लंका विजय के बाद: कहानी सत्ता सुख की (लेखक: हरिशंकर परसाई)
रामायण का प्रसंग लेते हुए हरिशंकर परसाई ने आज़ाद भारत की राजनीति पर करारा व्यंग्य किया है. यह प्रसंग आज ...
रामायण का प्रसंग लेते हुए हरिशंकर परसाई ने आज़ाद भारत की राजनीति पर करारा व्यंग्य किया है. यह प्रसंग आज ...
हम भयंकर अंतरविरोध वाले समाज में रहते हैं, बता रही है हरिशंकर परसाई की कहानी ‘प्रेम-पत्र और हेडमास्टर’. गुरु लोगों ...
हरिशंकर परसाई की यह रचना तो वैसे दशकों पहले की है. पर देश की मौजूदा आबोहवा में कहानीनुमा व्यंग्य ‘आवारा ...
हम सभी स्कूली दिनों में कहावतें, सुभाषित रटते हैं. क्या फ़ायदा होता है इन कहावतों और सुभाषितों का? व्यंग्य सम्राट ...
हमारे समाज की विसंगतियों, विडंबनाओं पर जिन लेखकों ने बेहिचक अपनी धारदार लेखनी चलाई उसमें हरिशंकर परसाई प्रमुख थे. भूख ...
व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की पैनी नज़र से भला कौन बच पाया. उन्होंने उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की फ़ोटो में उनके ...
बाल सफ़ेद होना एक सहज और अनिवार्य क़ुदरती प्रक्रिया है. फिर भी हम अपना पहला सफ़ेद बाल देखकर डर जाते ...
एक शहर में अश्लील किताबों के अनूठे विरोध प्रदर्शन पर करारा व्यंग्य है प्रतिष्ठित व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की यह रचना. ...
मृत्युलोक में भोलाराम नामक इंसान का जीव लेने गया यमदूत पांच दिनों से लापता है. जब वह लौटता भी है ...
कैसे भेड़ों ने अपनी हित-रक्षा के लिए भेड़ियों को चुना, मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने अपनी इस कहानी में हमारे ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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