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चलिए, झांकते हैं ऑकलैंड के इतिहास में

डॉ दीप्ति गुप्ता by डॉ दीप्ति गुप्ता
February 10, 2021
in ट्रैवल, लाइफ़स्टाइल
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चलिए, झांकते हैं ऑकलैंड के इतिहास में
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बेटी के पारिवारिक मित्र के घर जाते समय रास्ते में पड़ने वाली सुन्दर जगहों, छोटी-बड़ी आधुनिक दुकानों, हरी-भरी ज़मीन और नीले आसमान के अद्भुत नज़ारों को देखते हुए मैं अभिभूत थी. सचमुच, यह शहर तो किसी जन्नत के टुकड़े-सा ही नज़र आता था!

अगले सप्ताह बेटी मानसी के पारिवारिक मित्र जर्मन पति-पत्नी ने हमें लंच पर बुलाया. हमारे घर से उनका घर कोई 7-8 किलोमीटर दूर था. उतनी दूर की ड्राइव पर, रास्ते में पड़ने वाली सुन्दर जगहों, छोटी-बड़ी आधुनिक दुकानों, हरी-भरी ज़मीन और नीले आसमान के अद्भुत नज़ारों को देखते हुए मैं अभिभूत थी. तभी कुछ देर बाद, कार के रुकने पर मैं उस सौन्दर्य की दुनिया से एक झटके साथ बाहर आई तो देखा जर्मन दम्पत्ति हमारे स्वागत के लिए घर के बाहर प्रतीक्षा करते हुए खड़े हुए थे. वे बहुत प्रेम से गले मिले. उनके दुमंजिले घर की खूबसूरती भी देखते ही बनती थी. पहले हम ऊपर उनके शीशे की खिड़कियों से आवृत्त ‘ग्लास रूम’ में बैठे, जहां से पहाड़ियां और उन पर झुका आसमां मन मोह रहा था. चारों ओर तिलस्मी निस्तब्धता छाई हुई थी. तभी मेज़बान मोनिका जी हमारे लिए जूस ले आईं. जूस के प्यालों के साथ मैंने मोनिका जी और उनके पति मिस्टर जुर्गन से ऑकलैंड पर चर्चा छेड़ दी.
उनसे बातों- बातों में पता चला कि 1840 में यहां ब्रिटिश कॉलोनी स्थापित हुई थी. उस समय न्यूज़ीलैंड के लेफ़्टिनेंट गवर्नर “विलियम हॉब्सन” ने कभी इस शहर को न्यूज़ीलैंड की राजधानी के रूप में चुना था. मि.जुर्गन ने बताया कि हालाकि ऑकलैंड के लिए इमीग्रेशन हमेशा कठिन और सख़्त कानूनों वाला रहा, फिर भी यह इस देश की सबसे घनी आबादी वाला शहर है. यूरोपियन लोगों के यहां आने से पहले, यहां के मूल निवासी माऊरिओं की जनसंख्या बहुत कम थी, लगभग 20,000 के लगभग. आज ‘ऑकलैंड’, न्यूज़ीलैंड का विशाल व्यावसायिक और आर्थिक केन्द्र है. ऑकलैंड विश्व के कुछ चुनिन्दा शहरों में एक ऐसा अनूठा शहर है, जहां दो अलग-अलग विशाल जलाशयों पर, प्रत्येक के अपने बन्दरगाह मिलेगें. यहां की आर्ट गैलरी, Toi O Tamaki, हार्बर ब्रिज, स्काई टॉवर, अनेक म्यूज़ियम, पार्क, रेस्तरां और थियेटर आदि घूमने आने वाले सैलानियों का प्रमुख आकर्षण हैं. ऑकलैंड अपने महत्वपूर्ण वाणिज्य, कला और शिक्षा की वज़ह से Beta + World city के रूप में विभक्त है.
बातों बातों में मोनिका ने बताया कि सन् 1883 में स्थापित ऑकलैंड विश्वविद्यालय, न्यूज़ीलैंड का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है. विश्व के सर्वाधिक महंगे शहरों मे से एक होने पर भी, ऑकलैंड ने 2016 में यहां के निवासियों के रहन-सहन के स्तर पर ‘मर्सर सर्वेक्षण’ की तीसरी श्रेणी प्राप्त की, जिसके अनुसार यह लोगों के रहने के लिए, सबसे अनुकूल और वांछनीय शहर माना गया. बीच में मिस्टर जुर्गन ने एक जानकारी जोड़ी कि ऑकलैंड प्रतिमाह लगभग एक लाख अन्तर्राष्ट्रीय यात्रियों को अपनी सेवाएं देता है.
तभी मेज़बान मोनिका ने मुस्कुराते हुए, प्यार से आदेश दिया,‘’अब लंच और इस बारे में विस्तार से बातें बाद में.’’ हम सभी डायनिंग रूम में आ गए और कुछ पश्चिमी और कुछ पूर्वी स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेते हुए हमने भोजन किया. भोजन के बाद पत्नी के सतत मददगार मिस्टर जुर्गन एक ट्रे में चॉकलेट आइसक्रीम लेकर आ गए और बोले,‘‘जल्दी से अपने-अपने कप उठाइए, मुझसे आइसक्रीम को देख कर रहा नहीं जा रहा.’’ हमने उनकी बात पर मुस्कुराते हुए अपने कप थामे और बोलने के शौकीन, मिस्टर जुर्गन मेरे बिना कहे ही ऑकलैंड के बारे में बताने लगे.

मूलभूत संरचना और यातायात: उन्होंने यहां की मूलभूत संरचना के बारे में जानकारी दी कि यहां राज्य राजमार्ग नेटवर्क, पूरे शहर में, उत्तर-दक्षिण भाग के प्रमुख आम रास्ते वाले (उत्तरी और दक्षिणी मोटर वाहन मार्गों सहित) राज्य-राजमार्ग 1 तथा निकटस्थ क्षेत्र नॉर्थलैंड और ‘वायकाटो’ को भी जोड़ने वाले प्रमुख रास्ते सहित, ऑकलैंड के विभिन्न भागों को एक दूसरे से जोड़ता है. उत्तरी बस मार्ग, उत्तरी तट पर उत्तरी मोटर मार्ग के साथ-साथ लगा हुआ है. ऑकलैंड में दूसरे राज्य-राजमार्ग हैं: राज्य-राजमार्ग 16 (उत्तर-पश्चिम मोटर मार्ग), राज्य-राजमार्ग 18 (उच्च बन्दरगाह मोटर मार्ग), राज्य- राजमार्ग 20 (दक्षिण-पश्चिम मोटर मार्ग) राज्य-राजमार्ग 22 मोटर मार्ग नहीं है, बल्कि यह Dury में दक्षिणी मोटर मार्ग ‘पुकेहोहो’ से जोड़ने वाला “ग्रामीण मुख्य मार्ग” है. 1959 में खुलने वाला “ऑकलैंड हार्बर ब्रिज”, उत्तरी तट व समूचे ऑकलैंड मैट्रोपॉलिटन क्षेत्र को जोड़ने वाला प्रमुख पुल है. इस पुल के माध्यम से “वाहन यातायात” के आठ पतले रास्ते उपलब्ध होते हैं और इन रास्तों के सुविधानुसार प्रयोग के लिए, बीच-बीच में “चल नाकाबन्दी” का प्रबन्ध भी है. लेकिन पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों की रेलों तक पहुंच नहीं है. “सेन्ट्रल मोटर जंक्शन”, जो “स्पाघेटी जंक्शन” के नाम से भी जाना जाता है, वह अपनी जटिलता के कारण, ऑकलैंड के दो मोटर मार्गों (राजमार्ग 1 और राजमार्ग 16 ) के बीच चौराहा है.
तभी मोनिका ने बीच में चर्चा का सूत्र थामते हुए बताया कि ऑकलैंड क्षेत्र में दो सबसे लम्बी सड़कें हैं- ‘ग्रेट नॉर्थ रोड’ और ‘ग्रेट साउथ रोड’, जो राजमार्ग नेटवर्क के निर्माण से पहले, इन दो दिशाओं में अन्य यातायात मार्गो को प्रमुखता जोड़ती थीं. इसके अलावा असंख्य क्षेत्रीय और उपक्षेत्रीय प्रधान सड़कें, अन्य अनेक सड़कों, बड़े मार्गो को परस्पर जोड़ती हैं.

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ऑकलैंड में चार रेलवे लाइनें हैं- पश्चिमी, ओनेहंगा, पूर्वी और दक्षिणी. ये लाइनें डाउनटाउन ऑकलैंड में “ब्रिटोमार्ट ट्रांसपोर्ट सेन्टर” जो सभी लाइनों का अन्तिम केन्द्र है और जहां से नौका और बस सेवाएं उपलब्ध हैं, उससे लेकर पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी भागों को जोड़ती हैं. यातायात की अधिक आरामदामक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए और ब्रिटोमार्ट को पश्चिमी लाइन पर, पश्चिमी उपनगरों से भूमिगत रेल गुफ़ा से सीधा जोड़ने के लिए “सिटी रेल लिंक प्रोजेक्ट” के नाम से 2015 के अन्त में प्रारम्भ हुआ.

ऑकलैंड का इतिहास: हमारी बातें दिलचस्प होती जा रही थीं. इतिहास में रुचि रखने वाले मिस्टर जुर्गन के पास यहां के इतिहास के बारे में भी गहरी जानकारी थी. उन्होंने बताया कि यहां के मूल निवासियों, जिन्हें ‘माओरी’ के नाम से जाना जाता है, उनके द्वारा अस्तित्व में आया न्यू ज़ीलैंड और उसका यह शहर, वर्ष 1350 में बसाया गया. इसे बसाए जाने के पीछे, इस स्थान की उपजाऊ भूमि एक महत्वपूर्ण कारण है. हर तरह से सुरक्षित अनेक गांव मुख्यतया ज्वालामुखी के उच्चतम भाग पर पर बसाए गए. अट्ठारहवीं सदी के अन्त में, उत्तरी भाग में अस्त्र-शस्त्रों के प्रयोग की शुरूआत ने शक्ति के सन्तुलन को अस्त-व्यस्त कर दिया था, जिसके कारण सन् 1807 में जनजातियों के बीच विनाशकारी युद्धों की शुरूआत हुई, जिसने माओरी जनजातियों के संगठन को (IWI) को जन्म दिया. इनके पास नए हथियारों के साथ छुप कर शरण लेने वाले, ऐसे क्षेत्रों में अभाव था, जो समुद्री किनारों से होने वाले हमलों से छुपे हुए हों. इसका परिणाम यह हुआ कि जब यूरोपियन लोगों ने न्यू ज़ीलैंड में घुस कर बसना शुरू किया तो ऐसे क्षेत्रों में माओरी जनजातियों की संख्या नहीं के बराबर रह गई.
जनवरी, 1831 के आसपास सिडनी और ओटागो के “वैलर भाईयों” में सबसे बड़े, “जोसेफ़ ब्रुक्स वैलर” ने उत्तरी समुद्र के किनारे पर, आधुनिक शहर ऑकलैंड का एक हिस्सा और अविकसित क्षेत्र की ज़मीन के साथ “रॉडनी ज़िले” का भाग ख़रीद लिया. फ़रवरी, 1840 में ‘वायतांगी की सन्धि’ के बाद, तत्कालीन वॉयसराय जॉर्ज ईडन के नाम पर, नए गवर्नर हॉब्सन ने, इसका नामकरण करते हुए, ऑकलैंड को न्यूज़ीलैंड की राजधानी बनाया. वह भूभाग, जिस पर ऑकलैंड बसाया गया, वह स्थानीय जनजाति “नातीफातुआ’’ द्वारा गवर्नर को सद्भावना के प्रतीक रूप में इस आशा के साथ भेंट किया गया था कि शहर का निर्माण जनजातियों के लिए वाणिज्य और राजनीति के सुन्दर अवसरों का स्रोत बनेगा.
वर्ष 1841 में ऑकलैंड पूरी औपचारिकता के साथ, देश की राजधानी घोषित कर दिया गया और खाड़ी द्वीप (Bay of Island ) में ‘रसल’ (Russell,) जो यूरोपियन लोगो के रहने का स्थाई स्थान था, से प्रशासन का, स्थानान्तरण 1842 ऑकलैंड में हो गया. हांलाकि, 1840 में ‘पोर्ट निकोलस’, जिसे बाद में “वैलिंगटन” के नाम से जाना गया, उसे प्रशासनिक कामकाज के लिए बेहतर माना गया. वजह थी दक्षिणी द्वीप से उसकी निकटता और इस तरह 1865 में “वैलिंगटन” को न्यू ज़ीलैंड की राजधानी बनाया गया. इसके बावजूद ऑकलैंड न्यू ज़ीलैंड का एक महत्वपूर्ण प्रमुखतम शहर रहा. 1840 के मध्य में, ‘होनेहीके’ द्वारा चलाए जाने वाले विद्रोह के जवाब में, सरकार ने अवकाश प्राप्त, पर शारीरिक रूप से सशक्त व समर्थ ब्रिटिश सैनिकों को उनके परिवारों सहित ऑकलैंड जाकर बसने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे वे वहां जाकर, गैरिसन सैनिकों के रूप में, बन्दरगाह के चारो ओर एक सुरक्षा सीमा बनाएं.
तभी घड़ी पर मेरी नज़र गई. तीन बज चुके थे. हमें बाज़ार से कुछ सामन भी लेना था, सो हम चलने के लिए उठ खड़े हुए. विदा लेकर, बाज़ार से सामान लेते हुए हम अपने ” होम, स्वीट होम” आ गए. वहां पालतू बिल्ली हमारे इंतज़ार में लॉन में पेड़ के नीचे बैठी हुई थी. हमें देखते ही कूदकर हमारे पास आ गई और हमारे इर्द- गिर्द चक्कर काटने लगी. मानसी ने उसे गोद लेकर दुलारा और वह आंखें मीच कर उसकी बांहों में सुकून से सिमट गई.
क्रमश:
आगे घूमेंगे ऑकलैंड के संग्रहालय, बस थोड़ा इंतज़ार…

फ़ोटो: इन्स्टाग्राम

Tags: AucklandNew ZealandTravelTravelogueऑकलैंडट्रैवलट्रैवलॉगन्यू ज़ीलैंडन्यूज़ीलैंडयात्रायात्रा संस्मरण
डॉ दीप्ति गुप्ता

डॉ दीप्ति गुप्ता

डॉ दीप्ति गुप्ता पूर्व यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय,नई दिल्ली, में राष्ट्रपति द्वारा "शिक्षा सलाहकार" पद पर नियुक्त होकर अपनी सेवाएं भी दे चुकी हैं. वे हिन्दी के साथ अंग्रेज़ी में भी समान अधिकार से लिखती हैं. उनकी अंग्रेज़ी की रचनाएं कई नामचीन पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. उनकी कविताएं विश्व फलक पर चर्चित और पुरस्कृत हो चुकी हैं, विभिन्न देशों की World Poetry Anthology में शामिल होने के साथ-साथ डच, स्पेनिश, रूसी, इटैलियन, पोलिश व जर्मन भाषाओं में उनका अनुवाद भी किया गया है. उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘साहित्य भूषण’ सम्मान, कोलकाता का ‘रवीन्द्रनाथ ठाकुर’ सम्मान, महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी  का  'प्रेमचंद सम्मान' और 'भाषा शिरोमणि' जैसे अनेक सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है.

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