वादा: मीनाक्षी विजयवर्गीय की कहानी
परिवार कहने को तो दुनिया का सबसे प्यारा शब्द है, पर क्या क़रीब से भी यह शब्द उतना ही प्यारा ...
परिवार कहने को तो दुनिया का सबसे प्यारा शब्द है, पर क्या क़रीब से भी यह शब्द उतना ही प्यारा ...
कई बार रिश्तों को जोड़ने वाली घटनाएं और कड़ियां इतनी मामूली-सी होती हैं, जिनके बारे में हम सोच भी नहीं ...
कई बार जाने, अनजाने हम अपने आप पर घमंड करने लग जाते हैं. हमें लगता है कि हम बहुत अच्छे ...
लिखना, महसूस करने की दूसरी सीढ़ी है. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस कविता में वैलेंटाइन्स डे के मौसम में एक पत्नी, ...
प्यार करने से भी ज़्यादा ज़रूरी है, प्यार को बरकरार रखना. भरोसे की उस डोर को टूटने और छूटने न ...
ज़िंदगी के छोटे-छोटे क़िस्से ज़िंदगी और ज़िंदा रहने की अहमियत बता देते हैं. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस रोचक कहानी में ...
एक ही घटना को देखने के अलग नज़रिए होते हैं. किसी की आज़ादी, किसी के लिए धोखा हो सकती है. ...
घर वह जगह है, जहां हमें पूरी दुनिया जीतने के बाद लौटना है. पर कुछ ऐसे बेघर लोग भी होते ...
अपना नेटवर्क हासिल करने के लिए धरती से हज़ारों किलोमीटर दूर घूम रहे सैटेलाइट्स से जुड़ने वाला मोबाइल फ़ोन, कैसे ...
कई बार हम अपने अधिकारों और दूसरों की अच्छाई का ग़लत फ़ायदा उठा जाते हैं. मीनाक्षी विजयवर्गीय की यह छोटी-सी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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