमते कभी थकती नहीं, उसी तरह मां ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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