तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं: दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल
ज़मीनी हक़ीक़त से नाकिफ़ लोगों को आईना दिखाती दुष्यंत कुमार की यह ग़जल, सत्ता की तानाशाही के प्रति ज़ोरदार आवाज़ ...
ज़मीनी हक़ीक़त से नाकिफ़ लोगों को आईना दिखाती दुष्यंत कुमार की यह ग़जल, सत्ता की तानाशाही के प्रति ज़ोरदार आवाज़ ...
समय और संवेदना को ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ देनेवाले कवि ऋतुराज की कविताएं आपको भावनाओं की यात्रा पर ले चलती हैं. कविता ...
दुनिया में कई काम महज़ रस्म अदायगी के लिए कर दिए जाते हैं. जावेद अख़्तर की यह कविता इसी रस्म ...
अक्सर लोग कहते सुने जाते हैं कि आजकल अच्छे बच्चे मुश्क़िल से मिलते हैं. पर जो अच्छे बच्चे मिलते भी ...
अक्सर लोग कहते सुने जाते हैं कि आजकल अच्छे बच्चे मुश्क़िल से मिलते हैं. पर जो अच्छे बच्चे मिलते भी ...
गुलज़ार साहब की कविताएं जाने-पहचाने शब्दों को नए मायने देती हैं. आंखों के सामने नए दृश्य खींच देती हैं. वो ...
प्रकृति के शांत विद्रोह-विरोध को शब्द देती हुई चेतन कुम्हारी यह छोटी-सी कविता विकास की क़ीमत चुका रहे दुनियाभर के ...
हर दार्शनिक कहता रहा है कि हमें अपने अंदर के बच्चे को ज़िंदा रखना चाहिए. कवि राहुल राजेंद्र खंडालकर की ...
अपने संवेदना, करुणा और जीवन के फ़लसफ़े से भरे सैकड़ों गीतों को धरोहर के तौर पर हमें दे गए गीतकार ...
बरसात के मौसम में पहाड़ों की ख़ूबसूरती देखते बनती है. वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश के अनुपम सौंदर्य का वर्णन ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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