• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब क्लासिक कहानियां

दु:ख का अधिकार: कहानी समाज की छोटी सोच की (लेखक: यशपाल)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
January 24, 2022
in क्लासिक कहानियां, बुक क्लब
A A
दु:ख का अधिकार: कहानी समाज की छोटी सोच की (लेखक: यशपाल)
Share on FacebookShare on Twitter

जवान बेटे की मौत से भला कौन दुखी नहीं होगा, पर समाज को दुख से ज़्यादा दुख के प्रदर्शन की पड़ी होती है. बाज़ार में मुंह छुपाए घुटनों पर फफक-फफककर रो रही अधेड़ महिला का दुख किसी को नहीं दिखता, क्योंकि वह बेटे की मौत के दूसरे ही दिन सौदा बेचने बाज़ार पहुंच गई है. उसके पास ग़म मनाने की सहूलियत नहीं है, क्योंकि घर पर छोटे बच्चे भूखे हैं. आंखों के कोरों को नम कर जानेवाली यह कहानी समाज की मानसिकता पर करारा तंज है.

मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बांट देती हैं. प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है. वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं. उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है. जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह ख़ास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है.
बाज़ार में, फ़ुटपाथ पर कुछ ख़रबूज़े डलिया में और कुछ ज़मीन पर बिक्री के लिए रखे जान पड़ते थे. ख़रबूज़ों के समीप एक अधेड़ उम्र की औरत बैठी रो रही थी. ख़रबूज़े बिक्री के लिए थे, परंतु उन्हें ख़रीदने के लिए कोई कैसे आगे बढ़ता? ख़रबूज़ों को बेचनेवाली तो कपड़े से मुंह छिपाए सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफककर रो रही थी.
पड़ोस की दुकानों के तख़्तों पर बैठे या बाज़ार में खड़े लोग घृणा से उसी स्त्री के संबंध में बात कर रहे थे. उस स्त्री का रोना देखकर मन में एक व्यथा-सी उठी, पर उसके रोने का कारण जानने का उपाय क्या था? फ़ुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में मेरी पोशाक ही व्यवधान बन खड़ी हो गई.
एक आदमी ने घृणा से एक तरफ़ थूकते हुए कहा,‘क्या ज़माना है! जवान लड़के को मरे पूरा दिन नहीं बीता और यह बेहया दुकान लगा के बैठी है.’
दूसरे साहब अपनी दाढ़ी खुजाते हुए कह रहे थे,‘अरे जैसी नीयत होती है अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है.’
सामने के फ़ुटपाथ पर खड़े एक आदमी ने दियासलाई की तीली से कान खुजाते हुए कहा,‘अरे, इन लोगों का क्या है? ये कमीने लोग रोटी के टुकड़े पर जान देते हैं. इनके लिए बेटा-बेटी, ख़सम-लुगाई, धर्म -ईमान सब रोटी का टुकड़ा है.’
परचून की दुकान पर बैठे लाला जी ने कहा,‘अरे भाई, उनके लिए मरे-जिए का कोई मतलब न हो, पर दूसरे के धर्म-ईमान का तो ख़याल करना चाहिए! जवान बेटे के मरने पर तेरह दिन का सूतक होता है और वह यहां सड़क पर बाज़ार में आकर ख़रबूज़े बेचने बैठ गई है. हज़ार आदमी आते-जाते हैं. कोई क्या जानता है कि इसके घर में सूतक है. कोई इसके ख़रबूज़े खा ले तो उसका ईमान-धर्म कैसे रहेगा? क्या अंधेर है!’
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर पता लगा-उसका तेईस बरस का जवान लड़का था. घर में उसकी बहू और पोता-पोती हैं. लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा भर जमीन में कछियारी करके परिवार का निर्वाह करता था. ख़रबूज़ों की डलिया बाज़ार में पहुंचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता, कभी मां बैठ जाती.
लड़का परसों सुबह मुंह-अंधेरे बेलों में से पके ख़रबूज़े चुन रहा था. गीली मेड़ की तरावट में विश्राम करते हुए एक सांप पर लड़के का पैर पड़ गया. सांप ने लड़के को डस लिया.
लड़के की बुढ़िया मां बावली होकर ओझा को बुला लाई. झाड़ना-फूंकना हुआ. नागदेव की पूजा हुई. पूजा के लिए दान-दक्षिणा चाहिए. घर में जो कुछ आटा और अनाज था, दान-दक्षिणा में उठ गया. मां, बहू और बच्चे ‘भगवाना’ से लिपट-लिपटकर रोए, पर भगवाना जो एक दफ़े चुप हुआ तो फिर न बोला. सर्प के विष से उसका सब बदन काला पड़ गया था.
ज़िंदा आदमी नंगा भी रह सकता है, परंतु मुर्दे को नंगा कैसे विदा किया जाए? उसके लिए तो बजाज की दुकान से नया कपड़ा लाना ही होगा, चाहे उसके लिए मां के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएं .
भगवाना परलोक चला गया. घर में जो कुछ चूनी-भूसी थी सो उसे विदा करने में चली गई. बाप नहीं रहा तो क्या, लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे. दादी ने उन्हें खाने के लिए ख़रबूज़े दे दिए लेकिन बहू को क्या देती? बहू का बदन बुख़ार से तवे की तरह तप रहा था. अब बेटे के बिना बुढ़िया को दुअन्नी-चवन्नी भी कौन उधार देता.
बुढ़िया रोते-रोते और आंखें पोंछते-पोंछते भगवाना के बटोरे हुए ख़रबूज़े डलिया में समेटकर बाज़ार की ओर चली-और चारा भी क्या था?
बुढ़िया ख़रबूज़े बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफककर रो रही थी.
कल जिसका बेटा चल बसा, आज वह बाज़ार में सौदा बेचने चली है, हाय रे पत्थर-दिल!
उस पुत्र-वियोगिनी के दुःख का अंदाजा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा. वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी. उन्हें पंद्रह-पंद्रह मिनट बाद पुत्र-वियोग से मूर्छा आ जाती थी और मूर्छा न आने की अवस्था में आंखों से आंसू न रुक सकते थे. दो-दो डॉक्टर हरदम सिरहाने बैठे रहते थे. हरदम सिर पर बर्फ़ रखी जाती थी. शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे.
जब मन को सूझ का रास्ता नहीं मिलता तो बेचैनी से क़दम तेज़ हो जाते हैं. उसी हालत में नाक ऊपर उठाए, राह चलतों से ठोकरें खाता मैं चला जा रहा था. सोच रहा था-शोक करने, ग़म मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और-दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है.

Illustrations: Pinterest

इन्हें भीपढ़ें

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

September 24, 2024
Tags: 9th Hindi Sparsh storiesCBSE 9th Hindi StoriesClass 9 Hindi SparshDukh ka AdhikarDukh ka Adhikar 10th HindiDukh ka Adhikar by Yashpal in HindiDukh ka Adhikar charitra chitranDukh ka Adhikar StoryDukh ka Adhikar SummaryDukh ka Adhikar SynopsisFamous Indian WriterFamous writers storyHindi KahaniHindi KahaniyaHindi StoryHindi writersIndian WritersKahaniKahani Dukh ka Adhikarkahani Dukh ka Adhikar fullYashpalYashpal ki kahaniYashpal ki kahani Dukh ka AdhikarYashpal storiesकहानीदु:ख का अधिकारमशहूर लेखकों की कहानीयशपालयशपाल की कहानियांयशपाल की कहानीयशपाल की कहानी दु:ख का अधिकारलेखक यशपालहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

ग्लैमर, नशे और भटकाव की युवा दास्तां है ज़ायरा
बुक क्लब

ग्लैमर, नशे और भटकाव की युवा दास्तां है ज़ायरा

September 9, 2024
लोकतंत्र की एक सुबह: कमल जीत चौधरी की कविता
कविताएं

लोकतंत्र की एक सुबह: कमल जीत चौधरी की कविता

August 14, 2024
बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले: भवानी प्रसाद मिश्र की कविता
कविताएं

बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले: भवानी प्रसाद मिश्र की कविता

August 12, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.