• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब क्लासिक कहानियां

लंका विजय के बाद: कहानी सत्ता सुख की (लेखक: हरिशंकर परसाई)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
August 21, 2023
in क्लासिक कहानियां, बुक क्लब
A A
Harishankar-parsai
Share on FacebookShare on Twitter

रामायण का प्रसंग लेते हुए हरिशंकर परसाई ने आज़ाद भारत की राजनीति पर करारा व्यंग्य किया है. यह प्रसंग आज की राजनीतिक परिस्थिति में भी फ़िट बैठता है.

तब भारद्वाज बोले, ‘हे ऋषिवर, आपने मुझे परम पुनीत राम-कथा सुनाई, जिसे सुनकर मैं कृतार्थ हुआ. परन्तु लंका-विजय के बाद बानरों के चरित्र के विषय में आपने कुछ नहीं कहा. अयोध्या लौटकर बानरों ने कैसे कार्य किए, सो अब समझाकर कहिये.’
याज्ञवल्क्य बोले, ‘हे भारद्वाज, वह प्रसंग श्रद्धालु भक्तों के श्रवण योग्य नहीं है. उससे श्रद्धा स्खलित होती है. उस प्रसंग के वक्ता और श्रोता दोनों ही पाप के भागी होते हैं.’
तब भारद्वाज हाथ जोड़कर कहने लगे, ‘भगवन, आप तो परम ज्ञानी हैं. आपको विदित ही है कि श्रद्धा के आवरण में सत्य को नहीं छिपाना चाहिए. मैं एक सामान्य सत्यांवेशी हूं. कृपा कर मुझे बानरों का सत्य चरित्र ही सुनाईए.’
याज्ञवल्क्य प्रसन्न होकर बोले, ‘हे मुनि, मैं तुम्हारी सत्य-निष्ठा देखकर परम प्रसन्न हुआ. तुममें पात्रता देखकर अब मैं तुम्हें वह दुर्लभ प्रसंग सुनाता हूं, सो ध्यान से सुनो.’
इतना कहकर याज्ञवल्क्य ने नेत्र बंद कर लिए और ध्यान-मग्न हो गए. भारद्वाज उनके उस ज्ञानोद्दीप्त मुख को देखते रहे. उस सहज, शांत और सौम्य मुख पर आवेग और क्षोभ के चिन्ह प्रकट होने लगे और ललाट पर रेखाएं उभर आईं. फिर नेत्र खोलकर याज्ञवल्क्य ने कहना प्रारम्भ किया:
‘हे भारद्वाज, एक दिन भरत बड़े खिन्न और चिंतित मुख से महाराज रामचंद्र के पास गए और कहने लगे, ‘भैया, आपके इन बानरों ने बड़ा उत्पात मचा रखा है. राज्य के नागरिक इनके दिन-दूने उपद्रवों से तंग आ गए हैं. ये बानर लंका-विजय के मद से उन्मत्त हो गए हैं. वे किसी के भी बगीचे में घुस जाते हैं और उसे नष्ट कर देते हैं; किसी के भी घर पर बरबस अधिकार जमा लेते हैं. किसी का भी धन-धान्य छीन लेते हैं, किसी की भी स्त्री का अपहरण कर लेते हैं. नागरिक विरोध करते हैं, तो कहते हैं कि हमने तुम्हारी स्वतंत्रता के लिए संग्राम किया था; हमने तुम्हारी भूमि को असुरों से बचाया; हम न लड़ते तो तुम अनार्यों की अधीनता में होते; हमने तुम्हारी आर्यभूमि के हेतु त्याग और बलिदान किया है. देखो हमारे शरीर के घाव’.
कहते-कहते भरत आवेश से विचलित हो गए. फिर खीझते-से बोले, ‘भैया, मैंने आपसे पहले ही कहा था कि इन बंदरों को मुंह मत लगाईये. मैं इसीलिये चित्रकूट तक सेना लेकर गया था कि आप अयोध्या की अनुशासन-पूर्ण सेना ही अपने साथ रखें. परन्तु आपने मेरी बात नहीं मानी. और अब हम परिणाम भुगत रहे हैं. ये आपके बानर प्रजा को लूट रहे हैं. एक प्रकार से बानर-राज्य ही हो गया है.’
भरत के मुंह से क्रोध के कारण शब्द नहीं निकलते थे. वे मौन हो गए. रामचंद्र भी सिर नीचा करके सोचने लगे. हे मुनिवर, उस समय मर्यादापुरुषोत्तम के शांत मुख पर भी चिन्ता और उद्वेग के भाव उभरने लगे.
सहसा द्वार पर कोलाहल सुनाई पडा. भरत तुरंत उठकर द्वार पर गए और थोड़ी देर बाद लौटे तो उनका मुख क्रोध से तमतमाया हुआ था. बड़े आवेश में अग्रज से बोले, ‘भैया, आपके बानर नया बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं. द्वार पर इकठ्ठे हो गए हैं और चिल्ला रहे हैं कि हमने आर्यभूमि की रक्षा की है, इसलिए राज्य पर हमारा अधिकार हैं. राज्य के सब पद हमें मिलने चाहिए; हम शासन करेंगे.’
हे भारद्वाज, इतना सुनते ही राम उठे और भरत के साथ द्वार पर गए. उच्च स्वर में बोले; ‘बानरों, अपनी करनी का बार-बार बखान कर मुझे लज्जित मत करो. इस बात को कोई अस्वीकार नहीं करता कि तुमने देश के लिए संग्राम किया है. परन्तु लड़ना एक बात है और शासन करना सर्वथा दूसरी बात. अब इस देश का विकास करना है, इसकी उन्नति करनी है. अतएव शासन का कार्य योग्य व्यक्तियों को ही सौंपा जायेगा. तुम लोग अन्य नागरिकों की भांति श्रम करके जीविकोपार्जन करो और प्रजा के सामने आदर्श उपस्थित करो.’
महाराज रामचंद्र के शब्द सुनकर बानरों में बड़ी हलचल मची. कुछ ने उनकी बात को उचित बतलाया. पर अधिकांश बानर क्रोध से दांत किटकिटाने लगे. उनमें जो मुखिया थे, वे बोले, ‘महाराज, हम श्रम नहीं कर सकते. आपकी ‘जै’ बोलने से अधिक श्रम हमसे नहीं बनता. हमने संग्राम में पर्याप्त श्रम कर लिया. हमने इसलिए आर्य संग्राम में भाग नहीं लिया था कि पीछे हमें साधारण नागरिक की तरह खेतों में हल चलाना पड़ेगा. और अपनी योग्यता का परिचय हमने लंका में पर्याप्त दे दिया है. ये हमारे शरीर के घाव हमारी योग्यता के प्रमाण हैं. इन घावों से ही हमारी योग्यता आंकी जाय. हमारे घाव गिने जाएं.
हे भारद्वाज, राम ने उन्हें समझाने का बहुत प्रयत्न किया, परन्तु बानरों ने बुद्धि को तो वन में ही छोड़ दिया था. हताश होकर राम ने भरत से कहा, ‘भाई, ये नहीं मानेंगे. इनके घाव गिनने का प्रबंध करना ही पड़ेगा.’
इसी समय उस भीड़ से गगनभेदी स्वर उठा, ‘हमारे घाव गिने जाएं. हमारे घाव ही हमारी योग्यता हैं.’
तब भरत ने कहा, ‘बानरों, अब शांत हो जाओ. कल अयोध्या में ‘घाव-पंजीयन कार्यालय’ खुलेगा. तुम लोग कार्यालय के अधिकारी के पास जाकर उसे अपने-अपने सच्चे घाव दिखा, उसके प्रमाणपत्र लो. घावों की गिनती हो जाने पर तुम्हें योग्यतानुसार राज्य के पद दिए जायेंगे.’
इस पर बानरों ने हर्ष-ध्वनि की. आकाश से देवताओं ने जय-जयकार किया और पुष्प बरसाए. हे भारद्वाज, निठल्लों को दूसरे की विजय पर जय बोलने ओ फूल बरसाने के अतिरिक्त और काम ही क्या है? बानर प्रसन्नता से अपने-अपने निवास स्थान को लौट गए.’
दूसरे दिन नंग-धड़ंग बानर राज्य-मार्गों पर नाचते हुए घाव गिनाने जाने लगे. अयोध्या के सभ्य नागरिक उनके नग्न-नृत्य देख, लज्जा से मुंह फेर-फेर लेते.
हे भारद्वाज, इस समय बानरों ने बड़े-बड़े विचित्र चरित्र किए. एक बानर अपने घर में तलवार से स्वयं ही शरीर पर घाव बना रहा था. उसकी स्त्री घबरा कर बोली, ‘नाथ, यह क्या कर रहे हो?’ बानर ने हंस कर कहा, ‘प्रिये, शरीर में घाव बना रहा हूं. आज-कल घाव गिनकर पद दिए जा रहे हैं. राम-रावण संग्राम के समय तो भाग कर जंगलों में छिप गया था. फिर जब राम की विजय-सेना लौटी, तो मैं उसमें शामिल हो गया. मेरी ही तरह अनेक बानर वन से निकलकर उस विजयी सेना में मिल गए. हमारे तन पर एक भी घाव नहीं था, इसलिए हमें सामान्य परिचारक का पद मिलता. अब हम लोग स्वयं घाव बना रहे हैं.’
स्त्री ने शंका जाहिर की, ‘परन्तु प्राणनाथ, क्या कार्यालय वाले यह नहीं समझेंगे कि घाव राम-रावण संग्राम के नहीं हैं?’ बानर हंस कर बोला, ‘प्रिये, तुम भोली हो. वहां भी धांधली चलती है.’
स्त्री बोली, ‘प्रियतम, तुम कौन सा पद लोगे?’
बानर ने कहा, ‘प्रिये, मैं कुलपति बनूंगा. मुझे बचपन से ही विद्या से बड़ा प्रेम है. मैं ऋषियों के आश्रम के आस-पास मंडराया करता था. मैं विद्यार्थियों की चोटी खींचकर भागता था, हव्य सामग्री झपटकर ले लेता था. एक बार एक ऋषि का कमंडल ही ले भागा था. इसी से तुम मेरे विद्या-प्रेम का अनुमान लगा सकती हो. मैं तो कुलपति ही बनूंगा.’
याज्ञवल्क्य तनिक रुककर बोले, ‘हे मुनि, इस प्रकार घाव गिना-गिनाकर बानर जहां-तहां राज्य के उच्च पदों पर आसीन हो गए और बानर-वृत्ति के अनुसार राज्य करने लगे. कुछ काल तक अयोध्या में राम-राज के स्थान पर वानर-राज ही चला.’
भारद्वाज ने कहा, ‘मुनिवर, बानर तो असंख्य थे, और राज के पद संख्या में सीमित. शेष बानरों ने क्या किया?’
याज्ञवल्क्य बोले, ‘हे मुनि, शेष बानर अनेक प्रकार के पाखण्ड रचकर प्रजा से धन हड़पने लगे. जब रामचंद्र ने जगत जननी सीता का परित्याग किया, तब कुछ बनारों ने ‘सीता सहायता कोष’ खोल लिया और अयोध्या के उदार श्रद्धालु नागरिकों से चन्दा लेकर खा गए.’
याज्ञवल्क्य ने अब आंखें बंद कर लीं और बड़ी देर चिन्ता में लीन रहे. फिर नेत्र खोलकर बोले, ‘हे भारद्वाज, श्रद्धालुओं के लिए वर्जित यह प्रसंग मैंने तुम्हें सुनाया है. इसके कहने और सुनने वाले को पाप लगता है. अतएव हे मुनि, हम दोनों प्रायश्चित-स्वरूप तीन दिनों तक उपवास करेंगे.’

Illustration: Pinterest

इन्हें भीपढ़ें

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

September 24, 2024
Tags: Famous Indian WriterFamous writers’ storyHarishankar ParsaiHarishankar Parsai ki kahaniHarishankar Parsai ki kahani Lanka Vijay ke BaadHarishankar Parsai storiesHindi KahaniHindi StoryHindi writersIndian WritersKahaniकहानीमशहूर लेखकों की कहानीलंका विजय के बादहरिशंकर परसाईहरिशंकर परसाई की कहानियांहरिशंकर परसाई की कहानीहरिशंकर परसाई की कहानी लंका विजय के बादहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

ग्लैमर, नशे और भटकाव की युवा दास्तां है ज़ायरा
बुक क्लब

ग्लैमर, नशे और भटकाव की युवा दास्तां है ज़ायरा

September 9, 2024
लोकतंत्र की एक सुबह: कमल जीत चौधरी की कविता
कविताएं

लोकतंत्र की एक सुबह: कमल जीत चौधरी की कविता

August 14, 2024
बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले: भवानी प्रसाद मिश्र की कविता
कविताएं

बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले: भवानी प्रसाद मिश्र की कविता

August 12, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.