हम चाहें या न चाहें, वक़्त हमें बदल ही देता है. फ़ादर्स डे विशेष कविता ‘पिता के घर लौटने पर’...
कूड़ा बीनते बच्चों को देखकर किसका मन द्रवित नहीं होता होगा! कूड़ा बीनते बच्चों को देखकर कोई भी संवेदनशील मन...
ग़रीबी और ख़ूबसूरती में अगर मुक़ाबला कराया जाए तो एक शुरुआती उठा-पटक के बाद ख़ूबसूरती हार जाएगी. ग़रीबी इच्छाओं पर...
कविता एक सरल और बेहद कठिन विधा है. सरल इसलिए क्योंकि भावनाओं से भरा हर मनुष्य कवि होता है, और...
जहां लाठी सरकार की ओर से कमज़ोरों पर चलती है, वहीं कविता सरकार और भगवान की सत्ताओं के ख़िलाफ़ और...
इज़्ज़त एक ऐसी शै है, जिसे बनाए और बचाए रखने का जतन हर इंसान करता है. दौलत से आई हुई...
बुद्ध के दौर की यह कहानी एक राजा और सन्यासी के धर्म और लक्षणों के बारे में बात करती है....
मां को बलिदान की मूरत बनाकर पेश किया जाता है, पर क्या एक मां सिर्फ़ मां ही होती है? बच्चे...
हम सब भगवान की शक्तियां चाहते हैं, पर भगवान की तक़लीफ़ साझा करने को लेकर उदासीन क्यों हो जाते हैं?...
आदमी के तेज़ी से आंकड़ों में बदलते जाने के विरोधाभास पर रौशनी डालती कुंवर नारायण की कविता, आम आदमी के...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.
© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.