• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब कविताएं

ईश्वर अगर मैंने अरबी में प्रार्थना की: शमशेर बहादुर सिंह की कविता

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
June 17, 2021
in कविताएं, बुक क्लब
A A
ईश्वर अगर मैंने अरबी में प्रार्थना की: शमशेर बहादुर सिंह की कविता
Share on FacebookShare on Twitter

ईश्वर एक है, इस सनातन सत्य को हम सभी मानते हैं. पर उसके नाम, उसकी प्रार्थनाएं और उस तक पहुंचने के रास्ते अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग बताए गए हैं. क्या हो, यदि हम अपने ईश्वर की उपासना, किसी दूसरे ईश्वर के तरीक़े से करने लगें तो? कवि शमशेर बहादुर सिंह की ईश्वर से अंतरंग बातचीत.

ईश्वर अगर मैंने अरबी में प्रार्थना की
तू मुझसे नाराज़ हो जाएगा?
अल्लमह यदि मैंने संस्कृत में संध्या कर ली
तो तू मुझे दोज़ख़ में डालेगा?
लोग तो यही कहते घूम रहे हैं
तू बता, ईश्वर!
तू ही समझा, मेरे अल्लाह!

बहुत-सी प्रार्थनाएं हैं
मुझे बहुत-बहुत मोहती हैं
ऐसा क्यों नहीं है कि
एक ही प्रार्थना मैं
दिल से क़ुबूल कर लूं
और अन्य प्रार्थनाओं को करने पर
प्रायश्चित करने का संकल्प करूं!
क्योंकि तब मैं अधिक धार्मिक
अपने को महसूस करूंगा,
इसमें कोई संदेह नहीं है
सब यही कहते हैं
(मुझसे नहीं…
उससे भी अधिक उच्च घोषणा में
जो कि उनके कर्मों में
प्रसारित होती है)
मैं चाहता हूं
उनके प्रचार प्रसार से अभिभूत होना
क्योंकि अन्यथा मैं अपने को
अति ही अति ही
अति ही प्राचीन और
दक़ियानूस महसूस करता हूं
मानो मैं धर्म और ईश्वर का
प्रारंभिक अर्थ नहीं जानता

इन्हें भीपढ़ें

ये कैसा दौर है: शिल्पा शर्मा की कविता

ये कैसा दौर है: शिल्पा शर्मा की कविता

September 8, 2023
Safed-sadak

सफ़ेद सड़क: कहानी दो मुल्कों, दो नज़रियों की (लेखक: कमलेश्वर)

September 7, 2023
Dilip-Kumar_Poem

कभी-कभार: दिलीप कुमार की कविता

September 7, 2023
Mohan-rakesh_ki_kahani

एक ठहरा हुआ चाकू: कहानी एक गवाह के कशमकश की (लेखक: मोहन राकेश)

September 3, 2023

हे मेरे ईश्वर, हे मेरे अल्ला,
मुझे क्षमा करना!
अफ़्व! अफ़्व!

तुम दोनों ही मिलकर
मेरा अंत कर दो
बेहतर है
वह शांति
जो आज न होने में है
‘‘न होता मैं तो क्या होता…!
न था मैं तो ख़ुदा था
कुछ न होता तो ख़ुदा होता!
डुबोया मुझको होने ने
न होता मैं तो क्या होता!’’

आज वो नहीं है
जो सुना और कंठस्थ किया जाता है!
छपे काव्य में
लिपि संबंधी दंगे
संस्कृति बनने लगते हैं
जिसका शोध
मेरे लिए दुरूहतम साहित्य है
जन्मभर की आस्था के बावजूद

यह कविता नहीं
मात्र मेरी डायरी है
(अपनी मौलिक स्थिति में
छपाने की चीज़ नहीं
अपने से बातचीत है मात्र…
अपने मन के होंठों के स्वर
मन के कानों के लिए अपने
केवल मात्र…)

मनीषियों आलिमों
आचार्यों प्राचार्यों
अपना गहन अमूल्य समय
इन पंक्तियों को न देना
यदि भूले से
इन्हें पढ़ने लगे हो
यहीं से इन्हें छोड़ देना

…तो मैं कह रहा था


कविता संग्रह: टूटी हुई, बिखरी हुई
कवि: शमशेर बहादुर सिंह
प्रकाशक: राधाकृष्ण प्रकाशन
Illustration: Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaHindi KavitaHindi KavitayeinHindi KavitayenHindi PoemIshwar agar maine arabi mein prarthana ki by Shamsher Bahadur SinghKavitaPoet Shamsher Bahadur SinghShamsher Bahadur SinghShamsher Bahadur Singh Poetryआज की कविताईश्वर अगर मैंने अरबी में प्रार्थना कीकवि शमशेर बहादुर सिंहकविताशमशेर बहादुर सिंहशमशेर बहादुर सिंह की कविताहिंदी कविताहिंदी कविताएं
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

I Am the People, the Mob BY CARL SANDBURG
कविताएं

मैं ही अवाम, जनसमूह: कार्ल सैंडबर्ग की कविता (भावानुवाद: दीपक वोहरा)

September 2, 2023
Bahanji_by_Dr.Sangeeta-Jha
ज़रूर पढ़ें

बहन जी: डॉ संगीता झा की कहानी

September 2, 2023
Nida-fazali
कविताएं

मुंह की बात: निदा फ़ाज़ली की कविता

September 1, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist