बालों के असमय सफ़ेद होने से या फिर उनके झड़ने से परेशान हैं तो बजाय केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने के कॉफ़ी का इस्तेमाल करके देखें. यह पुराना और हमारे पुरखों का जांचा-परखा नुस्ख़ा है. कैसे करें इसका इस्तेमाल और वैज्ञानिक रूप से यह बात कितनी सच है इस बारे में जानिए डॉक्टर दीपक आचार्य से.
क़रीब चार साल पहले की बात है. मैं बेलगाम, शिवमोग्गा, सिरसी (वेस्टर्न घाट) के ग्रामीण इलाकों में घूम रहा था और मुलाक़ात हुई 78 वर्षीय माथम्मा जी से. दक्षिण भारतीयों के बाल वैसे भी काफ़ी घने होते हैं, लेकिन माथम्मा जी को देखते ही मेरी नज़रें उनके बालों पर अटकी जा रही थीं. काले, घने, घुंघराले और स्वस्थ बाल. मुझसे रहा नहीं गया और फट्ट से पूछ लिया कि वे बालों के रखरखाव के लिए कौन-सा तामझाम अपनाती हैं. बगैर थमे जो जवाब मुझे मिला, मैं हैरान था- फ़िल्टर कॉफ़ी.
ओंइंग… ये तो मेरे लिए नई जानकारी थी. पहले तो पूरा नुस्ख़ा समझा और फिर माथम्मा जी के इस फ़ॉर्मूले के पीछे के लॉजिक्स खोजने लगा. पहले ये जानकारी समझिए और फिर नुस्ख़े की बात करेंगे.
इस संबंध में थोड़ी विज्ञान वाली बातें
हमारे शरीर में एक हॉर्मोन बनता है, जिसे डाय हाइड्रो टेस्टेस्टेरॉन (DHT) कहते हैं. इस हॉर्मोन की अधिक सक्रियता हमारे बालों की जड़ों (Hair Follicles) को प्रभावित करती है. इसी की वजह से बालों के ज़्यादा झड़ने और असमय पकने (Premature Greying) की समस्याएं देखी जाती हैं. एक क्लिनिकल स्टडी छपी थी इंटरनैशनल जर्नल ऑफ़ डर्मैटोलॉजी (2007) में, जिसमें एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया के रोकथाम के लिए कैफ़ीन को कारगर बताया गया और जानकारी दी गई थी कि कैफ़ीन बालों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए एक स्टिम्युलेटर की तरह काम करता है. सिर्फ़ यही क्लिनिकल स्टडी क्यों, और भी कई रिसर्च स्टडीज़ कैफ़ीन के इस प्रभाव की तरफ़ इशारा करती हैं. तो भई, एक तरफ़ हमारे देश का पारंपरिक ज्ञान और दूसरी तरफ़ इसपर क्लिनिकल प्रमाण की जानकारियां, तो फिर आज़माने में भला क्या बुराई है?
फ़िल्टर कॉफ़ी वाला नुस्ख़ा
चलिए बात करते हैं माथम्मा जी के नुस्ख़े की. फ़िल्टर कॉफ़ी की दो चम्मच मात्रा को एक कप पानी में उबाला जाए और जब यह उबल जाए तो इसे छानकर प्राप्त लिक्विड को गुनगुना/ठंडा होने के बाद उंगलियों की मदद से बालों की जड़ों तक लगाया जाए और बीस मिनिट तक इसे लगा रहने दें, ताकि ये बालों में सूख जाए. क़रीब 20 मिनिट के बाद बालों को साफ़ पानी से धो लें.
ध्यान ये रहे कि बालों को सुखाने और पोछने के लिए सफ़ेद तौलिया न लें, हो सकता है तौलिया पर कॉफ़ी का रंग चढ़ जाए. ऐसा ना हो कि तौलिया पर रंग चढ़ते ही आप डॉक्टर दीपक आचार्य को कोसने लगें… तो हफ़्ते में 2 बार इस फ़ॉर्मूले को आज़माकर देखा जा सकता है. बालों के झड़ने, असमय पकने, डैंड्रफ़ जैसी समस्याओं में भी यह काफ़ी असर करता है. मुझे अब तक जो फ़ीडबैक मिले हैं, यह उनका सार है.
और फ़िल्टर कॉफ़ी न मिले तो?
फ़िल्टर कॉफ़ी ना मिले तो टेंशन नको रे बाबा! साधारण कॉफ़ी से काम चला लीजिए. प्रॉसेस्ड..? हां, एकदम वही. ये सलाह ना दूं तो लोग मेरा जीव निकाल लेंगे, ये पूछ-पूछकर कि फ़िल्टर कॉफ़ी कहां से लाएं? कौन-से ब्रैंड का लें? ये वाली चलेगी या वो वाली? जवाब दे देकर थकना नहीं मुझे, वरना मेरे बाल वैसे ही उड़ जाएंगे… हालांकि अपन तो फ़िल्टर कॉफ़ी वाले ही हैं!
सुनो कॉफ़ी बेचने वालों, अब तुम्हारी चांदी हो गई रे. तो हे शहर के दुकानदारों और ये फ़ॉर्मूला आज़मानेवालों, मुझे नहीं माथम्मा जी को धन्यवाद ज़रूर दीजिएगा. बात जमें तो शेयर कीजिएगा. अब एक बड़े काम की बात: जब भी बुज़ुर्गों से मिलें, उनके क़रीब जाकर आराम से बैठ जाएं और बस बातें करें उनसे. मुफ़्त में अनुभवों का इन्साइक्लोपीडिया पढ़ने मिलेगा…
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट
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