मोचीराम: धूमिल की कविता
धूमिल की रचनाओं में लंबी कविता ‘मोचीराम’ की विशेष जगह है. जूते की मरम्मत करनेवाला एक आदमी समाज के हर ...
धूमिल की रचनाओं में लंबी कविता ‘मोचीराम’ की विशेष जगह है. जूते की मरम्मत करनेवाला एक आदमी समाज के हर ...
धूमिल की कविता ‘बीस साल बाद’ देश की आज़ादी के बीस वर्ष बीतने पर लिखी गई थी, लेकिन आज आज़ादी ...
आम आदमी की ज़िंदगी से जुड़े सवालों पर संसद की चुप्पी को कम से कम शब्दों में बयां करती है ...
इंसान रिश्तों को निभाना चाहता है, जीवन को जीना चाहता है. सुख-दुख, मीठा-खट्टा जीवन का हर अनुभव लेना चाहता है, ...
कविता हस्तक्षेप में सत्ता की क्रूरता के ख़िलाफ़ हथियार डाले हुए लोगों की दशा बताती है. कविता में एक ऐसी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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