सच बोलने की भूल: कहानी मानवीय मनोविज्ञान की (लेखक: यशपाल)
कभी-कभी झूठ बोलना अधिक सुविधाजनक होता है, पर सच तो सच ही होता है. न चाहते हुए भी बाहर आ ...
कभी-कभी झूठ बोलना अधिक सुविधाजनक होता है, पर सच तो सच ही होता है. न चाहते हुए भी बाहर आ ...
जवान बेटे की मौत से भला कौन दुखी नहीं होगा, पर समाज को दुख से ज़्यादा दुख के प्रदर्शन की ...
लेखक यशपाल की कहानी उन लेखकों पर करारा व्यंग्य है, जो बिना किसी कथ्य के कहानी लिखते हैं, सिर्फ़ इसलिए ...
अख़बार में नाम छपने का अपना अलग ही चार्म होता है. लोग न जाने क्या-क्या करते हैं अख़बार में नाम ...
पुरानी कहावत है, जब तक किसी की चोरी पकड़ी नहीं जाती, तब तक वह चोर नहीं कहलाता. भले ही वह ...
गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है,‘कर्म कर, फल की चिंता न कर’. पर दुनिया में ज़्यादातर लोग फल मिलने ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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