ग्रीन कार्ड: डॉ संगीता झा की कहानी
एक अपराजिता कैसे समय के साथ समाज से हार मान लेती है? कैसे आज भी एक पढ़ी-लिखी और आज़ाद ख़्याल...
डॉ संगीता झा हिंदी साहित्य में एक नया नाम हैं. पेशे से एंडोक्राइन सर्जन की तीन पुस्तकें रिले रेस, मिट्टी की गुल्लक और लम्हे प्रकाशित हो चुकी हैं. रायपुर में जन्मी, पली-पढ़ी डॉ संगीता लगभग तीन दशक से हैदराबाद की जानीमानी कंसल्टेंट एंडोक्राइन सर्जन हैं. संपर्क: 98480 27414/ [email protected]
एक अपराजिता कैसे समय के साथ समाज से हार मान लेती है? कैसे आज भी एक पढ़ी-लिखी और आज़ाद ख़्याल...
क्या है एक ज़िंदादिल नानी की वह कहानी, जो उसे अक्सर परेशान करती है? पढ़ें, डॉ संगीता झा की कहानी...
हैदराबाद की जानी-मानी एंडोक्राइन सर्जन डॉ संगीता झा की कविताएं थोड़ी लंबी ज़रूर होती हैं, पर उन्हें पढ़ते हुए आपके...
जहां कोरोना ने पूरी दुनिया को अपने क़हर से घुटनों पर ला दिया, वहीं इसी कोरोना की दूसरी लहर के...
एक होममेकर की ज़िंदगी तब पूरी तरह बदल जाती है, जब कोरोना के चलते लॉक डाउन लग जाता है. यह...
जब पूरी दुनिया स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे बड़ी क्राइसिस से गुज़र रही हो तो विश्व स्वास्थ्य दिवस और भी महत्वपूर्ण...
यह कहानी है उस दौर की, जब कोरोना के शुरुआती दिनों में लॉकडाउन लगा था. हम घरों में क़ैद तो...
मूलत: कहानीकार डॉ संगीता झा की होली पर लिखी इस लंबी कविता को आप एक काव्यात्मक कहानी की तरह पढ़...
यह कहानी है एक पिता और उसके पुत्र की. क्या होता है, जब पिता और पुत्र दोनों का दिल एक...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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