एक औरत का पहला राजकीय प्रवास: अनामिका की कविता
एक औरत के जितना सामंजस्य बिठाकर भला और कौन चल सकता है. अपने पहले राजकीय प्रवास पर गई औरत के ...
एक औरत के जितना सामंजस्य बिठाकर भला और कौन चल सकता है. अपने पहले राजकीय प्रवास पर गई औरत के ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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