• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home सुर्ख़ियों में ख़बरें

हिंदी लेखन जगत को अनाथ कर गया मन्नू भंडारी का जाना

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
November 15, 2021
in ख़बरें, ज़रूर पढ़ें, सुर्ख़ियों में
A A
हिंदी लेखन जगत को अनाथ कर गया मन्नू भंडारी का जाना
Share on FacebookShare on Twitter

हिंदी साहित्य के स्वर्णिम काल के प्रमुख हस्ताक्षरों में एक रहीं जानी-मानी लेखिका मन्नू भंडारी नहीं रहीं. उनके उपन्यास ‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ हिंदी के सर्वकालीन लोकप्रिय उपन्यासों में जगह रखते हैं.

पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहीं जेष्ठ लेखिका मन्नू भंडारी का एक सप्ताह उपचाराधीन रहने के बाद आज यानी 15 नवंबर को निधन हो गया. कल दोपहर 12.30 बजे लोधी रोड, नई दिल्ली स्थित विद्युत शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. यूं तो मन्नू जी पिछले काफ़ी समय से लेखन में सक्रिय नहीं थीं, पर लंबे समय से लेखन से दूर रहने के बावजूद मन्नू भंडारी का होना ही हिंदी लेखन से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणा और आशीर्वाद की तरह था. आख़िरकार, वे हिंदी लेखन के उन वृक्षों में थीं, जिसकी छत्रछाया ने हज़ारों पौध विकसित हुए, अपनी ख़ास जगह बनाई.

हिंदी के पटल पर ख़ाली हो गई एक बड़ी जगह
हिंदी की दुनिया में मन्नू भंडारी के क्या मायने थे, यह हमन राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी से जानना चाहा, क्योंकि मन्नू जी की ज़्यादातर किताबें राजकमल समूह के इम्प्रिंट राधाकृष्ण प्रकाशन से ही प्रकाशित हुई हैं. इस शोकपूर्ण अवसर पर मन्नू जी को याद करते हुए अशोक महेश्वरी ने बताया,‘‘वे हिन्दी के सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले लेखकों में रही हैं. प्रकाशक के रूप में हमें हमेशा उनकी रचनात्मकता और सहयोगी भाव ने प्रभावित किया. उनके न रहने से हिन्दी के पटल पर एक बड़ी जगह ख़ाली हो गई है जो हमेशा हमें उनकी अनुपस्थिति का भान कराती रहेगी. राजकमल प्रकाशन समूह उनकी स्मृति को वंदन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है.’’

इन्हें भीपढ़ें

बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं: उमैर नजमी की ग़ज़ल

बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं: उमैर नजमी की ग़ज़ल

September 22, 2023
जो मिले, मुरीद हो जाए ऐसी शख़्सियत थे डॉक्टर दीपक आचार्य

जो मिले, मुरीद हो जाए ऐसी शख़्सियत थे डॉक्टर दीपक आचार्य

September 19, 2023
अकाल: हूबनाथ पांडे की कविता

अकाल: हूबनाथ पांडे की कविता

September 18, 2023
Telengana-peoples-movement

महिला किसान (चौथी कड़ी): महिला किसानों ने जब हैदराबाद के निज़ाम की व्यवस्था की चूलें हिला दी थीं

September 11, 2023

हिंदी कहानी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में बड़ा हाथ रहा मन्नू जी का
मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई अजमेर, राजस्थान में हुई. कोलकाता एवं बनारस विश्वविद्यालयों से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की. पेशे से अध्यापक मन्नू जी ने लंबे समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में पढ़ाया.
हिन्दी साहित्य के अग्रणी लेखकों में गिनी जाने वालीं मन्नू भण्डारी ने बिना किसी वाद या आंदोलन का सहारा लिए हिन्दी कहानी को पठनीयता और लोकप्रियता के नए आयाम दिए. ‘यही सच है’ शीर्षक उनकी कहानी पर आधारित बासु चटर्जी निर्देशित फिल्म ‘रजनीगंधा’ ने साहित्य और जनप्रिय सिनेमा के बीच एक नया रिश्ता बनाया. बासु चटर्जी के लिए उन्होंने कुछ और फ़िल्में भी लिखीं. उनकी कई कहानियों का नाट्य-मंचन भी हुआ. ‘महाभोज’ उपन्यास का उनका नाट्य-रूपांतरण आज भी देश भर में अनेक रंगमंडलों द्वारा खेला जाता है.
उनके उपन्यास ‘आपका बंटी’ को दाम्पत्य जीवन तथा बाल-मनोविज्ञान के संदर्भ में एक अनुपम रचना माना जाता है. जीवन के उत्तरार्ध में उन्होंने ‘एक कहानी यह भी’ नाम से अपनी आत्मकथा भी लिखी जिसे मध्यवर्गीय परिवेश में पली-बढ़ी एक साधारण स्त्री के लेखक बनने की दस्तावेज़ी यात्रा के रूप में पढ़ा जाता है.

सफल लेखिका का वैवाहिक जीवन विवादित रहा
हिन्दी के लब्ध-प्रतिष्ठ कथाकार एवं संपादक राजेन्द्र यादव की जीवन-संगिनी रहीं मन्नू जी ने अपने लेखन में स्वतंत्रता-बाद की भारतीय स्त्री के मन को एक प्रामाणिक स्वर दिया और परिवार की चहारदीवारी में विकल बदलाव की आकांक्षाओं को रेखांकित किया. जहां मन्नू हिंदी के शीर्ष लेखकों में शामिल रहीं, वहीं लेखन के क्षेत्र में बड़ा नाम राजेन्द्र यादव आगे चलकर हंस पत्रिका के आजीवन संपादक बने रहे. उन्होंने हिंदी लेखकों की नई पौध तैयार करने में अहम् योगदान दिया. इन दोनों प्रतिभाशाली व्यक्तियों के वैवाहिक जीवन ने कई उतार-चढ़ाव देखे. दोनों अलग रहने लगे थे. हां, दोनों ने ही अपने रिश्ते की मर्यादा बनाए रखी और इस बारे में विवादित बयानों से बचते रहे. इन दोनों हस्तियों को जोड़ने का काम करती थीं, इनकी सुपुत्री रचना यादव, जो कि एक जानीमानी कत्थक नृत्यांगना हैं. बहरहाल हम इतना कह सकते हैं कि मन्नू भंडारी का जाना हिंदी लेखन के एक युग के अंत होने जैसा है. कुछ महीने पहले जिस तरह दिलीप कुमार के निधन ने हिंदी फ़िल्म जगह को अनाथ कर दिया था, उसी तरह हिंदी लेखन के लिए मन्नू भंडारी का जाना रहा है.

Tags: aapka BuntyMahabhojMannu BhandariMannu Bhandari NovelsMannu Bhandari Passed awayMannu Bhandari storiesWriter Mannu Bhandariआपका बंटीमन्नू भंडारीमन्नू भंडारी और राजेन्द्र यादवमन्नू भंडारी का निधनमन्नू भंडारी की कहानियांमन्नू भंडारी की रचनाएंमहाभोजलेखिका मन्नू भंडारी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

Tebhaga-farmer-movement
ज़रूर पढ़ें

महिला किसान (तीसरी कड़ी): तेभागा किसान आंदोलन, जिसमें महिलाओं ने जान फूंक दी थी

September 9, 2023
ये कैसा दौर है: शिल्पा शर्मा की कविता
कविताएं

ये कैसा दौर है: शिल्पा शर्मा की कविता

September 8, 2023
Safed-sadak
क्लासिक कहानियां

सफ़ेद सड़क: कहानी दो मुल्कों, दो नज़रियों की (लेखक: कमलेश्वर)

September 7, 2023

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist