Tag: आज की कविता

बस्ती में है वो सन्नाटा जंगल मात लगे: क़ैसर-उल ज़ाफ़री के शेर

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क़ैसर-उल ज़ाफ़री की यह शायरी प्रतीकों और विरोधाभासों के साथ ख़ूबसूरती से खेलते हुए सीधे दिल में उतर जाती है. ...

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है: अदम गोंडवी की कविता

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देश के मेहनतकश वर्ग और गांधी का नाम लेकर नेतागिरी करनेवालों की ज़िंदगी में कितना फ़र्क़ है, अदम गोंडवी यह ...

सितारों से आगे जहां और भी हैं: अल्लामा इक़बाल की शायरी

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सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां लिखनेवाले अल्लामा इक़बाल की शायरी में गहरे विचार, उपमाओं और रूपकों की कमी नहीं होती ...

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