थोड़ी धरती पाऊं: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता
प्रकृति का सहचर्य क्यों ज़रूरी है और हम कैसे यह सहचर्य पा सकते हैं, बता रही है सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ...
प्रकृति का सहचर्य क्यों ज़रूरी है और हम कैसे यह सहचर्य पा सकते हैं, बता रही है सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ...
अगर आप चाहें, तो कभी भी और कहीं से भी अपने जीवन की नई शुरुआत कर सकते हैं. रघुवीर सहाय ...
किस व्यक्ति, किस जीव के जीवन में कठिनाइयां नहीं आतीं? संसार का हर जीव बार-बार उन कठिनाइयों से लड़ता है ...
पेशे से इंजीनियर रहे नरेश सक्सेना विलक्षण कवि हैं. उनकी कविताओं में विज्ञान और मनोविज्ञान की गहरी छाप दिखती है. ...
गुलज़ार साहब की त्रिवेणी, तीन लाइनों में लिखी गई मुकम्मल कविताएं हैं. तीन मिसरों में सोचने, समझने के लिए पर्याप्त ...
स्त्री मुक्ति, संवेदना और स्त्री शक्ति की कविताएं लिखनेवाली जया जदवानी की यह मशहूर कविता, नए ज़माने की आत्मनिर्भर महिला ...
बचपन की यादें जब बाहर निकलती हैं तो एक ऐसा तिलस्मी संसार रचती हैं कि कई बार हम ख़ुद आश्चर्यचकित ...
कवि मैथिलीशरण गुप्त के महाकाव्य ‘साकेत’ की यह रचना प्रेम की व्याख्या करती है प्रेम, प्रेम के लिए किए जानेवाले ...
अपनी कविताओं के माध्यम से चुटीले अंदाज़ में समाज को संदेश देनेवाले कुंवर बेचैन की यह कविता सबकुछ जानते समझते ...
उम्मीद पर दुनिया कायम है, इस कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल एक बेहतर उज्जवल भविष्य की उम्मीद जता रहे हैं. ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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