इस वैलेंटाइन्स डे: मीनाक्षी विजयवर्गीय की कविता
लिखना, महसूस करने की दूसरी सीढ़ी है. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस कविता में वैलेंटाइन्स डे के मौसम में एक पत्नी, ...
लिखना, महसूस करने की दूसरी सीढ़ी है. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस कविता में वैलेंटाइन्स डे के मौसम में एक पत्नी, ...
तुलसी दास और रामचरित मानस विवाद के बीच क़रीब 25 साल पहले प्रकाशित कविता संग्रह ‘माटी के वारिस’ की कविता ...
बेहतर अवसर की तलाश में अपने गांव को छोड़कर शहरों की ओर रुख़ करना ज़्यादातर लोगों की मजबूरी होती है. ...
हर अच्छे बुरे का कोई न कोई कारण ज़रूर होता है. बशीर बद्र की ग़ज़ल‘यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता’ बेवफ़ाई ...
समाज ही नहीं, साहित्य जगत में भी अच्छे लेखकों को दलित और पिछड़ी जातियों से होने का खामियाज़ा भुगतना पड़ता ...
भारतीय कृषकों की स्थिति, परिस्थिति पर आधारित मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘किसान’ भले ही दशकों पहले लिखी गई हो, पर ...
हिंदी कविता के छायावादी कवियों में प्रमुख नाम सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की इस मशहूर कविता कविता में मां सरस्वती से ...
आगे बढ़ना ही जीवन है और जीवन में आगे बढ़ते हुए बहुत कुछ छूट और टूट जाता है. टूटी और ...
महानगरों में रहनेवालों के लिए जातिप्रथा भले ही बीते कल की बात लगे, पर हमारे गांवों के सिलैबस में जातिवाद ...
शब्दों से खींची और कविता में ढली वरिष्ठ कवि लीलाधर जगूड़ी की रचना ‘सुबह का फोटू’ आपके सामने एक सजीव ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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