ख़ुशबू ग़ुंचे तलाश करती है: गुलज़ार की कविता
ग़ुलाम अली की आवाज़ में आपने भी यह ग़ज़ल सुनी होगी. बीते समय की तलाश पर ले चलती गुलज़ार साहब ...
ग़ुलाम अली की आवाज़ में आपने भी यह ग़ज़ल सुनी होगी. बीते समय की तलाश पर ले चलती गुलज़ार साहब ...
जुलाहे की तरह बारीक़ी से रिश्तों के धागे बुनने का हुनर अगर हम सबको आता तो हमारी ज़िंदगी वाक़ई गुलज़ार ...
सतत चलती रहनेवाली, बहती रहनेवाली नदी भी सुस्ताना चाहती है. बिल्कुल एक कविता की तरह. गुलज़ार साहब की कविता ‘एक ...
आंसू शीर्षक से लिखी गई गुलज़ार साहब की ये तीन कविताएं अपने हर अल्फ़ाज़ के साथ कमाल करती हैं. आंसू ...
गुलज़ार साहब की त्रिवेणी, तीन लाइनों में लिखी गई मुकम्मल कविताएं हैं. तीन मिसरों में सोचने, समझने के लिए पर्याप्त ...
हिंदुस्तान अपनी आज़ादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है. पर उम्मीदों से भरे इस देश में बहुत-सी चीज़ें हैं, जिन्हें ...
इंसानी सभ्यता को नए स्तर पर पहुंचानेवाली किताबें, टेक्नोलॉजी के दौर में पीछे छूट रही हैं. कभी हमारे हाथों में ...
वक़्त का चूल्हा जलते रहने के लिए ईंधन मांगता है. गुलज़ार साहब की कविता ईंधन उपलों की टेक लेकर बचपन ...
गुलज़ार साहब की कविताएं जाने-पहचाने शब्दों को नए मायने देती हैं. आंखों के सामने नए दृश्य खींच देती हैं. वो ...
महजबों के बीच नफ़रत की भावना ने किस क़दर घर कर लिया है कि एक मरे हुए आदमी की आख़िरी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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