लड़कियों के छतों पर आने के क्या मायने होते हैं, लड़कों के लिए? इस बात को समझने के लिए लोकप्रिय कवि आलोक धन्वा की इस कविता को पढ़ने से अच्छा भला और क्या होगा.
अब भी
छतों पर आती हैं लड़कियां
मेरी ज़िंदगी पर पड़ती हैं उनकी परछाइयां
गो कि लड़कियां आई हैं उन लड़कों के लिए
जो नीचे गलियों में ताश खेल रहे हैं
नाले के ऊपर बनी सीढ़ियों पर और
फ़ुटपाथ के खुले चायख़ानों की बेंचों पर
चाय पी रहे हैं
उस लड़के को घेर कर
जो बहुत मीठा बजा रहा है माउथ ऑर्गन पर
आवारा और श्री 420 की अमर धुनें
पत्रिकाओं की एक ज़मीन पर बिछी दुकान
सामने खड़े-खड़े कुछ नौजवान अख़बार भी पढ़ रहे हैं
उनमें सभी छात्र नहीं हैं
कुछ बेरोज़गार हैं और कुछ नौकरीपेशा,
और कुछ लफंगे भी
लेकिन उन सभी के ख़ून में
इंतज़ार है एक लड़की का
उन्हें उम्मीद है उन घरों और उन छतों से
किसी शाम प्यार आएगा!
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