है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए: गोपालदास नीरज की कविता
अच्छे दिनों का बेसब्री से इंतज़ार करती गोपालदास सक्सेना नीरज की यह कविता आपको एक साथ हालात के सकारात्मक और ...
अच्छे दिनों का बेसब्री से इंतज़ार करती गोपालदास सक्सेना नीरज की यह कविता आपको एक साथ हालात के सकारात्मक और ...
जहां विडंबना है, विरोधाभास है, वहां कविता है. कृषि प्रधान देश भारत में कृषकों की हालत को बयां करती अरुण ...
किसी भी भाषा की समृद्धि उसके साहित्य को समृद्ध करती है. पर प्यार करने के लिए भाषा की समृद्धि नहीं ...
सपने आने का समाजविज्ञान क्रांतिकारी कवि पाश की यह छोटी-सी कविता बख़ूबी बयां करती है. हर किसी को नहीं आते ...
शब्द ज़ख्म हैं, शब्द मरहम भी. शब्द सुकून हैं, शब्द नश्तर भी. शब्द मजबूरी हैं और शब्द ग़ैरज़रूरी भी. शब्दों ...
शब्द बेहद ताक़तवर और ईमानदार होते हैं. बस उनके इस्तेमाल का तरीक़ा और सलीका हमें आना चाहिए. ‘शब्द झूठ नहीं ...
आपातकाल के विरोध में लिखी रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है’ बेहद चर्चित रही ...
कहते हैं आत्महत्या करना कायरों का काम है. पर कई बार हत्याएं आत्महत्याओं में तब्दील की दी जाती हैं. एक ...
सरकार कोई भी हो, भले ही उसके जनता के हित के कितने ही वादे क्यों न किए हों, एक समय ...
वरिष्ठ साहित्यकार अरुण कमल की कविता ‘धार’ मेहनतकश वर्ग की ज़िंदगी की कहानी कहती है. साथ ही कवि यह भी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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