मोहब्बत की शायरियों में मिठास के साथ, एक चुटीलापन दिवंगत शायर जॉन एलिया की पहचान थी. प्रेमिका की शहर वापसी का वर्णन करती यह रचना उसी का उदाहरण है.
महक उठा है आंगन इस ख़बर से
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से
जुदाई ने उसे देखा सर-ए-बाम
दरीचे पर शफ़क़ के रंग बरसे
मैं इस दीवार पर चढ़ तो गया था
उतारे कौन अब दीवार पर से
गिला है एक गली से शहर-ए-दिल की
मैं लड़ता फिर रहा हूं शहर भर से
उसे देखे ज़माने भर का ये चांद
हमारी चांदनी छाए तो तरसे
मेरे मान गुज़रा कर मेरी जान
कभी तू ख़ुद भी अपनी रहगुज़र से
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