जूता: ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता
सदियों तक समाज से दूर रही आबादी को आज़ादी के बाद एकबारगी सभी के साथ, उसी रफ़्तार से चलने के ...
सदियों तक समाज से दूर रही आबादी को आज़ादी के बाद एकबारगी सभी के साथ, उसी रफ़्तार से चलने के ...
चाहे पेंच कसना हो या बातचीत, उसके साथ सहज रहना ज़रूरी है. पेंच को बेवजह कसने से उसकी चूड़ी मर ...
मां और बेटी दो अलग-अलग पीढ़ियों और सोच का प्रतिनिधित्व करती हैं. बावजूद एक समय के बाद हर बेटी अपनी ...
मां की महानता का वर्णन करने के लिए सबसे घिसी-पिटी कहावतों में एक है ‘भगवान हर जगह नहीं रह सकता ...
ज़मीनी हक़ीक़त से नाकिफ़ लोगों को आईना दिखाती दुष्यंत कुमार की यह ग़जल, सत्ता की तानाशाही के प्रति ज़ोरदार आवाज़ ...
अक्षय तृतीया और ईद का एक ही दिन आना, उन लोगों के मन में सुनहरी यादों के जी उठने जैसा ...
सत्ता के भ्रष्ट होने पर जनता के सामने क्या विकल्प बचते हैं? श्रीकांत वर्मा की कविता तीन विकल्प सुझा रही ...
समय और संवेदना को ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ देनेवाले कवि ऋतुराज की कविताएं आपको भावनाओं की यात्रा पर ले चलती हैं. कविता ...
दुनिया में कई काम महज़ रस्म अदायगी के लिए कर दिए जाते हैं. जावेद अख़्तर की यह कविता इसी रस्म ...
अक्सर लोग कहते सुने जाते हैं कि आजकल अच्छे बच्चे मुश्क़िल से मिलते हैं. पर जो अच्छे बच्चे मिलते भी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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