हाल ही में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवयित्री अनामिका की कविताएं अपने अंदर कहानियां समेटे होती हैं. वे आपसे बतियाती...
क्या समानता हो सकती है ईश्वर और इंटरनेट में? जबकि एक ने इंसान को रचा है, दूसरे को इंसान ने...
यह कहानी है उस दौर की, जब कोरोना के शुरुआती दिनों में लॉकडाउन लगा था. हम घरों में क़ैद तो...
जेएनयू कैम्पस के अपने कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ अपनी कविताओं से समाज के दोहरे चेहरे को उघाड़ने में ज़रा भी...
पति का दूसरी औरत से अफ़ेयर हो जाना सामान्य माना जाता है, आज भी! और तो और उस महिला के...
रघुवीर सहाय की कविताएं आम आदमी के जीवन की छोटी-छोटी बातों को व्यापक अर्थों में व्यक्त करती हैं. उनकी स्त्री...
पलाश के खिलने के मौसम में वो लड़की अपने प्रेम को याद करती है और याद करती है उस होली...
मशहूर अनुवादक रचना भोला ‘यामिनी’ ने अपने कविता संग्रह मन के मंजीरे में आत्मिक प्रेम की अनुभूतियों को बड़ी सहजता...
गंगा-जमुनी संस्कृति के जाने-माने शायर नज़ीर बनारसी ने तमाम सामाजिक मुद्दों पर लिखते थे. उन्होंने ज़िंदगी के तमाम रंगों पर...
मूलत: कहानीकार डॉ संगीता झा की होली पर लिखी इस लंबी कविता को आप एक काव्यात्मक कहानी की तरह पढ़...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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