त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
एक ऐक्सिडेंट हो जाता है. भीड़ जमा हो जाती है. अपनी-अपनी राय देने लगती है. यह कहानी उस दुर्घटना में ...
एक ऐक्सिडेंट हो जाता है. भीड़ जमा हो जाती है. अपनी-अपनी राय देने लगती है. यह कहानी उस दुर्घटना में ...
परिवार कहने को तो दुनिया का सबसे प्यारा शब्द है, पर क्या क़रीब से भी यह शब्द उतना ही प्यारा ...
मां बाहर से भले ही सख़्त दिखे, पर उसका दिल अंदर से बेहद मुलायम होता है. रानी मां का चबूतरा ...
भोलू की नई-नई शादी हुई है. उसी के कहने पर हुई है. पर वह जितना शादी के पहले बेचैन रहता ...
पति और भाई के अहम् की लड़ाई के बीच फंसी महिला की परेशान कर देनेवाली कशमकश. ‘आखिर तुमको यह सब ...
भीष्म साहनी की कहानी भाग्यरेखा. एक बाग़, कुछ बेरोज़गार, एक ज्योतिषी और अलसाई सी दोपहर. भाग्य रेखा देखकर कैसे दिन ...
नदी के द्वीप में फंसी ज़िंदगियों की भावनाओं में डूबती-उतराती कहानी. किसी के किए गए वादे को निभाने की जद्दोजहद ...
अंधविश्वास सबसे अधिक औरतों पर प्रहार करता है. उधड़ी हुई कहानियों में लेखिका अमृता प्रीतम अंधविश्वास के चंगुल में फंसकर ...
रबिन्द्रनाथ टैगोर की यह लघुकथा लौकिक और अलौकिक सुख और इच्छाओं की बड़े ही संक्षेप में क्या अद्भुत व्याख्या करती ...
काला जल जैसे हिंदी के कालजयी उपन्यास के लेखक गुलशेर ख़ां शानी की कहानियां भी समाज के विरोधाभासों और विडंबनाओं ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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