अंगूर की बेल: डॉ संगीता झा की कहानी
ख़ूबसूरत लड़कियों को चिढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जानेवाला एक जुमला ‘अंगूर की बेल’ कैसे एक परिवार की तीन पीढ़ियों...
डॉ संगीता झा हिंदी साहित्य में एक नया नाम हैं. पेशे से एंडोक्राइन सर्जन की तीन पुस्तकें रिले रेस, मिट्टी की गुल्लक और लम्हे प्रकाशित हो चुकी हैं. रायपुर में जन्मी, पली-पढ़ी डॉ संगीता लगभग तीन दशक से हैदराबाद की जानीमानी कंसल्टेंट एंडोक्राइन सर्जन हैं. संपर्क: 98480 27414/ [email protected]
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वैसे तो हम हर रोज़ आईना देखते हैं, पर जीवन की कई सच्चाइयों को जानबूझकर देखने से कतराते रहते हैं....
‘नेक कर दरिया में डाल’ यानी अच्छा काम करके भूल जाएं. यह हमें बचपन से सिखाया जाता है. आप भले...
हम दुनिया को अपना जो चेहरा दिखाते हैं, क्या हमारा वह एकमात्र चेहरा होता है? डॉ संगीता झा की यह...
अक्षय तृतीया और ईद का एक ही दिन आना, उन लोगों के मन में सुनहरी यादों के जी उठने जैसा...
धर्म और सियासत द्वारा अपने-अपने फ़ायदे के लिए रिश्तों में नफ़रत का ज़हर घोलने का काम किया जाता रहा है....
कई बार अंधविश्वास और मान्यताएं हमारे दिमाग़ में इस क़दर घर बना लेते हैं कि उनके चक्कर में हम किसी...
समय के साथ रिश्ते बदल जाते हैं. तीज-त्यौहार तो वही रहते हैं, पर उन्हें मनाने का रंग-ढंग बदल जाता है....
बचपन में भाई और बहन के बीच नोकझोंक न हो तो वह बचपन ही क्या? भले ही बचपन में भाई-बहन...
एक बेवफ़ा पति, एक समर्पित पत्नी, अपने बेटे को प्यार करने वाली सास. शादीशुदा जोड़े की दो बेटियां. दशहरे का...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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